इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने चुनाव आयोग के आदेशों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किये गए तमाम आईएएस तथा आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर को रद्द किये जाने हेतु सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा दायर पीआईएल पर आज अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।
जस्टिस इम्तियाज़ मुर्तजा और जस्टिस डी के उपाध्याय ने याचीकर्ता के अधिवक्ता अशोक पाण्डेय और चुनाव आयोग के अधिवक्ता मनीष माथुर की बहस सुनने के अपना फैसला सुरक्षित किया।
याचिका के अनुसार हाल ही में आईएएस कैडर रूल्स तथा आईपीएस कैडर रूल्स में संशोधन करते हुए यह अनिवार्य कर दिया गया कि इन अफसरों के सभी ट्रांसफर केवल सिविल सेवा बोर्ड की संस्तुति पर ही किये जाएंगे। ये ट्रांसफर दो साल की अवधि के बाद ही किये जा सकते हैं और दो साल के पहले किये सभी ट्रांसफर में सम्बंधित अफसर को अपनी बात कहने का अवसर देने के बाद कारण बताते हुए ही ट्रांसफर किये जा सकते हैं।
डॉ. ठाकुर के अनुसार ये नियम चुनाव के समय भी लागू रहते हैं लेकिन हाल में चुनाव आयोग द्वारा इनका पालन किये बिना ही मनमर्जी के और बिना अलग-अलग कारण बताये तमाम अफसरों के ट्रान्सफर के निर्देश जारी कर दिए गए, जिससे आयोग द्वारा अपने अधिकारों के दुरुपयोग की पूर्ण सम्भावना बन जाती है।
अतः उन्होंने इन सभी ट्रांसफर को निरस्त करते हुए नियमों के अनुसार ही ट्रांसफर किये जाने की मांग की है।