Prashant Pathak : मुझे बड़े भाई का स्नेह देने वाले और हरदोई में P7 न्यूज़ का काम देख रहे समीर की अचानक म्रत्यु ने जड़वत कर दिया। जीवन में कभी कभार वह पल आते हैं जिनकी उम्मीद भी हमें दूर दूर तक नहीं होती है। स्वभाव में गंभीर समीर को समाचारों की समझ के साथ उनसे जुड़े विजुअल लेने का कौशल अच्छी तरह आता था। साथ ही अपने से बड़ों का सम्मान और किसी भी प्रकार की टीका टिप्पणी करने का जो गुण आमतौर में पत्रकारों में होता है यह उसमे लेश भर नहीं था।
दुःख इसलिए और क्योंकि समीर के बेटे की तबियत ख़राब थी और उसका लखनऊ में उपचार चल रहा था। कल समीर की तबियत बिगड़ी और काल के क्रूर हाथों ने आज छोटे भाई व साथी को जुदा कर दिया। कभी कभी शब्द भी कितने बेबस हो जाते हैं। जो दुःख कभी न भूलने वाला हो उस दुःख को भूलने की बात कहना लेकिन शायद सामजिक नियति भी यही है। मैं हरदोई के समस्त पत्रकारों अपने परिवार की तरफ से समीर की आत्मा की शांति की प्रार्थना करता हूं और इश्वर से विनती करता हूं कि वोह शोकाकुल परिवार को असहनीय वेदना सहने की शक्ति प्रदान करे।
प्रशांत पाठक के फेसबुक वॉल से.