भारत सरकार के न्याय विभाग की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में 56 हजार से ज्यादा, उच्च न्यायालयों में 43 लाख और निचली अदालतों में पौने तीन करोड़ मामले लंबित हैं। इसके विपरीत उच्च न्यायालयों में कुल 252 पद जजों के खाली पड़े हैं।
उत्तर प्रदेश की स्थिति सबसे ज्यादा दयनीय है, यहाँ इलाहबाद हाई कोर्ट में लगभग एक करोड़ (सिविल और क्रिमिनल) मुक़दमे पेंडिंग हैं, और जजों के स्वीकृत 160 पदों में से 70 खाली पड़े हैं। क्या त्वरित न्याय का मुद्दा किसी नेता या पार्टी के एजेंडे में है?
विधि विभाग, बरेली कॉलेज, बरेली, में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार के फेसबुक वॉल से साभार