इलाहाबाद। वाह रे पुलिस! दलित और कमजोर तबके के लोगों को कानूनी मदद तो दूर, खुद आरोपी से मिलकर उसकी मदद करने में पुलिस जुट गई है। एसपी के एफआईआर दर्ज करने का आदेश थाना आफिस में पड़ा धूल फांक रहा है। भुक्तभोगी बालिका एफआईआर कराने को दर-दर भटक रही है। सवाल उठता है, आखिर समाज के शोषित और कमजोर तबके को न्याय मिल पाना यूपी में टेढ़ी खीर साबित होता जा रहा है। सभी को न्याय और कानून सबके लिए का सरकारी नारा क्या सिर्फ थोथा नारा बनके रह गया है। चुनाव में तो नेताओं की बाढ़ है, सबके अपने बड़े-बड़े दावे और वादे हैं। दलित शोषित को न्याय दिलाने का दिनरात राग अलापने वाले हे राजनीति के मठाधीशों! आखिर इस गरीब दलित बालिका और उसके परिजनों को न्याय कैसे मिलेगा?
क्या इसे भी सूबे के सीएम अखिलेश सिंह यादव के पिताश्री व वाया तीसरा मोर्चा प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देखने वाले मुलायम सिंह यादव के उस बयान से जोड़कर देखा जाए जो एक सप्ताह पहले दुराचार करने वालों को बच्चों की नादानी बताकर अपनी मंशा साफ करने की कोशिश कर चुके हैं। क्या यूपी की पुलिस उनके ही संकेत के मुताबिक कार्य कर रही है। शासन-सत्ता के जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे भाग्य विधाताओं क्या लापरवाह पुलिस को सजा देने का अधिकार खत्म हो चुका है। क्या इसी तरह के दागों को लेकर जनता के बीच झूठी उपलब्धि बता रहे हो।
ईंट-भट्ठा पर मां-बाप के साथ मजदूरी करने वाली दलित जाति की बालिका के साथ बगल गांव के युवक ने शादी का झांसा देकर लगातार कई दिनों तक दुराचार किया। बाद में शादी से इंकार कर दिया। इस पर बालिका ने परिजनों के साथ पुलिस चौकी लालगोपालगंज पहुंचकर शिकायत की तो पुलिस ने कार्रवाई के बजाए आरोपी के पिता को चैकी बुलाकर समझौता कर लेने का दबाव डालना शुरू कर दिया। पुलिस की मनमानी से हतप्रभ दुराचार की शिकार बालिका ने 17 अप्रैल की दोपहर एसएसपी ऑफिस जाकर घटना की जानकारी दी। एसएसपी ऑफिस से नवाबगंज थाने को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया। चैबीस घंटे बाद भी नवाबगंज पुलिस घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं कर सकी है। 18 अप्रैल को दिनभर पुलिस ने भुक्तभोगी बालिका को थाने पर बिठाए रखा। शाम को निराश होकर उसे घर वापस लौटना पड़ा।
इलाहाबाद के गंगापार में नवाबगंज थाना क्षेत्र के निंदूरा गांव निवासी श्यामनाथ चमार अपने परिवार के साथ अंधियारी गांव में शमीम प्रधान के ईंट-भट्ठे पर ईंट पथाई कर गुजारा करता है। उसकी बेटी अंजना कुमारी (पहचान छिपाने के लिए बाप-बेटी दोनों के नाम काल्पनिक), भी मां-बाप के साथ मजदूरी करती है। गरीब की इज्जत तो दो कौड़ी की समझी जाती है। बगल गांव के एक युवक ने शादी का झांसा देकर बालिका के साथ लगातार कई दिनों तक दुराचार किया। भुक्तभोगी बालिका के मुताबिक, अब वो शादी करने से इंकार कर रहा है। प्रेमी के झांसा देने पर बालिका ने परिजनों को जानकारी दी। परेशान परिजन लालगोपालगंज पुलिस चैकी गए और घटना की तहरीर दी।
पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाए आरोपी युवक के पिता को बुलाकर समझौता करने का दबाव डालना शुरू कर दिया। भुक्तभोगी बालिका अपने परिजनों के साथ नवाबगंज थाने पहुंची। वहां से उसे डांट-डपट कर भगा दिया गया। पुलिस चैकी लालगोपालगंज और नवाबगंज थाना का बेहद लापरवाह रवैया देखकर बालिका ने परिजनों के साथ गुरूवार को एसएसपी ऑफिस पहुंचकर एसपी यमुनापार लल्लन राय से शिकायत की। घटना और स्थानीय पुलिस के रवैए को गंभीरता से लेते हुए एसपी ने नवाबगंज पुलिस को बालिका की मेडिकल जांच कराने और एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। आदेश के बावजूद दूसरे दिन शाम तक इस मामले मे अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
दो लाख ले लो, समझौता कर लो
एसपी का आदेश लेकर घर लौटे भुक्तभोगी बालिका के परिजनो से लालगोपालगंज चैकी के दो सिपाहियों ने मिलकर आरोपी पक्ष से दो लाख रूपए लेकर समझौता करने पर दबाव डाला। भुक्तभोगी बालिका के बहनोई प्रवीण कुमार ने लिखित शिकायत की है कि गुरूवार को जब एसपी से मिलकर कार्रवाई का आदेश कराने के बाद घर लौटे तब चौकी से दो सिपाहियों ने घर पहुंचकर शिकायत को वापस लेने और आरोपी से दो लाख रूपए लेकर समझौता करने का दबाव डालना शुरू किया। इंकार करने पर वे बड़बड़ाते हुए वापस लौट गए।
बोला दारोगा-एसओ साहब नहीं मिलेंगे, जाओ कल आना
शादी का झांसा देकर दलित बालिका से दुराचार करने और एसपी के आदेश के बावजूद थाने में मुकदमा न दर्ज करने वाली पुलिस की मनमानी ने हद कर दी। शुक्रवार को दिनभर थाने में भूखा-प्यासा बैठाने के बाद लालगोपालगंज चैकी इंचार्ज ने भुक्तभोगी बालिका और परिजनों से दो टूक कहा कि एसओ साहब नहीं मिलेंगे, घर जाओ, कल आना। भुक्तभोगी बालिका के मुताबिक, दरोगाजी यह कहते हुए थाने से चले गए। पुलिस के रवैए से नाराज बालिका ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से करने का मन बनाया है।
बजती रही घंटी, नहीं उठा एसपी का फोन
नवाबगंज थाने को एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने वाले एसपी यमुनापार लल्लन राय का पक्ष जानने के लिए उनसे कई बार मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया। कई बार घंटी बजने के बावजूद उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में उनका पक्ष नहीं जाना जा सका।
क्या इसे जंगलराज न माना जाए
इस समूचे प्रकरण में दो बातें खास मुख्यरूप से सामने आती हैं, क्या दुराचार पीड़ित बालिका की सुनवाई थाने में समुचित तरीके से की गई? अगर नहीं तो इसके लिए जिम्मेदार किसे माना जाए। क्या यूपी के थाने में वास्तव में कानून का राज चलता है? थाने में सुनवाई न करने वाले पुलिस के लिए कोई कारगर सजा निर्धारित की गई है। कैबिनेट मंत्री आजम खां की भैंस चोरी होने पर दिनरात मशक्कत कर पसीना बहाने वाली यूपी की पुलिस गरीब मजलूमो की इज्जत पर डाका डालने वाले दरिंदा के खिलाफ एक अदद रिपोर्ट दर्ज करने में नाकारा क्यों साबित हो रही है। जवाब दो सीएम अखिलेश सिंह, वे नहीं तो शासन-सत्ता के उनके कोई नुमाइंदे ही सही। निर्भया रेपकांड में बलिया जाकर टेसूए बहाने वाले अखिलेश सिंह क्या लालगोपालगंज के निंदूरा गांव आने या किसी प्रतिनिधि को मौके पर भेजकर उस पीड़ित परिवार के आंसू पोंछने का वक्त है आप लोगों के पास। दलित-शोषितों का पट्टा कराने वाली बसपाइयों क्या यह गंभीर नाइंसाफी का मामला नहीं बनता। सवाल यह भी कि यह बलिया की बिटिया नहीं यूपी के गरीब की बिटिया है, इसे न्याय कौन दिलाएगा।
इलाहाबाद से वरिष्ठ पत्रकार शिवाशंकर पांडेय की रिपोर्ट। सम्पर्क- भैरोंपुर, पो. अटरामपुर, जिला-इलाहाबाद, पिन- 229412, मोबाइल-9565694757, ईमेल- [email protected]