भारत सरकार ने यह दावा किया है कि वह रक्षा सौदों में पूर्ण आत्म-निर्भरता के लिए गंभीरता से कार्य कर रही है। आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा अपने पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए आदेश के सन्दर्भ में भेजे सुझावों के जवाब में रक्षा मंत्रालय ने उन्हें अवगत कराया है कि नवीनतम रक्षा अधिप्राप्ति प्रक्रिया (डीपीपी)-2013 में बाई (इंडियन) तथा बाई एंड मेक (इंडियन) श्रेणी को बाई (ग्लोबल) श्रेणी से प्राथमिकता दी गयी है। इसी प्रकार बाई एंड मेक (इंडियन) श्रेणी को सरल बनाया गया है ताकि रक्षा उत्पादों के अवांछनीय आयात पर रोक लगाई जा सके।
मेंटेनेंस ट्रांसफर ऑफ़ टेक्नोलॉजी (एमटीओटी) का काम अब सार्वजनिक उपक्रम की जगह किसी भी भारतीय कंपनी को सौंपा जा सकता है।
डॉ. ठाकुर द्वारा एक स्वतंत्र आयोग बनाए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हाल में रक्षा राज्य मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा मंत्री उत्पादन कमिटी (आरएमसीपी) का गठन किया गया है जिसमे डिफेन्स सेवा, डीआरडीओ, सार्वजनिक उपक्रम तथा सम्बंधित उद्योग के प्रतिनिधियों को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के पुनरीक्षण तथा देश में रक्षा उत्पादन बढाने के उपयोगों के बारे में सुझाव देने का दायित्व सौंपा गया है। साथ ही मंत्रालय द्वारा पूर्व में इस सम्बन्ध में सौंपे रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जा रहा है।
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