आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस गलत हलफनामा दायर कर घुमावदार तरीके से खुद को बचाने के प्रयास में है। पुलिस डिपार्टमेंट क्लास IV एम्प्लाइज एसोसियेशन द्वारा दायर पीआईएल में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने डीजीपी, यूपी को यह हलफनामा दायर करने को कहा कि ये कर्मचारी नियम के विपरीत कहीं तैनात नहीं किये गए हैं।
इस पर डीजीपी ने 05 अप्रैल 2014 को निर्देश जारी किये कि पुलिस अधिकारियों के साथ सम्बद्ध चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की सम्बद्धता समाप्त की जाती है। लेकिन इसके तुरंत बाद 09 अप्रैल को डीजीपी की तरफ से दूसरे निर्देश जारी हुए कि केवल अधिकारियों के साथ नाम से सम्बद्धता समाप्त की गयी है, ना कि किसी कार्यालय से।
स्वयं एक आईपीएस अधिकारी की पत्नी डॉ. ठाकुर ने आरोपित किया है कि जहां उनके पति ने वास्तव में सम्बद्ध पुलिस कर्मी को वापस भेज दिया, वहीँ लगभग अन्य सभी मामलों में नाम की सम्बद्धता समाप्त कर उन्ही पुलिसकर्मियों को कार्यालय में तैनात कर पुनः उन अधिकारियों के घर पर काम के लिए भेज दिया गया है।
उन्होंने इसे प्रशासन में पारदर्शिता के विपरीत आचरण बताते हुए मामले को आगे बढ़ाने की बात कही है।