सोनभद्र ।। सोनभद्र जिले के उर्जांचल में कोयला चोरों की ठाठ व हनक देखकर यहां के बच्चे भी कहते हैं कि वो बड़ा होकर-‘‘कोल माफिया बनूंगा’’। किंतु रुकिए, कोल माफिया बनने के लिए इंतजार क्यों करना। यहां तो नाबालिग कोयला चोर भी महिने में मोटा माल बना लेते हैं। कहने को तो सीबीआई छापे के बाद से ही कोयला लूट बंद है लेकिन हकीकत कुछ और है। जिन लोगों ने कोयला चोरी से करोड़ों अरबों बनाये वो भला इसे कहां छोड़ने वाले। जिन सरकारी कर्मचारियों ने कोयला चोर पैदा कर अपनी जेंबे भरी, अब उनकी जेबें खाली रहे ये कैसे हो सकता है।
चर्चा है एक सरकारी कर्मचारी ने तो बाकायदा पुराने कोयला चोरों को पुनः चोरी का काम प्रारम्भ करने का प्रस्ताव दिया। यही नहीं फाइनेन्स की भी पुरी सुविधा के साथ। एक भूतपूर्व कोल माफिया ने कहा साहब कहते हैं फिर से काम चालू करो, पैसा हमसे ले लो। काम देखने के लिए साहब ने अपने रिश्तेदारों को भी बुला लिया है। लेकिन जनाब साहब की किस्मत इतनी अच्छी नही थी। इधर कोयला चोरी का काम प्रारम्भ हो पाता, उससे पहले ही एक बड़े अखबार ने खुलासा कर दिया और उसके बाद साहब को बड़े साहब ने अपने पास बुला लिया। खुले रूप में कोयला चोरी प्रारम्भ होने से यहां के छुटभैये पत्रकार बड़े खुश हो रहे थे क्योंकि उनके लिए भी लूट का दरवाजा खुल रहा था। गहराई से सोचिये तो कोयला चोरी समाज के लिए अमृत की तरह है। कोयला चोर भी मालामाल, पुलिस की भी चांदी, पत्रकार भी मस्त, नेता भी खुश। इस एकमात्र बिजनेस ने सबको एक कर दिया। सरकार को कोयला चोरी वैध कर देना चाहिए।
अनूप द्विवेदी
सोनभद्र