एम्स बनाने की मांग को लेकर बीएचयू के सर सुन्दर लाल अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ओम शंकर पिछले 6 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उनका कहना है कि संघर्ष का मकसद हंगामा खड़ा करना नहीं आम आदमी को बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा दिलाने के लिए है। अनशन स्थल पर उन्होनें बेबाक तरीके से सवालों के जबाब देते हुए कहा डाक्टर के लिए मानवीय मूल्य और इंसानी जिदंगी सर्वोपरि है, और सारा संघर्ष इन्हें बचाने के लिए है। उन्होनें कहा कि वे एस्कार्टस जैसे अस्पताल की नौकरी छोड़ बीएचयू इसलिए आए क्योंकि उन्हे आम आदमी की सेवा करनी थी। लेकिन यहां जो कुछ चल रहा था वो असहनीय था। आम आदमी को इलाज के नाम पर यहां कोई सहूलियत न थी।
डॉ. ओम शंकर से संक्षिप्त बात-चीतः
ये आन्दोलन है, तमाशा है या फिर लोकप्रियता पाने का जरिया?
कोई कुछ भी कहे पर मेरे लिये ये आम गरीब आदमी के हक में छेड़ी गई लड़ाई है। ताकि उसे बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके। इस लड़ाई में मेरे साथ डाक्टरी की पढ़ाई करने आए सैकड़ो छात्र लड़ रहे है। कुलपति भ्रष्ट है, अस्पताल में भारी अनियमितता है। पर उन्हें कुछ नहीं दिखता। रही बात लोकप्रियता की तो मैं एस्कार्ट्स जैसे अस्पताल में था अगर पैसा ही कमाना होता तो यहां क्यों आता। मैं यहां सेवा-भाव के उद्देश्य से आया था। एम्स बनेगा तो आम आदमी को ढेरों सहूलियतें मिलेंगी साथ ही लूट-खसोट भी बंद होगा। मैं इस लड़ाई को अंतिम सांस तक लड़ूंगा।
अनशन स्थल पर सवालों का जवाब देते डा. ओम शकर
आप मानते है कि सर सुन्दर लाल अस्पताल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है?
इसमें कोई शक नहीं है। सारे भ्रष्टाचारी एक साथ है, वो नहीं चाहते कि हालात बदलें। इसीलिए वो आन्दोलन के बारे में रोज एक झूठी कहानी गढ़ कर हमे बदनाम कर रहे हैं।
मगर कुलपति तो कहते है कि एम्स बनने में रूकावटें है?
वो झूठ बोल रहे है, और हमे बदनाम करने के लिए कहानियां गढ़ रहे हैं। कहीं कोई रूकावट नहीं है। वो आज इस बात को कह रहे है, इसका मतलब इससे पहले वो झूठ बोलते चले आ रहे है।
हड़ताल के चलते यहां मरीजों की मौत हो रही है?
विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी कमियों को छिपाने के लिए लगातार गलत बयानी कर रहा है। असल मुददे को नजरअंदाज कर झूठ का आडम्बर खड़ा किया जा रहा है। हड़ताल के चलते अब तक कोई मौत नहीं हुई, यहां तक कि आई.आई.टी के छात्र हितेष की मौत को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन गंदा खेल खेल रहा है। पोस्टमार्टम रिर्पोट देख लें उसकी मौत तो मौके पर ही हो गयी थी। हम तो पैरलल ओपीडी चला कर रोज हजारों मरीजों को देख रहे है। हमरा आन्दोलन अहिंसात्मक है। हम तो अपने आन्दोलन में नारे तक नहीं लगा रहे है। हमारे लिए मानवीय मूल्य सर्वोपरि हैं और हमारी लड़ाई भी इसी मुद्दे पर है कि यहां भ्रष्टाचार के चलते किसी का भी दम न निकले। सब बेहतर चिकित्सा की सुविधा मिले जिसके वो हकदार हैं।
आप कुलपति से बात करने को तैयार नहीं है?
मैं तैयार हूं पर उनकी नियत साफ नहीं है। वो कुछ सुनना नहीं चाहते। हम अहिसांत्मक तरीके से आन्दोलन कर रहे है। विश्वविद्यालय प्रशासन, छात्र नामधारी गुंडो को यहां भेजकर पुलिस की मौजूदगी में हमे धमका रहा हैं। आमरण अनशन पर बैठी महिला डाक्टरों के साथ अभद्रता की जा रही हैं। मुझे जान से मारने की धमकी दी जा रहीं है। बिना कारण बताओ नोटिस दिये मुझे स्सपेंड कर दिया गया, मेरे उपर फर्जी तरीके से गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। मेरे साथ तो कभी कुछ भी हो सकता है।
आपकी मांग क्या है?
सिर्फ और सिर्फ एक मांग कुलपति लिखित तौर पर एम्स एक्ट को स्वीकृति दे।
हड़ताल कब तक?
जब तक एम्स बनाने की मांग को स्वीकृति नहीं मिल जाती तब तक।
भास्कर गुहा नियोगी
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