Connect with us

Hi, what are you looking for?

No. 1 Indian Media News PortalNo. 1 Indian Media News Portal

बनारस

मैं बनारस हूं, मेरे मर्म को समझिए

एक बार फिर चुनावी बयार के बीच मैं बनारस हूं। राजनीतिक उपेक्षा और तिरस्कार का शहर बनारस। कहने को सबसे पुराना शहर, सांस्कतिक राजधानी पर सबसे बेहाल और बदहाल। राजनीतिज्ञों के लिए इस बार मैं दिल्ली की सत्ता पाने की पहली सीढ़ी हूं। शोर है, होड़ है, चर्चाए है, विरोधी है, समर्थक हैं। नारे हैं, पोस्टर हैं सबको अपनी बात कहकर आगे निकल जाने की जल्दी है। इन सबके बीच मैं अपने जख्मों के साथ उन पर मरहम रखने के इंतजार में खड़ा हूं।

एक बार फिर चुनावी बयार के बीच मैं बनारस हूं। राजनीतिक उपेक्षा और तिरस्कार का शहर बनारस। कहने को सबसे पुराना शहर, सांस्कतिक राजधानी पर सबसे बेहाल और बदहाल। राजनीतिज्ञों के लिए इस बार मैं दिल्ली की सत्ता पाने की पहली सीढ़ी हूं। शोर है, होड़ है, चर्चाए है, विरोधी है, समर्थक हैं। नारे हैं, पोस्टर हैं सबको अपनी बात कहकर आगे निकल जाने की जल्दी है। इन सबके बीच मैं अपने जख्मों के साथ उन पर मरहम रखने के इंतजार में खड़ा हूं।

है कोई जो मुझे समझेगा, मेरे संकट का रास्ता निकालेगा। कोई जबाव नहीं मिल रहा है, मुझे, इतने बड़े-बड़े नाम इतने बड़े-बड़े वादे, इनमें मेरे लिए भी कुछ है भाई। मैं तो बस इतना चाहता हूं कि मेरी गंगा पहले की तरह निर्मल और स्वच्छ हो जाए। मेरी सड़को पर धूल न उड़े, बिजली, पानी मेरे लोगो को मिले। भ्रष्टाचार पर रोक लगे। नए-नए रोजगार के मौके यहां भी आएं। यही वो छोटी-छोटी मांगे है, जो मेरे दर्द की दवा भी है और मेरी खुशहाली का राज भी।

हां, एक बात और मेरे मिज़ाज को समझिए। चुनाव लड़ने से पहले मेरे गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत को अपनाइए। मेरे कबीर को मेरे नज़ीर की विरासत को आगे बढ़ाईए। मेरे तुलसी के लोकमंगल के मर्म को अपने अन्दर जज्ब किजिए। यकीन मानिए आप सही मायनो में लोक की भलाई का मर्म समझ सकेंगे। राजनीति की जमीन संवेदनहीन हो सकती है, पर मेरी नहीं। अगर इस जमीन पर आ ही गये है, तो थोड़ा सा नर्म बनिए। झुकना सीखिए लोगो से मतदाताओं से वादा करने से पहले खुद से वादा कीजिए कि आप मर्यादाओं को तार-तार नहीं करेंगे।

चलिए एक बार और सही आपको देखता हूं। मैं तो गंगा की तरह लहर दर लहर आगे चलने पर विश्वास रखता हूं। एक नये भविष्य और नए भारत की कल्पना मेरे लिए सर्वोपरि है। जानते है क्यों, क्यों कि मैं बनारस हूं। मेरी पहचान यही है…….
       
दुइयै चले ला पान औ पनही
बात मत करैं छोटी
लेब-देब होई जिनगी क
अकिल बहुत हौ खोटी
ई राजा काषी हौ।

 

वाराणसी से भाष्कर गुहा नियोगी।
              

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

… अपनी भड़ास [email protected] पर मेल करें … भड़ास को चंदा देकर इसके संचालन में मदद करने के लिए यहां पढ़ें-  Donate Bhadasमोबाइल पर भड़ासी खबरें पाने के लिए प्ले स्टोर से Telegram एप्प इंस्टाल करने के बाद यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia 

Advertisement

You May Also Like

विविध

Arvind Kumar Singh : सुल्ताना डाकू…बीती सदी के शुरूआती सालों का देश का सबसे खतरनाक डाकू, जिससे अंग्रेजी सरकार हिल गयी थी…

सुख-दुख...

Shambhunath Shukla : सोनी टीवी पर कल से शुरू हुए भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के संदर्भ में फेसबुक पर खूब हंगामा मचा।...

विविध

: काशी की नामचीन डाक्टर की दिल दहला देने वाली शैतानी करतूत : पिछले दिनों 17 जून की शाम टीवी चैनल IBN7 पर सिटिजन...

प्रिंट-टीवी...

जनपत्रकारिता का पर्याय बन चुके फेसबुक ने पत्रकारिता के फील्ड में एक और छलांग लगाई है. फेसबुक ने FBNewswires लांच किया है. ये ऐसा...

Advertisement