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विमलेश त्रिपाठी के कविता संग्रह “एक देश और मरे हुए लोग” का लोकार्पण

26 जनवरी, को सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से विमलेश त्रिपाठी के दूसरे कविता संग्रह का लोकार्पण समारोह भारतीय भाषा परिषद के सभागृह में कोलकाता के रचनाकारों एवं बीएचयू के श्रीप्रकाश मिश्र, बस्ती के अष्टभुजा शुक्ल तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के डॉ. शंभुनाथ, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के डॉ. वेद रमण की उपस्थिति के बीच वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर सबसे पहले युवा कवि श्री प्रकाश मिश्र एवं अष्टभुजा शुक्ल का काव्य पाठ हुआ।

26 जनवरी, को सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से विमलेश त्रिपाठी के दूसरे कविता संग्रह का लोकार्पण समारोह भारतीय भाषा परिषद के सभागृह में कोलकाता के रचनाकारों एवं बीएचयू के श्रीप्रकाश मिश्र, बस्ती के अष्टभुजा शुक्ल तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय के डॉ. शंभुनाथ, प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के डॉ. वेद रमण की उपस्थिति के बीच वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह के हाथों संपन्न हुआ। इस अवसर पर सबसे पहले युवा कवि श्री प्रकाश मिश्र एवं अष्टभुजा शुक्ल का काव्य पाठ हुआ।

इस अवसर पर विमलेश की किताब पर एक परिचर्चा का भी आयोजन हुआ। परिचर्चा में भाग लेते हुए डॉ. वेद रमण ने कहा कि विमलेश गहरे तनाव, बेचैनी और उदासी के कवि हैं। उनका संग्रह कोलकाता के हिन्दी परिवेश को बहुत ही सशक्ति के साथ अजागर करता है। कवि कोलकाता महानगर में रहते हुए खुद को अजनबियत का शिकार महसूस करता है। ऋषिकेश राय ने कहा कि विमलेश अपने दूसरे संग्रह में अधिक बौद्धिक और परिपक्व दिखते हैं तथा उनकी लंबी कविताएं यह संकेत करती हैं कि आगे उनकी दिशा और अच्छी लंबी कविताओं की ओर जाएगी। विमलेश इस संग्रह में अपनी लंबी कविताओं की बदौलत एक सशक्त कवि नजर आते हैं। नील कमल का कहना था कि विमलेश का लोक उनका कॉम्फर्ट जोन है, उनके अंदर खुद को बदलने की एक बेचैनी और पीड़ा को उनकी कविताओं में साफ महसूस किया जा सकता है। सन्मार्ग के संपादक डॉ. अभिज्ञात ने बताया कि विमलेश के इस कविता संग्रह में समकालीन कविता से होड़ लेती हुई सशक्त कविताएं हैं, विमलेश समकालीन युवा कविता के जाने पहचाने हस्ताक्षर हैं और अब समय आ गया है कि उनकी कविताओं पर गंभीरता से बात होनी चाहिए।

शोधार्थी श्री कुमार संकल्प ने कहा कि विमलेश की लंबी कविता एक देश और मरे हुए लोग, राम की शक्तिपूजा, असाध्य वीणा, अंधेरे में तथा पटकथा की परम्परा में आती है। युवा समीक्षक जयप्रकाश ने विमलेश की संवेदना को उनकी कविताओं की ताकत के रूप में रेखांकित किया, उन्होंने कहा कि विमलेश के यहां एक गहन स्त्री विमर्श है जिसके उपर ध्यान देने की जरूरत है। विमलेश की लंबी कविताएं वर्तमान समाज की अवस्था का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख देती हैं।

श्री विजय गौड़ ने कहा कि विमलेश की कविताओं में अपने पूर्वज कवियों की अनुगूंज सुनायी पड़ती हैं, विमलेश के लिए यह जरूरी है कि उनकी कविताओं को अलग से पहचाना और चिन्हित किया जाय। इसी क्रम में डॉ. ऋषि भूषण ने यह जोड़ा कि विमलेश कि कविताओं को समझने के लिए टुल्स उनकी कविताओं में ही मौजूद हैं, विमलेश अपने इस संग्रह की अच्छी कविताओं के कारण बधाई के पात्र हैं।
डॉ. शंभुनाथ ने विमलेश के निरंतर लेखन की सराहना की और कहा कि कविता की दूसरी किताब कवि की प्रस्थान विंदु की तरह होनी चाहिए। विमलेश अच्छे कवि हैं और उनकी कविता से हिन्दी को बहुत उम्मीदे हैं। वरिष्ठ कवि केदाननाथ सिंह ने उक्त अवसर पर विमलेश को बधाई देते हुए कहा कि विमलेश इसलिए महत्वपूर्ण कवि हैं कि उनकी कविताओं में मिट्टी की खुशबू है। वर्तमान समय में एक लंबे अंतराल के बाद कोलकाता में अच्छे कवियों की एक नई जमात तैयार हो रही है, एक तरह से यह कोलकाता के लिए दूसरे नवजागरण की तरह है। उक्त अवसर पर डॉ. केदारनाथ सिंह न् विमलेश के संग्रह से एक कविता आत्म स्वीकार पढ़ी और कहा कि यह छोटी कविता अपने आप में गहरे अर्थ को समेटे हुए है। अंत में धन्यवाद ज्ञापन कवि एवं पत्रकार श्री राज्यबर्धन ने किया।

 

प्रस्तुतिः ऋतेश पाण्डेय

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