नरविजय यादव-
अनुमान है कि अगले 10 वर्षों में, ई-कॉमर्स के क्षेत्र में अच्छी-खासी वृद्धि होगी और फेसबुक व यूट्यूब जैसी ऑनलाइन कंपनियां अमेजन जैसे दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए ई-कॉमर्स में प्रवेश करेंगी। फलस्वरूप, दुनिया भर में 60 प्रतिशत से अधिक पारंपरिक स्टोर बंद हो जायेंगे और जो बचे रहेंगे वे सिर्फ एक्सपीरिएंस सेंटर अथवा अनुभव केंद्र होंगे। अधिकांश बड़े शॉपिंग सेंटर बंद हो जायेंगे। ऐसी डरावनी तस्वीर आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन, हर्ष गोयनका ने अपने ट्विटर पर कही है, जहां उनके 16 लाख से अधिक प्रशंसक हैं।
भारत के प्रमुख व्यवसायियों में से एक, गोयनका के इस चौंकाने वाले बयान पर सैकड़ों ट्विटर यूजर्स ने त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त की। हालांकि, इनमें से अधिकांश का मानना है कि पारंपरिक दुकानों के बंद होने की कल्पना करना भी एक अपशगुन होगा। आखिर करोड़ों लोगों का घर इन्हीं दुकानों की बदौलत चलता है। इनके रोजगार का क्या होगा?
एक यूजर, उत्सव वर्मा ने इस कथन का समर्थन करते हुए लिखा कि आप अमेजन पर सभी प्रकार की और ढेरों वैरायटी की चीजें देख और खरीद सकते हैं, जो एक सामान्य स्टोर पर नहीं मिल पाती हैं। घर से बाजार जाने, वहां पार्किंग तलाशने और स्टोरों की अस्त-व्यस्त अलमारियों में अपनी पसंद की चीजें ढूंढना एक सिरदर्द से कम नहीं होता। फिर भी, कई ऐसी चीजें हो सकती हैं, जिनको खरीदने से पहले हम छूकर देखना, महसूस करना और ट्राई करके देखना चाहते हैं। इस नाते दुकानों पर जाना जरूरी हो जाता है।
एक अन्य यूजर, मोहित गुप्ता सहमत नहीं हुए और लिखा कि “तकनीकी विकास एक सतत प्रक्रिया है। समय बीतने के साथ पारंपरिक स्टोर भी विकसित होते जायेंगे। विकास होने के साथ सब कुछ खत्म नहीं हो जाता, क्योंकि तब तक अनेक नई तकनीकें मदद के लिए भी सामने आ जाती हैं। चीजें फटाफट खरीदने के लिहाज से पारंपरिक दुकानों की उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी। छोटी-मोटी और रोजमर्रा की खरीदारी भी इन्हीं दुकानों से संभव होती है।
अरुणव सान्याल भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं। उनका कहना है कि “ऑनलाइन प्लेटफार्म आने पर बहुत लोगों को लगा था कि किताबों और अखबारों का वजूद नहीं रहेगा, जबकि ऐसा नहीं हुआ। बहुत से लोग खरीदारी से पहले किसी वस्तु को ‘छूकर देखना और फील करना’ जरूरी मानते हैं, जोकि आगे भी रहेगा। मुझे उम्मीद है कि ऑनलाइन और पारंपरिक दोनों ही तरह के स्टोर साथ-साथ चलते रहेंगे।”
एक अन्य युवा, कुशाग्र ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि सालों-साल से चली आ रही दुकानें और स्टोर इतनी जल्दी आउट ऑफ फैशन हो पायेंगे। ई-कॉमर्स निश्चित रूप से सुविधाजनक है, लेकिन खरीदारी में केवल सुविधा ही नहीं देखी जाती, फील करना भी जरूरी होता है।”
निस्संदेह, भारत में भी ई-कॉमर्स का चलन बढ़ेगा और समय के साथ बदलाव नहीं किये तो आसपास चलने वाली बहुत दुकानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, वे स्टोर पक्के तौर पर जिंदा रहेंगे और फलेंगे-फूलेंगे, जो समय-समय पर नई तकनीकें अपनाते रहेंगे।
इटली की कंसल्टेंसी फर्म फिनेरिया के अनुसार, अगले चार वर्षों में दुनिया भर में ई-कॉमर्स के जरिए होने वाली रिटेल बिक्री चार ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो सकती है। पारंपरिक दुकानदारों को भविष्य में होने वाले बदलावों पर विचार करना चाहिए और अपने बिजनेस को ऑनलाइन लाने की इच्छा रखनी चाहिए। यदि वे ऑनलाइन मौजूदगी का विकल्प नहीं चुनते हैं, तो वे ऐसे ग्राहकों को खो देंगे, जो घर बैठे आराम से, फटाफट और सुविधाजनक तरीके से खरीदारी करना पसंद करते हैं।
वह दिन दूर नहीं, जब ई-कॉमर्स कंपनियां सामान की डिलीवरी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर देंगी। फिर भी, विशेषज्ञों का मत है कि ऑफ़लाइन दुकानों और ऑनलाइन रिटेल स्टोरों को एक-दूसरे का पूरक होना चाहिए, न कि प्रतिस्पर्धी। तभी खरीदारों को संपूर्ण अनुभव मिल सकेगा। सभी प्रकार के भुगतान विकल्पों का होना भी एक निर्णायक कारक बनेगा। वर्चुअल स्टोर, मोबाइल या एम-कॉमर्स, चैटबॉट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे फैक्टर भी भविष्य में खरीदारी के रुझान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जो बच्चे 1980 से 1995 के बीच पैदा हुए हैं, उनको ऑनलाइन खरीदारी रास आती है, वो भी चौबीसों घंटे और सातों दिन खुले रहने वाले स्थानों से। यदि बात करें 1996 से 2010 के बीच पैदा हुए बच्चों की, तो उनको तो जन्म लेते ही नयी से नयी तकनीकें देखने को मिली हैं। ऐसे बच्चे बड़े होने पर सब कुछ ऑनलाइन ही चाहेंगे। जाहिर है, पारंपरिक दुकानदारों को बदलाव के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए।
paras gupta
September 25, 2021 at 5:49 pm
Aaj Raj Nagar Extension, ghaziabad ke VVIP mall me jane ka avsar mila. Ginti ke chand log tahalte huye dikhe. Fir mall me vishal mega mart bhi hai. Uske haalat to aur bhi chaukane wale the. 1 counter par billing ho rahi thi, aur usme bhi 2-3 log line me lage huye the. Haalat din pratidin kharab hote ja rahe hai. Koi mane ya na mane. Online market and automation process ne jobs and market par bahut bura asar dala hai. Asar jab khud par padta hai, tab hi reality samajh me aati hai.
lav kumar singh
September 25, 2021 at 7:17 pm
किसी भी क्षेत्र में, किसी को भी कारोबार चलाना है तो नई चुनौतियों से निपटने के लिये कुछ नया करना ही होगा। जैसे लॉकडाउन में मायूस व्यापारियों के बीच कुछ व्यापारियों ने नई-नई तरकीबें भिड़ाईं।