जनाब वज़ीरे आज़म साहब, आदाब, वज़ीरे आज़म बनने के बाद आपको पहली बार किसी टीवी चैनल पर बोलते हुऐ देखा, आपने बेबाकी से कहा “अगर किसी को भी ऐसा लगता है कि भारतीय मुसलमान ऐसी बातों पर ध्यान देता है तो यह उनका भ्रम है। भारत का मुसलमान देश के लिए अपनी जान भी दे सकता है। वो कभी देश का बुरा नहीं सोचेंगा।” आपकी इस बेबाकी की हम कद्र करते हैं। मगर प्राईम मिनिस्टर साहब बहुत से सवाल ऐसे हैं जो मेरे जैसे न जाने कितने लोगों के मन में कौंध रहे हैं। जिनमें सबसे पहला सवाल तो यही है कि जिस समुदाय को आपने देश पर मर मिटने वाला बताया उसे आपकी ही पार्टी के नेता, और पार्टी से जुड़े संगठनों के लोग जब जी में आता है तब ललकार देते हैं, ऐसा क्यों है?
आपके शासन काल में हुऐ गुजरात दंगों को भूल जाने पर आपके ही लोग कहते हैं कि गुजरात भूल गये तो मुजफ्फरनगर याद कीजिये ऐसा क्यों है प्राईम मिनिस्टर साहब? पहले मासूम इशरत के कत्ल में शामिल अमित शाह को क्लीन चिट दे दी गई, उसके बाद बंजरंगी, माया कोडनानी, असीमानंद और फिर बंजारा आखिर इन लोगों को किस लिये जेल से बाहर बुलाया गया? क्या ये लोग वो नहीं हैं जिन्होंने उसी समुदाय के मासूम लोगों को मारा है जिसके बारे में आपने कहा है कि यह समुदाय देश के लिये अपनी जान भी दे देगा? क्या ये लोग कातिल नहीं हैं? आपकी पार्टी के ही नेता कहते हैं कि एक के बदले हम सौ लोगों का धर्म परिवर्तन करायेंगे और आप खामोशी से बैठे सब कुछ सुनते रहते हैं आखिर ये खामोशी क्यों है प्राईम मिनिस्टर साहब?
बेशक आपने जो आज कहा है वह स्वागत योग्य है। मगर सवाल तो यहां भी पैदा हो रहा है प्राईम मिनिस्टर साहब की मुसलमानों के अंदर का राष्ट्र प्रेम आपको आज ही क्यों नजर आया? क्या वे तब राष्ट्रावादी नहीं थे जब आप गुजरात में कहा करते थे कि वे पांच और उनके पच्चीस? क्या वे तब राष्ट्रवादी नहीं थे जब तोगड़िया कह रहा था कि इन्हें अपनी बस्तियों में मत रहने दो? क्या वे तब राष्ट्रवादी नहीं थे जब आपकी ही पार्टी के लोग उन्हें पाकिस्तान भेजने की सलाह दे रहे थे? प्राईम मिनिस्टर साहब, यह सच है मुसलमान कल भी राष्ट्रवादी था आज भी है और कल भी रहेगा। मगर आपकी ही पार्टी के नेता उसे पाकिस्तानी बुलाते हैं, उनकी बस्तियों को मिनी पाकिस्तान कहते हैं, मदरसों को आतंकवाद का अड्डा कहते हैं, इस पर आप दो शब्द तक नहीं कह पाते?
सच तो यह भी है कि भारत के प्रधानमंत्री जब बोलते हैं तो वह किसी एक या दो आदमियों की आवाज़ नहीं होती बल्कि वह आवाज़ देश के सवा अरब लोगों की होती है। मगर प्राईम मिनिस्टर साहब आपको आज ही क्यों याद आया कि मुसलमान देश के लिये जान देंगे क्या यह लफ्फाजी केवल इसलिये की गई कि क्योंकि आपका संबंध जिस पार्टी से है वह उप चुनाव में बुरी तरह हार गई है? और उसकी हार का कारण भी आपकी पार्टी के लोगों द्वारा की जा रही नफरत की राजनीती रहा, इसलिये आपने अपना रास्ता बदला और मुसलमानों को राष्ट्रवादी बताया। हमें मालूम है आपका यह बयान भी राजनीती से ओतप्रोत है।
खैर, बयान की क्या बयान तो लगभग सभी ऐसे ही होते हैं। मगर आपसे एक अपील है कि आप अपनी पार्टी के उन नेताओं की जुबान बंद कर दें जो बात–बात पर मुसलमानों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं। जो कभी मुजफ्फनगर याद दिलाते हैं, तो कभी गुजरात बनाने की धमकियां देते हैं, जो किसी भी दाढ़ी टोपी वाले को आतंकवादी कह देते हैं आप उन पर भी अंकुश लगाईये।
बहुत बहुत शुक्रिया
डॉ. एसई हुदा
(माइनॉरिटी सोशल एक्टिविस्ट)
cms, श्री सिद्धि विनायक हॉस्पिटल
बरेली
09837357723
Deepak Tiwari
September 23, 2014 at 10:31 am
गधों को घी कभी नहीं पचता, आप ये लेख साबित करता है कि आप भोकाल है 😆
दलपत
September 25, 2014 at 6:03 am
लेख लेखक की निजी राय है.लोगो को इससे लोई लेना देना नहीं.महोदय कोंग्रेस को खुश करने लिखा है क्या?ऐसे लेखो का कोई औचित्य नहीं.ऐसे तथाकथित पत्रकारों संपादको के कारण ही दोनों सम्प्रदाय में कटुता बढती है बेवकुफो को यह बात क्यों समज नहीं आती?तथाकथित बुध्धिजीवी लोग ही बेकार ऐसी बातो को तूल देते है जबकि सामान्यजन कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता. यह सब काम कोंग्रेस के पाले हुए मिडिया के पिल्लै होते है और बिकाऊ होते है.
दलपत
September 25, 2014 at 6:13 am
डॉ. एसई हुदा
(माइनॉरिटी सोशल एक्टिविस्ट) काहे का एक्टिविस्ट कोंग्रेस का दलाल है.अकाल तो है नहीं ऐसे लिखने से कोई टुकड़ा मिल जाए की उम्मीद में जिता हुआ हुदा क्यों पूर्वाग्रह से ग्रसित मालुम पड़ता है.ये सोचा है कभी मासूमो का एन काउन्टर नहीं होता ये तो कोंग्रेस द्वारा रची गई साजिश को यदि मासूम मान लिया जाए तो मानले अन्यथा स्थानीय निवासियों की राय जाँ ले एक्टिविस्ट महोदय अपनी सोच बदलिए अब कभी कोंग्रेस वापस आने वाली नहीं है इटली चली गई माफियाओं के देश में जाओ वहा तुम्हारी आवश्यकता अधिक है.नहीं जाना चाहते हो तो ईराक चले जाओ तुम्हारी अति आवश्यकता है.
Durgesh Singh
November 11, 2014 at 8:52 am
इतना काहे बिलबिला रहे हैं भाई
Rajesh Khndelwal
April 17, 2015 at 5:26 am
Durgesh Singh, Dalpat aur Deepak Tiwari, aap ne apne comments se clear kar diya ki Dr. Huda ne jo question uthaya hai, wah sahi hai. agar aisa nahi hai to aap unhe apshabd nahi keh rahe hote.