Satyendra PS : अखबार के एक पेज की 5 यानी सभी खबरें। रेटिंग वाली 33% कम्पनियों ने रेटिंग एजेंसियों को आंकड़े देना बंद कर दिया है। मंदी की वजह से कारोबार सुस्त है और डिफॉल्ट कर रही हैं कम्पनियां। इसलिए वे आंकड़े साझा नहीं कर रही हैं। इसी रेटिंग के आधार पर बैंक कम्पनियों को कर्ज देते हैं।
सड़क क्षेत्र की बैंड बजी पड़ी है जो आर्थिक तेजी में अहम भूमिका निभाने की ताकत रखता है।
मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक भारत का राजकोषीय घाटा 6% से ऊपर, करीब 6.5 लाख करोड़ रुपये है। 3 % से ऊपर तो सरकार का वित्तीय व्यवस्ता से इतर खर्च है, जो पिछले 2 दशकों से महज 0.5% रहता था। यानी सरकार इस दिशा में पहुंच रही है कि बजट बनाओ ही नहीं, जहां मन हो वहां खर्च कर दो।
मंदी के कारण ट्रक का किराया 4% कम हो गया है।
केंद्र सरकार स्मार्ट मीटर लगवा रही है। अधिकारियों का कहना है कि एक स्मार्ट मीटर पर 30 हजार रुपये तक खर्च आ रहा है जो लम्बे समय तक हर महीने 80 रुपये देकर चुकाना होगा। इससे न तो डिस्कॉम को लाभ होगा, न ग्राहकों को बिजली कटौती, बिजली फलक्चुएशन या वोल्टेज कम होने की समस्या से मुक्ति मिलेगी। लेकिन सरकार की जिद है कि वो अगले 2 साल में देश के हर घर मे 30 हजार रुपये वाला मीटर लगवाकर ही मानेगी।
नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ मैं भी करना चाहता हूँ। लेकिन दुर्भाग्य से हिंदी अखबार पढ़ने और समाचार चैनल देखने की आदत नहीं है 🙂
Girish Malviya : अंतराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने नोटबन्दी की तीसरी बरसी पर आर्थिक वृद्धि में आई कमी का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग पर अपना नजरिया बदल दिया है। भारत की सुस्त अर्थव्यवस्था को लेकर मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के बारे में अपने आउटलुक यानी नजरिए को ‘स्टेबल से ‘निगेटिव’ कर दिया है
यानी नोटबन्दी पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात ही सच साबित हुई है वैसे एक बात और हैं 2017 मूडीज़ ने जब रेटिंग बढाई थी तब रेटिंग आने के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए यह ट्वीट किया था
ट्वीट में लिखा था कि ”मूडीज़ का अपग्रेड मोदी सरकार की कड़ी मेहनत और सुधार प्रक्रिया का परिणाम है.” आज 2 साल के बाद वापस मूडीज ने देश की रेटिंग निगेटिव कर दी है तो क्या अमित शाह जो अब गृहमंत्री की कुर्सी पर बैठे हुए हैं वह मूडीज की आज की घोषणा पर कोई ट्वीट करेंगे?
दिल्ली के पत्रकार सत्येंद्र पी सिंह और आर्थिक विश्लेषक गिरीश मालवीय की एफबी वॉल से.