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सुख-दुख

अगर हफ्ते भर में चैनलों पर ‘चमकता उत्तर प्रदेश’ का विज्ञापन शुरू हो जाए तो समझना लखनऊ के निर्भया कांड की खबर बिक गई

पंकज कुमार झा : आप गौर कीजियेगा. अगर सप्ताह भर के भीतर टीवी चैनलों में चमकता उत्तर प्रदेश का विज्ञापन शुरू हो जाय तो समझ लीजियेगा कि लखनऊ के निर्भया कांड की खबर बेच ली गयी है. करीब दो घंटा तक टाटा स्काय के लगभग हर चैनल पर घूमता रहा. कभी भी मुझे लखनऊ दरिंदगी की कोई खबर नहीं दिखी. आपको दिखी क्या? बलात्कार जैसी चीज़ों पर लिखने से बचता हूं, लेकिन निर्भया जैसी ही घटना लखनउ में हुई है (दुर्भाग्य ये कि निर्भया भी उत्तर प्रदेश से ही थी) लेकिन कहीं विरोध के वैसे स्वर नहीं दिख रहे हैं. चित्र आप सबने देखा ही होगा. क्या कहूं, क्या किया जाय? शब्द नहीं है मेरे पास. सर पर मानो वही खून नाच रहा हो. उफ़.

(पत्रकार और बीजेपी एक्टिविस्ट पंकज कुमार झा के फेसबुक वॉल से.)

पंकज कुमार झा : आप गौर कीजियेगा. अगर सप्ताह भर के भीतर टीवी चैनलों में चमकता उत्तर प्रदेश का विज्ञापन शुरू हो जाय तो समझ लीजियेगा कि लखनऊ के निर्भया कांड की खबर बेच ली गयी है. करीब दो घंटा तक टाटा स्काय के लगभग हर चैनल पर घूमता रहा. कभी भी मुझे लखनऊ दरिंदगी की कोई खबर नहीं दिखी. आपको दिखी क्या? बलात्कार जैसी चीज़ों पर लिखने से बचता हूं, लेकिन निर्भया जैसी ही घटना लखनउ में हुई है (दुर्भाग्य ये कि निर्भया भी उत्तर प्रदेश से ही थी) लेकिन कहीं विरोध के वैसे स्वर नहीं दिख रहे हैं. चित्र आप सबने देखा ही होगा. क्या कहूं, क्या किया जाय? शब्द नहीं है मेरे पास. सर पर मानो वही खून नाच रहा हो. उफ़.

(पत्रकार और बीजेपी एक्टिविस्ट पंकज कुमार झा के फेसबुक वॉल से.)

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राजू मिश्र :  …. कल लखनऊ के मोहनलालगंज इलाके में एक बेवा के साथ दरिंदों ने ऐसी हरकत की जिसने समूची मानवता को शर्मसार कर दिया। नर पिशाचों ने उनकी अस्‍मत तो लूटी ही, निर्वस्‍त्र करके नाजुक अंगों में प्रहार करके उसे मौत की नींद सुला दिया। दरिंदों को जरा भी जाल नहीं आई, बेचारी के दो अबोध बच्‍चे भी हैं। मौका मुआयना करने आए पुलिस अफसर दरिंदगी की शिकार युवती के नग्‍न रक्‍त रंजित चित्र व्‍हाट्स एप पर धकापेल पोस्‍ट करने में जुटे रहे। फेसुबक पर भी कल से इस घटना के फोटो खूब पोस्‍ट किए जा रहे हैं। आखिर हम किस दिशा में बढ़ रहे हैं ? ऐसी घटनाओं के लिए जिम्‍मेदार कौन है?

(लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार राजू मिश्र के फेसबुक वॉल से)

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Jawahar Goel : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मलेशिया के विमान को मार गिराने पर शोक व्यक्त किया है। इस घटना पर अभी तक उनका ट्वीट नहीं आया। राम और कृष्ण की जन्म भूमि में राक्षसों का वास हो गया है।

(जी ग्रुप में वरिष्ठ पद पर कार्यरत जवाहर गोयल के फेसबुक वॉल से.)

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Ashish Maharishi : लखनऊ के रेप कांड को देखकर सबसे पहले मैं खुद से यही पूछता हूं कि‍ क्‍या मैं एक ऐसे प्रदेश से आता हूं जहां आज भी महि‍लाओं को इतनी बेरहमी के साथ रेप के बाद मार दि‍या जाता है। नग्‍न अवस्‍था में पड़ी उस महि‍ला की लाश को देखने के बाद भी यदि‍ आपकी आत्‍मा नहीं रोए तो आप इंसान नहीं हो सकते। यह सब सपा सरकार के शासनकाल में हो रहा है। अखि‍लेश यादव बुरी तरह असफल मुख्‍यमंत्री साबि‍त हो चुके हैं। मैं ऐसे प्रदेश और देश पर कभी नाज नहीं कर सकता हूं।

(दैनिक भास्कर से जुड़े पत्रकार आशीष महर्षि के फेसबुक वॉल से.)

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Vivek Singh : लखनऊ के बगल में ही पीजीआई में काम करने वाली एक युवती के साथ रेप के बाद जिस तरह दरिंदगी की गई उसे लिखा भी नहीं जा सकता। मुख्यमंत्री जी हमें कुछ नहीं चाहिए, बस भरोसा दे दीजिए। बस इतना चाहता हूं कि मेरी बहन जब पढ़ने के लिए, नौकरी के लिए या किसी भी वजह से घर से बाहर जाए तो हम डरे-डरे ना रहे। सच कह रहा हूं अगर जल्दी ही कुछ किया न तो लोग कोख से ही बेटियों को बाहर नहीं आने देंगे। बड़ी मुश्किल से हमारी बहनें बाहर पढ़ने जा पाई है, नौकरी कर रही हैं, पर अब वो डरने लगी हैं। सच कहूं तो मैं भी बहुत डरा हुआ हूं, घर वाले सहमें हैं। जल्दी कुछ कीजिए सीएम साहब। और ये कोई उलाहना नहीं है बस एक प्रार्थना है। सुना है आप सोशल मीडिया पर पढ़कर भी कार्रवाई कर देते हैं। तो बस एक ही प्रार्थना है…

(अमर उजाला में कार्यरत पत्रकार विवेक सिंह के फेसबुक वॉल से.)

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Madan Tiwary : एक लड़की के साथ पहले बलात्कार होता है फिर उसकी बेरहमी से हत्या. तस्वीरें बता रही हैं कितनी बेरहमी की गई, क्रूरता की हद है. यह घटना यूपी के जबरौली नामक गांव की है जहा सुबह में गाँव वालों ने इस लाश को देखा. वहा गाड़ी के पहिया का निशान मिला है. बीड़ी का एक बण्डल भी. लड़की के कपड़े फाटे हुए झाड़ियों में मिले हैं. लड़की ब्रांडेड कपड़े पहने हुए थी. मतलब गाँव की नहीं हो सकती. दुखद बात यहां ये है कि उस गाँव में क्लिंटन का प्रोग्राम था. प्रशासन ने सबूतों को इकट्ठा करने की बजाय मामले को जल्दी निपटाने यानी लाश हटाने का काम किया. लोगों की भीड़ लगी हुई थी. साक्ष्य मिट रहे थे. पुलिस खड़ी थी. कोई फोरेंसिक साक्ष्य नहीं लिया गया घटनास्थल का. यह घटना निर्भया वाली घटना से कम नहीं है. वहशीपन की इन्तहा है. इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. अविलंब सीबीआई जांच हो ताकि जल्दी से अपराधी पकड़े जाएं.

(बिहार के गया जिले के जाने माने वकील और पत्रकार मदन तिवारी के फेसबुक वॉल से.)

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Yashwant Singh : उफ… कोई शब्द नहीं है… लखनऊ के हर महिला पुरुष को सड़क पर उतर जाना चाहिए… अब किस दिन का इंतजार कर रहे हो… बिकाऊ मीडिया वाले बिकने तक खबर तान कर दिखाएंगे, फिर माल मिलते ही नए मुद्दे पर शिफ्ट हो जाएंगे…. बातें खूब हो रही हैं, वक्त भी बदल रहा है लेकिन ऐसे वीभत्स कांड रुक नहीं रहे… कुछ एक मामलों में रेपिस्टों को सीधे फांसी देने पर शायद बाकियों में भय समा जाए… उत्तर भारत के चरम सामंती समाज में सोच वही पहले वाली है… स्त्री माल की तरह है… घर की है तो अंदर रखो, बंद करके.. पराई है तो खुलेआम सामूहिक रूप से भोगो, पीटो, बांटो…. दुर्भाग्य है कि उत्तर भारत में जनता की चेतना का स्तर जैसा है, वैसी ही सरकारें भी राजकर रही हैं.. लखनऊ का एसएसपी प्रवीण कुमार काफी कलाकार आदमी माना जाता है. ‘इसका अपराध उसके सिर’ मढ़कर फर्जी तरीके से मामले खोलता रहा है… वह सत्ताधारी बड़े लोगों के दबाव और इशारे पर ही काम करता है, अपने विवेक इस्तेमाल न के बराबर करता है… उम्मीद करिए कि इस मामले में असली रेपिस्ट मर्डरर पकड़े जाएंगे..

(भड़ास के एडिटर यशवंत के फेसबुक वॉल से)

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Kashyap Kishor Mishra : यह वही रक्त है, जो बहता है और एक माँ पैदा होती है । सदमें मे हूँ, लखनऊ ऐसा तो न था, ये कौन लोग थे ? एक बेटा ऐसी हरकत तो नहीं कर सकता, तो क्या ये नराधम किसी माँ की औलाद नहीं है, तो किस कोख के जाये है ये ? लखनऊ के मोहनलालगंज जहाँ यह नृशंश वारदात हुई, बेशक वह जगह जरा सुनसान हैं, पर लखनऊ वालों के मन इतनें भी सूनें तो नहीं थे कि दर्द से कराहती, चीखँती एक औरत की गुहार उस सूनेपन की भेंट चढ़ जाए । कभी एक औरत के बिखरे खूँन को देखा था, रक्तरंजित शरीर और सद्ध-प्रसूत बगल में पड़ा बच्चा। अस्पताल लाते रास्ते में ही हो गया था, सबकुछ ! पता नहीं क्यों, जबकि उसके घर वाले राहत की साँसे भर रहे थे, मै रो पड़ा था । यह फैला हुआ रक्त मुझे उस सद्ध-प्रसूता की याद दिला गया। इस रक्त से गुजरकर ही पैदा हुए होंगे वे नराधम भी। यह रक्त उनकी माँ का रक्त है, काश उनकी पैैदाइस वाला रक्त और पैदा हुआ भ्रूण किसी नाली में बह गया होता । इन तस्वीरों से मुँह न चुराइये, हमारे मुँह चुरानें की हकीकत हैं यह तस्वीरें । अब तो जो है, उसे जस का तस, बिना ब्लर किए स्वीकारिये, शेयर कीजिए ।

(कश्यप किशोर मिश्रा के फेसबुक वॉल से.)

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Divya Shukla : कितनी बार शर्मसार होगी मानवता थू है इस समाज पर… कल ही हुई लखनऊ में बलात्कार की घटना सोचने पर मजबूर करती है… कौन कहता है हम सभ्य समाज में रह रहे हैं…. आदिमानव भी इतना क्रूर और संवेदनहीन न रहा होगा… माँसाहारी पशुओं में भी ऐसी क्रूरता अपनी मादाओं के प्रति नहीं होती…. कल ही मोहनलालगंज में हुई सामूहिक बलात्कार की क्रूरतम घटना ने तो… हाड़ तक कंपा दिये घृणा की लहर दौड़ गई …कितने कमीने कितने नृशंस हैं जिन्होंने इसे अंजाम दिया…. किसी न किसी औरत के गर्भ से ही तो जन्म लिया होगा…. कोई न कोई उनकी कलाई पर भी रक्षा सूत्र बाँधती ही होगी…. कैसे घसीटा होगा उन्होंने कलाई पकड कर उसके गर्भ पर प्रहार करते समय क्या उन्हें अपनी माँ न याद आई…. क्या देह की भूख इतना गिरा देती है….  अगर स्त्री से कोई दुश्मनी भी है तो क्या यह तरीका है उससे बदला लेने का…. मोहनलाल गंज के बलसिंह खेडा के प्राथमिक विद्यालय में एक युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी हत्या… इतनी बर्बरता तो पशुओं में भी नहीं होती…. आज अख़बार रंगे है निर्भया काण्ड से भी क्रूर काण्ड…. पता नहीं कब तक चलेगा ये सिलसिला कब तक आखिर कब तक…. घिन आती ऐसे पुरुषों से धिक्कार है उन पर…. अब तो लगता औरतों को ही माँ भवानी का स्वरूप धर इन दैत्यों का बध करना होगा…. अभी तक शिनाख्त भी नहीं हुई उस लड़की की… मन व्यतिथ और क्षोभ से भरा है — रोज़ रोज़ की यह घटनाएँ सोचने पर मजबूर करती है क्या औरतों का यही सम्मान है –यह वही देश है जहाँ देवी पूजी जाती है… कन्याये पूज कर आशीर्वाद लेते है और उन्ही का ऐसा अपमान – धिक्कार है

(दिव्या शुक्ला के फेसबुक वॉल से.)

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Vineet Kumar : हर बलात्कार की घटना टीवी के लिये एक-दो नये चेहरे पैदा करती है. साथ ही वो सरोकारी पुराने चेहरे जो फैब इंडिया, एम्पोरियम में घूमते-मटकते रहते हैं उन्हें वापस न्यूज़ रूम बुलाकर रीवा इव कर देती है..एक के बाद दूसरे टीवी चैनल के लिये स्पेस बनाकर उनकी वैनिटी बॉक्स का खर्च जुटा देती है. आपको टीवी की इन बहसों को सुनते वक़्त लगता होगा कि ये देश में बलात्कार की आखिरी घटना है लेकिन सच तो ये है कि दूसरी-तीसरी-चौथी की पृष्ठभूमि इसी बीच बन रही होती है. टीवी की ये बहसें घडी भर के लिये पैनिक करने के लिये होती है, बहुत कुछ बदलने के लिये नहीं..अगर ऐसा नहीं होता तो इन चेहरे के तर्कों का, भर्त्सना का असर नहीं हो गया होता..लेकिन नहीं, फिर-फिर बदाउं, फिर-फिर लखनऊ..

(मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार के फेसबुक वॉल से.) 

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Nutan Thakur : मोहनलालगंज कांड सहित तीन महिला अपराधों का अध्ययन… उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ महीनों में हुए गंभीर महिला अपराधों के परिप्रेक्ष्य में पीपल’स फोरम द्वारा मोहनलालगंज में घटी हालिया घटना, बदायूं दोहरी हत्या तथा गोमतीनगर, लखनऊ में लगभग एक साल पहले चार साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या की तीन महत्वपूर्ण महिला अपराधों का मौके पर अध्ययन किया जाएगा. यह अध्ययन मेरे तथा अमिताभ ठाकुर की टीम द्वारा किया जाएगा जिसमे इन घटनाओं के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, प्रशासनिक और विधिक पहलुओं पर विचार कर इनकी रोकथाम के लिए सुझाव दिए जायेंगे. हम इस अध्ययन की शुरुवात कल 19 जुलाई को मोहनलालगंज मौका-मुआयना के साथ करेंगे. Study of 3 women-related offences including Mohanlalganj case… In the wake of serious women related crimes happening in various parts of Uttar Pradesh in the last few months, the People’s Forum has decided to conduct an on-the-spot study of three such serious offences, including the recent Mohanlalganj brutal rape incidence, the Badaun twin murder case and the sexual assault-cum-murder case of a 4 years girl in Gomtinagar area, Lucknow a few months ago. I and husband Amitabh Thakur shall be conducting this on-the-spot study which shall be focusing on the social, political, cultural, legal and administrative aspects related with each of these cases and shall present their suggestions for curbing such crimes. We shall begin their study by visiting Mohanlalganj spot tomorrow (19 July).  ‪

(लखनऊ की सोशल एक्टिविस्ट नतून ठाकुर के फेसबुक वॉल से.)

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Aam Aadmi Party Uttar Pradesh : यूपी सरकार के लिए इससे शर्मनाक बात क्या हे सकती है कि लखनऊ के जिस इलाके में पिछले हफ्तेभर से सबसे ज्यादा पुलिस गश्त कर रही है, वहीं गैंगरेप हुआ है। गैंगरेप भी मामूली नहीं, स्कूल की चौखट पर वो भी निहायत निदर्यता से। रेप ऐसा कि 80 मीटर तक खून बहकर चला गया और रेपिस्ट खुलेआम घूम रहे हैं। स्कूल परिसर में लगे नल, झाडिय़ों और स्कूल के चबूतरे तक पर हर तरफ खून ही खून बिखरा था। हर तरफ युवती के कपड़े के तीथड़े पड़े हुए थे। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यक्रम स्‍थल से 6 किमी दूर लखनऊ में हुए इस गैंगरेप ने यूपी को एक बार फिर शर्मसार किया है। कुछ भी हो, पर इस खौफनाक वारदात से यूपी सरकार के महिला सुरक्षा के दावे खोखले साबित हो गए हैं।

(‘आप’ उत्तर प्रदेश के फेसबुक वॉल से.)

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शंभूनाथ शुक्ल : असंख्य लोगों ने मेसेज बॉक्स में आकर कहा है कि आप मोहनलाल गंज कांड पर कुछ लिखिए। पूरा दिन मैं सोचता रहा पर न तो कोई उपलब्ध साक्ष्य थे न कोई जानकारी। अब फेसबुक पर शर्मनाक फोटो डालने वालों की तरह गैर जिम्मेदाराना तरीके से तो कुछ नहीं लिखा जा सकता। खैर श्री जफर इरशाद की पोस्ट से लगा कि अगर कुछ करना है तो करो इस तरह। फिजूल में बतंगड़ से क्या फायदा? उठाइए मशाल और निर्भया कांड की तरह लोगों को जोडि़ए पर इस तरह वीभत्स और शर्मनाक फोटो अपलोड कर नहीं। धन्यवाद Zafar Irshad जी।

“हम सो सो कर जागते है, ऐसे ही तब हम जागे थे जब दिल्ली में निर्भया काण्ड हुआ था, अब लखनऊ में ऐसा ही काण्ड हुआ है..2 साल बाद एक बार फिर फेसबुक के क्रांतिकारी और महिलाओं के हक़ के लड़ने वालो की नींद खुली है..अब अगर आप इतने ही महिलाओं–बेटियों के समर्थक है,तो उनकी सुरक्षा के लिए एक लम्बी लड़ाई क्यों नहीं लड़ते.? तब तक जब तक इस गन्दगी से छुटकारा न मिल जाए..लेकिन देखिएगा भेड़चाल फेस बुक की, दो दिन तक तो उन्हें यह काण्ड याद रहेगा, उसके बाद सब भूल जाएंगे..फिर अपनी शेर-शायरी-मोहब्बत के किस्से शुरू हो जाएंगे, यह फेस बुक वालो का भी सीजन चलता है, दो दिन पहले तक वैदिक-हाफ़िज़ से रंगा हुआ था पूरी वाल..अब लखनऊ का बलात्कार, अरे अगर विरोध करना है, तो उठों और लड़कियों के खिलाफ छेड़छाड़ या बलात्कार के खिलाफ “यलगार” छेड़ दो..खाली बातो से कुछ होने वाला नहीं है”.

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(वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल के फेसबुक वॉल से.)

Zafar Irshad : हम सो सो कर जागते है, ऐसे ही तब हम जागे थे जब दिल्ली में निर्भया काण्ड हुआ था, अब लखनऊ में ऐसा ही काण्ड हुआ है..2 साल बाद एक बार फिर फेसबुक के क्रांतिकारी और महिलाओं के हक़ के लड़ने वालो की नींद खुली है..अब अगर आप इतने ही महिलाओं–बेटियों के समर्थक है,तो उनकी सुरक्षा के लिए एक लम्बी लड़ाई क्यों नहीं लड़ते.? तब तक जब तक इस गन्दगी से छुटकारा न मिल जाए..लेकिन देखिएगा भेड़चाल फेस बुक की, दो दिन तक तो उन्हें यह काण्ड याद रहेगा, उसके बाद सब भूल जाएंगे..फिर अपनी शेर-शायरी-मोहब्बत के किस्से शुरू हो जाएंगे, यह फेस बुक वालो का भी सीजन चलता है, दो दिन पहले तक वैदिक-हाफ़िज़ से रंगा हुआ था पूरी वाल..अब लखनऊ का बलात्कार, अरे अगर विरोध करना है, तो उठों और लड़कियों के खिलाफ छेड़छाड़ या बलात्कार के खिलाफ “यलगार” छेड़ दो..खाली बातों से कुछ होने वाला नहीं है.

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(कानपुर के पत्रकार जफर इरशाद के फेसबुक वॉल से.)

Yashwant Singh : दलालों वाली भाषा में बात मत करो कि लड़की की फोटो क्या लगा दिया और मोमबत्ती यहां क्यों नहीं जला दिया ब्ला ब्ला… अबे… अगर सरकार से सेटिंग कर ली है तो चुप्पी साधे रहो… बकवास न करो… ये तस्वीर प्रतीक है कि उत्तर प्रदेश समेत संपूर्ण उत्तर भारत में स्त्री का हाल कितना बेहाल है. ये तस्वीर उन्हें झकझोरने के लिए है जिनकी चमड़ी मोटी हो गई है.. ये तस्वीर मुर्दा हो चुके लखनऊ के नागरिकों को जिंदा बनाने के लिए.. ये तस्वीर भ्रष्ट पुलिस तंत्र को आइना दिखाने के लिए है कि जब थाने पुलिस सब कुछ बिक रहा हो तो कैसे सुरक्षित रह सकती है स्त्री… ये तस्वीर भ्रष्ट सत्ताधारी नेताओं की नींद हराम करने के लिए है कि उनके उगाही राज में केवल खास जन मौज मजे में हैं, आम जन तो खून खून लथपथ हैं… दूसरों को लड़ाई के लिए लेक्चर देने वाले तुम पत्रकार लोग अगर खाल मोटी हो ली है तो चुप्पी साध ले.. काहे को दूसरों की लड़ाई में रोड़ा बन रहे हो… मत समझाओ क्या गलत है क्या सही है… मत समझाओ कहां क्या करना चाहिए और किसको क्या करना चाहिए… तुम खुद देखो कि तुम्हें क्या करना चाहिए और तुम जो कर रहे हो वह किसके एजेंडे के तहत कर रहे हो…

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http://goo.gl/mq851R

उन लोगों के लिए जो लखनऊ के निर्भया कांड को किन्हीं अघोषित एजेंड के तहत फोटो-मोमबत्ती को लेकर आपत्ति सलाह सवाल आदि के नाम पर डायलूट कर रहे हैं..

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(भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.)

Dayanand Pandey : दो साल पहले जब दिल्ली में निर्भया के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घटा था, तत्कालीन सरकार ने लीपापोती की थी और सिंगापुर में उस का निधन हो गया था। लेकिन तब जो गुस्सा दिल्ली में फूटा था वह गुस्सा अब कहीं बिला गया है। अगर वह गुस्सा बरकरार रहा होता तो यह जो आए दिन कहीं न कहीं, किसी न किसी बहन या बेटी के साथ दुर्भाग्यपूर्ण घट रहा है नहीं घटता। और अब तो जैसा लगता है कि लोग नपुंसक हो गए हैं। इन घटनाओं के प्रति लोगों का गुस्सा अब सड़क पर नहीं दिखता, नहीं फूट्ता। l लखनऊ में मोहनलाल गंज की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद आज मुलायम सिंह जैसे नेता आंकड़ों की ढाल ले बैठे और कहने लगे कि २१ करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में यह बलात्कार का आंकड़ा बहुत कम है। इसी तरह कुछ दिन पहले बलात्कार में फांसी पाए लोगों की पैरवी में वह कह रहे थे कि बच्चे हैं, बच्चों से गलती हो जाती है। उन को फांसी नहीं दी जानी चाहिए । खैर, जब दो साल पहले दुर्भाग्यपूर्ण निर्भया घटा था तब यह लेख लिखा था । दुर्भाग्य से यह लेख आज भी प्रासंगिक है।

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http://sarokarnama.blogspot.in/2012/12/blog-post_29.html

(लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार दयानंद पांडेय के फेसबुक वॉल से.)

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0 Comments

  1. Krishna Kant

    July 18, 2014 at 11:57 am

    इस घटना के लिए जितनी भी निद्ना कि जाएँ कम है ओर इसकी अविलंब सीबीआई जाँच होनी चहिअ. और उस लड़की कि आत्मा कि सांति के लिए unlimitedweb.in टीम प्रार्थना करेगी.

  2. Krishna Kant

    July 18, 2014 at 11:57 am

    [quote name=”Krishna Kant”]इस घटना के लिए जितनी भी निद्ना कि जाएँ कम है ओर इसकी अविलंब सीबीआई जाँच होनी चहिअ. और उस लड़की कि आत्मा कि सांति के लिए unlimitedweb.in टीम प्रार्थना करेगी

  3. ishwari dwivedi

    July 18, 2014 at 12:26 pm

    nothing good will happen unless such kind of misguided and dishonest IAS officer are in this state who says, “Not toTalk about the CM, Neta Ji is unable to stop us from our desired posting. Because in Myawati’s Govt I made Rs 5 Cr. for the construction of Neta Ji’s bunglow’ for which only 50 Lacs were being sactioned

  4. sunil luna

    July 18, 2014 at 1:06 pm

    hume awaz uthani chaiye en kameeno mawaliyon par

  5. sunil luna

    July 18, 2014 at 1:08 pm

    hume awaz uthani chaiye en sab badmaso per

  6. Rahul Sharma

    July 18, 2014 at 2:00 pm

    अरे शर्म से डूब मरो दुष्कर्म करनेवालों। इतनी गंदी हरकत करने से पहले कम से कम अपनी मां, बहन और बीवी का चेहरा तो देख लिया होता, एक औरत का सबकुछ छीननेवालों, तुम से बड़ा छक्का और कायर आज तक नहीं देखा, और उससे भी बड़े कायर वो जो अब तक तमाशा देख रहे हैं, माननीय न्यायपालिका से अपील है कि इस निर्भया को भी इंसाफ दिलाएं। और अच्छे दिन लानेवाली केंद्र सरकार भी इस पर जरुर सोचे। यूपी की गुंडी सरकार से तो रहम की कोई उम्मीद ही नहीं।क्योंकि मुलायम वैसे ही ब्लात्कारियों के प्रति मुलायम हैं और अखिलेश उनकी ही जबान बोलते हैं

  7. khurram nizami

    July 18, 2014 at 2:50 pm

    ENOUGH IS ENOUGH

    Before victimised
    Now politicised
    certainty is now uncertainty
    Enough is enough.

    Death condoled
    Cruelity loathed
    Faces shine
    Enough is enough.

    But about pain, no one talks
    Family peeved, who cares
    Agenda shines
    Enough is enough.

    Let’s pledge
    Let’s change the ambience
    Come change the world
    Enough is enough.

    Khurram nizami

  8. AJAY PASWAN

    July 18, 2014 at 3:07 pm

    iऐसी घटनाओं पर जितना भी दुःख व्यक्त किया जाय वो कम पड़ेंगा।
    KILL THEM AT SPOT…..

    नैतिक जिम्मेवारी लेते हुए मुख्यमंत्री को इस्तीफा कर देना चाहिये।

  9. mahendra agrawal

    July 18, 2014 at 6:01 pm

    wah re sarkar aur naye jamane ke hum. hum to etne darinde to nahi the phir yeh sab kaun kar raha hai. uska to sare aam sadak per sar kalam kar dena chahiye. aise pasuo ko pakar kar public ke hawale kar de bas.

  10. आदर्श तिवारी

    July 19, 2014 at 8:29 am

    हमे फिर सड़क पर आना होगा ,बस उसी हाथो में मोमबत्ती कि जगह हथियार होंगे
    हमे फिर जगना होना ,हमे फिर शपथ लेना होगा !
    आज के अख़बार से मालूम चला हैं कि लखनऊ ने जिस महिला से दरिंदगी हुई हैं ,वह हमारे गृह जनपद देवरिया से हैं तो मन अन्दर ही अन्दर रो दिया ,उफ्फ ….

  11. पीयूष मिश्र

    July 19, 2014 at 10:51 am

    सदमें मे हूँ, लखनऊ ऐसा तो न था, ये कौन लोग थे ? एक बेटा ऐसी हरकत तो नहीं कर सकता, तो क्या ये नराधम किसी माँ की औलाद नहीं है, तो किस कोख के जाये है ये ?
    लखनऊ के मोहनलालगंज जहाँ यह नृशंश वारदात हुई, बेशक वह जगह जरा सुनसान हैं, पर लखनऊ वालों के मन इतनें भी सूनें तो नहीं थे कि दर्द से कराहती, चीखँती एक औरत की गुहार उस सूनेपन की भेंट चढ़ जाए ।
    कभी एक औरत के बिखरे खूँन को देखा था, रक्तरंजित शरीर और सद्ध-प्रसूत बगल में पड़ा बच्चा। अस्पताल लाते रास्ते में ही हो गया था, सबकुछ ! पता नहीं क्यों, जबकि उसके घर वाले राहत की साँसे भर रहे थे, मै रो पड़ा था ।
    यह फैला हुआ रक्त मुझे उस सद्ध-प्रसूता की याद दिला गया। इस रक्त से गुजरकर ही पैदा हुए होंगे वे नराधम भी। यह रक्त उनकी माँ का रक्त है, काश उनकी पैैदाइस वाला रक्त और पैदा हुआ भ्रूण किसी नाली में बह गया होता ।

  12. kishangolchha

    July 20, 2014 at 8:18 am

    हर एक पाँव उसे रौंदते हुए गुज़रे किशन….
    ना जाने कौन सी मंजिल का रास्ता थी वो….

  13. harshita agarwal

    July 20, 2014 at 3:29 pm

    Lucknow aisa to nahi tha…ye kya ho gya lucknow ko…in a big shock…ye hua wednesday ko hai bt bht se logo ko abhi tk ye pta bhi nahi hai….kya yhi farq hai desh ki rajdhani or desh ke kisi state ki rajdhani me….we have to stand up for this lady…Delhi mein yhi hua to media me cover kar liya….par Lucknow ka kya….no media, no protests, no candle march…i request everyone to stand up for her….she needs justice….!!

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