Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

परीक्षा माफिया की चपेट में यूपी, क्या दरोगा भर्ती परीक्षा भी रद्द करेंगे योगी

रवीश कुमार-

शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी की परीक्षा के लिए 19 लाख से अधिक परीक्षार्थी घरों से निकले थे। परीक्षा शुरू नहीं हुई कि प्रश्न पत्र लीक होने और परीक्षा के ही रद्द किए जाने की ख़बरें आने लगी। इस परीक्षा को लेकर आज के अमर उजाला में पहले पन्ने की ख़बर छपी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसी अमर उजाला के अलग अलग ज़िलों के संस्करण में हर दिन दरोगा भर्ती परीक्षा से जुड़ी ख़बरें भी छप रही हैं। आगरा, अलीगढ़, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ से अभी तक 27 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं जो पैसे लेकर दूसरे के बदले परीक्षा देने या दिलाने का काम करते थे। दरोगा भर्ती की परीक्षा 12 नवंबर से शुरू होकर 2 दिसंबर तक चलने वाली है। इस परीक्षा में भी 12 लाख से अधिक परीक्षार्थी हिस्सा ले रहे हैं। उन पर ऐसी ख़बरों का क्या असर होता है, जो पढ़ने वाला छात्र है वह हर समय इस आशंका से घिरा रहता होगा कि कोई पैसे दकर प्रश्न पत्र हल कर देगा और पैसे देकर इंटरव्यू और शारीरिक परीक्षा पास कर जाएगा।

इन शिक्षक पात्रता परीक्षा और दरोगा भर्ती परीक्षा में शामिल 28 लाख परीक्षार्थियों से एक बार आप सर्वे कर लें। आपको पता चल जाएगा कि उन्हें यूपी की कानून व्यवस्था में कितना यकीन है। यूपी की परीक्षा व्यवस्था में कितना यकीन है। अगर आप चाहते हैं कि राजस्थान और बिहार में ऐसा सर्वे करने के लिए तो प्लीज़ वहां भी करें। हर पार्टी की सरकार ने सरकारी भर्ती परीक्षा को मज़ाक बना दिया है। युवा ही बता सकते हैं कि इस मामले में किसकी सरकार बेहतर काम कर रही है। भर्ती निकालने में और समय से परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करने में और बिना चोरी और पैरवी की धांधली के संपन्न कराने में। आपको नतीजा मिल जाएगा।

मेरी दिलचस्पी बस इतनी है कि इन युवाओं को एक ऐसी परीक्षा व्यवस्था मिले जो हर प्रकार के संदेह से ऊपर हो।अब युवाओं को इसकी जगह झूठ और धार्मिक उन्माद से भरा राजनीतिक भाषण चाहिए तो यह उनकी मर्ज़ी है। अगर उन्हें लगता है कि तीर्थयात्रा और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होकर नंबर बढ़ाना सरकार का काम है तो यह युवाओं की मर्ज़ी है। फिर उन्हें ऐसी ही परीक्षा व्यवस्था मिलेगी। अगर वे राजनीति में धर्म के तरह-तरह के प्रकार के इस्तमाल को अच्छा मानते हैं तो फिर उन्हें लंबे समय तक बेरोज़गार होने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। मैंने तरह-तरह के इस्तमाल लिखा है क्योंकि सांप्रदायिकता केवल एक इस्तमाल है। तीर्थयात्रा भी एक इस्तमाल है। दीपोत्सव एक इस्तमाल है। अगर आप यही चुनते हैं तो फिर आप नौकरी या आर्थिक नीतियों के विकल्पों पर बहस के मुश्किल रास्तों को छोड़ दीजिए। अच्छी परीक्षा व्यवस्था और प्रक्रिया की बात छोड़ दीजिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक महीने के बाद फिर से शिक्षक पात्रता परीक्षा कराई जाएगी लेकिन क्या वे दरोगा भर्ती परीक्षा भी फिर से कराना चाहेंगे? बेशक हम कई ज़िलों से सॉल्वर गिरोह के पकड़े जाने की ख़बरें देख रहे हैं लेकिन क्या यह यकीन से कहा जा सकता है कि दरोगा भर्ती परीक्षा में प्रश्न पत्र लीक नहीं हुआ, जिन केंद्रों पर सॉल्वर गिरोह नहीं पकड़ा गया, वहां वाकई चोरी नहीं हुई होगी? दरोगा भर्ती परीक्षा में भी 27 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। इस परीक्षा से जुड़े छात्रों को किस मानसिक तनाव से गुज़रना पड़ रहा होगा, इसका अंदाज़ा छात्रों को होगा। अब यह पैटर्न हो चुका है। यह पैटर्न सरकार के हित में है। सरकार नौकरियां नहीं देना चाहती है। राजनीतिक दबाव में देने पर मजबूर हुई है वर्ना तो भूल गई थी। इसलिए एक रास्ता निकाला गया है। परीक्षा आयोजित करो। उसे विवादित बन जाने दो ताकि परीक्षा होने के नाम पर होती ही रहे। दो चार परीक्षा समय से करा दो ताकि उसका प्रचार कर अपने मुख्यमंत्री होने के गौरव का प्रचार होता रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यानथ के भाषणों को देखिए जिनसे हेडलाइन बन रही है। हर दूसरे भाषण में माफिया पर ज़ोर है। यह ज़ोर कानून व्यवस्था के नाम पर होता है लेकिन इसका टोन सांप्रदायिक होता है। कानून व्यवस्था के कवर में एक ही समुदाय को दंगाई से लेकर माफिया तक के रंग में रंगा जा रहा है।दोनों के भाषणों के तेवर से माफिया की परिभाषा बदल गई है। जब आप इसी राज्य की दूसरी खबरों को पलट कर देखते हैं तो अपराध के अलग अलग स्वरुप नज़र आते हैं। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री उन अपराधों को माफिया की श्रेणी में नहीं रखेंगे क्योंकि इससे उनके भाषणों का वो टोन हल्का हो जाएगा जो गौरववाद की राजनीति का जोश भरता है। आप देख रहे हैं कि यूपी में परीक्षा माफिया कितना खतरनाक और दुस्साहसी हो चुका है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप गूगल में दरोगा भर्ती परीक्षा, सॉल्वर गिरोह, उत्तर प्रदेश और अमर उजाला टाइप करें। यह परीक्षा 12 नवंबर से 2 दिसंबर के बीच चल रही है। अभी भी जारी है। इस परीक्षा का आयोजक उत्तर प्रदेश का पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड है। राज्य के 18 ज़िलों में अलग-अलग दिन पर यह परीक्षा आयोजित होती है। 9534 पदों के लिए हो रही इस परीक्षा में 12 लाख से अधिक परीक्षार्थी हिस्सा ले रहे हैं।यह परीक्षा अलग अलग दिनों पर हो रही है और अलग अलग दिनों में कभी दो, कभी तीन और कभी पांच लोगों के पकड़े जाने की ख़बरें आ रही हैं। इसलिए विपक्ष की नज़र नहीं है और न ही योगी आदित्यानाथ बुलडोज़र चलाने की हुंकार भर रहे हैं।

वैसे बुलडोज़र चलाने की भाषा और अधिकार पर अलग से गंभीर अध्ययन के बाद बहस होनी चाहिए।आज कल अपराधियों का जिस तरह से सांप्रदायिकरण हुआ है, उससे एक समाज में असुरक्षा बढ़ी है। इसका कारण गोदी मीडिया और आईटी सेल है। अगर सारे अपराधी मुसलमान होते तो आज यही मीडिया परीक्षा जिहाद चला रहा होता। आपको याद है कि जब जामिया के कुछ छात्र यूपीएससी में बेहतर कर गए तो एक चैनल ने इसे जिहाद बनाकर चलाया था।उस चैनल को सुप्रीम कोर्ट से डांट पड़ी थी। यही कारण है कि आज अल्पसंख्य समुदाय सबसे पहले यही देखता है कि कोई अपराधी मुसलमान तो नहीं वर्ना सारे मुसलमानों को आतंकी और अपराधी बता दिया जाएगा। इसकी आड़ में सामान्य अपराधियों के पांव में गोली मार दी जाएगी या घर पर बुलडोज़र चला दिया जाएगा। कानून का फैसला आने से पहले कार्रवाई के नाम पर कुछ और हेडलाइन बना दी जाएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अपराध को अपराध की नज़र से देखिए। आपको कई ऐसी खबरें मिलेंगी जिसमें हर जाति धर्म के लोग शामिल मिलेंगे। अपराध का संबंध राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों से होता है। दरोगा भर्ती परीक्षा में गिरफ्तार और फरार कुछ नाम अमर उजाला में छपे मिले हैं। अनुभव सिंह,योगेंद्र सिंह, हरेंद्र सिंह,राजवीर सिंह,सिकेंद्र कुमार ठाकुर,अंकित कुमार श्रीवास्तव, संतोष यादव, नीरज लाकड़ा, अभिनाश यादव, नित्यानंद गौड़,, सेनापति साहनी, जीतू, अविनाश कुमार, बंटी कुमार, सुमित, सतेंद्र यादव, सिपाही रवि, इमरान,दीपक, मानवेंद्र, आशूतोष कुमार, विद्याशंकर। ये चंद नाम हैं जो दरोगा भर्ती परीक्षा में सॉल्वर गिरोह के सदस्य के रुप में पकड़े गए हैं।

अगर आपको लगता है कि इस लेख में आपके राज्य की परीक्षा की बात नहीं हुई है तो उसके लिए मुझे अलग से कोई मैसेज न करें। न जानकारी दें। यह जो लिखा है अपने निजी समय की कीमत पर किया है। जिस राज्य के लिए लिखा है उसी में ठीक हो जाए तो बाकी राज्यों में सुधार का कारण बन जाएगा। मैंने जितना हो सका उतनी कोशिश की कि सरकारी भर्ती की परीक्षा के मुद्दे को राजनीति के केंद्र में लाया जाए। वो बहुत तक आया भी है। आज योगी सरकार ने जगह जगह बोर्ड लगाए कि कितनों को सरकारी नौकरी दी है, इसी तरह से हर दल चुनावों में इसे लेकर अलग से वादा करता है। तीन चार महीने तक हर रात नौ बजे एक ही विषय पर प्राइम टाइम करना आसान नहीं था। तब भी शो में कहता था कि दुनिया के टीवी में ऐसा नहीं हुआ है और न ऐसा दोबारा होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बाद भी मैंने नौकरी सीरीज़ बंद कर दी है। मेरे पास हर राज्य में रिपोर्टर नहीं है। और यह समस्या इतनी बड़ी है कि हर दिन नहीं कर सकता। मैंने बिहार से जुड़ी ख़बरें भी नहीं की है और न मध्यप्रदेश और राजस्थान से जुड़ी। मेरा मूल सवाल है परीक्षा व्यवस्था ठीक हो। मैं इसे कांग्रेस बीजेपी की नज़र से नहीं देखता। कल ही किसी ने कहा कि बिहार के कुछ लड़के हैं। रेलवे की लोको पायलट की परीक्षा का सारा काम होने के बाद भी ज्वाइनिंग नहीं हुई है तो मैंने मना कर दिया। क्योंकि वो करता तो तुरंत कोई कहता कि पंजाब से कीजिए और झारखंड से कीजिए।जब आप युवा धर्म और जाति आधारित इस राजनीति के एक्सपर्ट हो ही गए हैं तो एक दिन नौकरी को राजनीति के केंद्र में लाने के मामले में भी एक्सपर्ट हो जाएंगे। इतना तो मुझे आप पर भरोसा है। वो आप कर भी रहे हैं। इसलिए मुझे बिहार झारखंड राजस्थान, मध्यप्रदेश या बंगाल की परीक्षा से जुड़ी खबरें न भेजें। मैं नहीं कर सकता। मेरे पास रिसोर्स नहीं है। इसे लेकर मैं पहले भी विस्तार से लिख चुका हूं।

इसी के साथ मैं अमर उजाला में छपी उन खबरों की क्लिप पोस्ट कर रहा हूं जो दरोगा भर्ती परीक्षा में हो रही धांधली से संबंधित हैं। इसी के साथ मुझे हर दूसरे राज्य की धांधली की खबर न भेजें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

विवेकानंद सिंह-

शिक्षा व्यवस्था चौपट है! कल यूपी में टीईटी के प्रश्नपत्र लीक की खबर ने 2012 की यादें ताजा कर दी। नीचे तस्वीर में अखबारों में छपी मेरी दो चिट्ठी और टीईटी सर्टिफिकेट है। एक चिट्ठी दैनिक जागरण अखबार में छपी थी और दूसरी उसके चार दिन बाद प्रभात खबर में। दरअसल, 2012 में बिहार में पहली बार एस’टीईटी की परीक्षा हुई थी।

परीक्षा की पूर्व संध्या में प्रश्नपत्र पैसे खर्च करने वालों छात्रों तक पहुंच चुके थे। मुझे इसकी खबर परीक्षा के दिन लगी। हॉस्टल के अधिकांश छात्रों तक प्रश्नपत्र पहुंच चुका था। परीक्षा के बाद जब उन प्रश्नपत्रों का मिलान किया था, तो हुबहू सवाल मिल रहे थे। मेरे तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मैंने इस बात के खिलाफ आवाज उठाने की सोची, अखबार के दफ्तर गया। वहां अपनी बात कही, साक्ष्य अखबार के पत्रकारों के पास पहले से थे। डीएम के पास गया, तो उन्होंने कहा कि भागलपुर में कहीं प्रश्नपत्र का सील नहीं टूटा। अगर आप कहेंगे कि मेरे पास साक्ष्य है, तो पहले मैं आपको ही पकडूंगा कि यह आपके पास कहां से आया, इसलिए जाने दीजिए, जो हुआ सो हुआ।

मेरे हॉस्टल के कुछ साथी छात्र भी मेरे द्वारा अखबार में पत्र लिखने से नाराज हो गये। बोलने लगे कि तुम ढेर ही काबिल बन रहे हो, यह कोई नौकरी की परीक्षा थोड़ी है, भले तो ज्यादा लोग पास होकर रहेंगे। यह तो महज पात्रता परीक्षा थी। अंततः परीक्षा रद्द नहीं ही हुई। सिर्फ मुंगेर के कुछ सेंटर्स की परीक्षा रद्द हुई थी। उस समय व्हाट्सएप का भी इतना जोर नहीं था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हालांकि, किसी तरह मैं भी उस पात्रता परीक्षा में पास कर गया, लेकिन, व्यवस्था से मन उचट गया। अंततः तय किया कि बिहार की नियोजन वाली मास्टरी नहीं करनी है। भले बेरोजगार क्यों न रहना पड़ जाये। इसी जोश में बीएड की पढ़ाई बीच में छोड़ कर पत्रकारिता करने चला गया। कुल मिलाकर नीतीश जी ने भले कई बहुत से अच्छे काम किये हों, लेकिन बिहार की शिक्षा-व्यवस्था को और चौपट ही किया है। यूपी का हाल भी वही है।


सत्येंद्र पीएस-

Advertisement. Scroll to continue reading.

सरकारी नौकरियों की परीक्षा में पेपर लीक सबसे शानदार बिजनेस मॉडल बनकर उभरा है। हाल में यूपी पेपर लीक को लेकर तरह तरह की बातें कही जा रही हैं जिसमें बताया जा रहा है कि लगातार पेपर लीक हुए हैं। मैं उदाहरण, कहानियों के माध्यम से इसे समझाने की कोशिश करूंगा। बिजनेस समझा पाना बेहद टिपिकल होता है, लेकिन कुछ उदाहरणों, कहानियों से समझाने की कोशिश करूंगा।

रिश्वत लेकर नौकरी देना पुराना मॉडल है। इससे कमाई बहुत सीमित है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि गोरखपुर विश्वविद्यालय में 50 असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी आई। इस समय जनरल में असिस्टेंट प्रोफेसर का 25-30 लाख, ओबीसी में 20 से 25 लाख और एससी एसटी में 15 लाख रुपये तक रेट चला है। इतना पाने के लिए सरकार को नियुक्ति के मानक कम करने पड़े और एमए तक पढ़े बच्चों को भी असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया गया। जबकि पहले पीएचडी, 2-3 किताब लिख चुके और पहले से किसी डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे व्यक्ति को यूनिवर्सिटी में नियुक्ति में वरीयता मिलती थी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक दिक्कत इस सरकार में और आई। एक केस में ओबीसी बन्दा 30 लाख रुपये की बोली लगा दिया और उसने अनुरोध किया कि ओबीसी सीट नहीं है तो जनरल में नियुक्ति करिये, वह सीट सबके लिए होती है, रेट से 5 लाख ज्यादा दूँगा। उसके कैंडीडेट को नियुक्ति नहीं मिल पाई। उससे कहा गया कि ऊपर से निर्देश है, जनरल सीट पर ओबीसी नहीं रख सकते, वह सीट महज 24 लाख रुपये में बिक पाई, वह भी महज एमए पढ़ी लड़कीं मिल पाई। जबकि ओबीसी कैंडिडेट ने न सिर्फ पीएचडी की थी, बल्कि उसकी 2 किताबें भी पब्लिश हो चुकी थीं।

अब कमाई देखें। अगर 40 वैकेंसी है तो प्रति कैंडिडेट औसत 20 लाख रखें तो महज 8 करोड़ रुपये की कमाई हुई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यूनिवर्सिटी में कुलपति कभी भी नियुक्ति में पैसे नही खाते थे। आप कल्पना करें कि बीएचयू में अगर कोई कुलपति 400 करोड़ रुपये की एक परियोजना लाता है। अगर वह बहुत ईमानदार है तो उसमें उसका 5% बिन मांगे कमीशन बनता है। यानी एकमुश्त 20 करोड़ रुपये उसे मिल जाएंगे। बाकी को बिल्डर मैनेज करेगा। जबकि वह नियुक्ति में 8 करोड़ रुपये पाता है तो दुनिया भर के प्रेशर, तमाम लेवल पर फजीहत और कमीशन तय होते हैं।
उम्मीद है कि कुछ कुछ समझ में आया होगा।

एक और एग्जामपल। एक डिपार्टमेंट के हेड मणि जी हुआ करते थे। उनसे पूछा गया कि सर आप बगैर रिश्वत के एक भी नियुक्ति नहीं करते। उन्होंने कहा, यह आधा सच है, आधा गलत। उन्होंने बताया कि 20 वैकेंसी पर 50 कैंडीडेट लिए जाते हैं। मेंस पास करते ही रेट का प्रचार हो जाता है। कभी कभी 50 में 45 कैंडीडेट पैसे पहुंचा जाते हैं। उसमें से अमूमन पैसे देनेवाले ही 20 सलेक्ट हो जाते है। 25 को पैसे वापस कर देता हूँ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अगर कहीं कोई प्रोपर्टी दिख गई और उसे लगा दिया तो अभ्यर्थी किस्तों में 4 साल बाद पैसे मिलने पर संतुष्ट हो जाते हैं और इधर 4 साल में रियल एस्टेट से उतना पैसा निकल आता है। (सम्भव है कि यह कहानी पहले भी सुनाई हो, अभी सुनाने का मकसद यह है कि पैसे लेकर नियुक्ति के मामले में ईमानदारी की बड़ी भूमिका है। सलेक्शन न होने पर पैसे वापस करने होते हैं, न करने पर मार्केट खराब हो जाता है और फिर बिजनेस ही नहीं आएगा।

इसकी तुलना में पेपर लीक बड़ा कारोबार है। मान लीजिए कि 10,000 वैकेंसी आई। इसके लिए 20 लाख लोगों ने फार्म डाले। अगर एक लाख ग्राहक भी मिल गए और हर किसी से एक लाख रुपये मिल गए तो 100 करोड़ रुपये का कारोबार होगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसमें सलेक्ट न हो पाने पर कोई तकलीफ नही होती। रिश्वत। देने वाले अपने बच्चे को ही गरियाकर काम चला लेते हैं कि पेपर आउट कराया, इस गदहे को भी तो कुछ करना चाहिए था। एकदमे नास दिया, फेल हो गया।

मान लीजिए कि 400 नम्बर के 2 पेपर हैं और एक आउट करा दिया। ऐसे में कोई जरूरी नहीं कि आउट पेपर में 200 नम्बर पाकर बगैर आउट पेपर में कैंडिडेट इतना कर ले जाए कि उसका चयन हो जाए। इस समय वैकेंसी इतनी कम है कि बगैर पेपर आउट के बच्चे अपने से पूर्णांक पा जाते हैं। मतलब यह कि इसमें सेलेक्शन की गारंटी देने और सलेक्शन न होने पर पैसे वापस का सिस्टम नहीं है। बिजनेस एजेंट को सिर्फ यह दिखाना होता है कि मैंने तुमको जो पेपर दिया, सेम वही एग्जाम में आया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब सवाल यह कि ऐसे में परीक्षा कैंसल की जरूरत क्यों पड़ती है पेपर आउट होने पर? सिंपल है। चुनाव का समय है। बेहतर मध्यस्थ नहीं चुना गया होगा और टॉरगेट नहीं पूरा कर पाया होगा।

पेपर लीक में राशि कम होती है और इसमें पैसे लौटाने का प्रावधान नहीं है। अभी जो आया, वह भी कमाई। पेपर कैंसिल के बाद नेक्स्ट एग्जाम में टार्गेट पूरा हो जाएगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उम्मीद है कि बिजनेस मॉडल समझ गए होंगे। इस कहानी के पात्र काल्पनिक हैं। सही घटनाओं से कोई भी तालमेल महज संयोग माना जाए।


Rohini Singh-

Advertisement. Scroll to continue reading.

पहले प्री दीजिए, फिर मेंस दीजिए, फिर इंटरव्यू दीजिए, फिर पेपर लीक की खबर आएगी, परीक्षा निरस्त होगी, फिर हड़ताल कीजिए, लाठियाँ खाइए, फिर कोर्ट जाइए, फिर STF जाँच पड़ताल करेगी, फिर CBI जाँच की माँग कीजिए और गोल गोल घूमते रहिए। उत्तरप्रदेश में नौकरी पाना चक्रव्यूह भेदने जैसा है।


Abhinav Pandey-

Advertisement. Scroll to continue reading.

लाखों सपने धूमिल,मेहनत को मटियामेट। यूपी TET पेपर लीक,परीक्षा रद्द।अब अगले महीने होगी।जाहिर है बिना सिस्टम के आदमी के ये संभव नहीं।

पिछली बार शिक्षा भर्ती घोटाले की जांच करते हुए एक IPS के हाथ ‘ऊपर’ तक पहुंच गए थे, ट्रांसफर ऐसा हुआ कि आज तक तैनाती नहीं मिली।इस बार क्या होगा?

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement