दैनिक जागरण में एक ईमानदार पत्रकार की नौकरी ले ली गई. मामला लखनऊ का है. पारितोष मिश्रा ने यूपीटीयू के करप्शन को लेकर लगातार खबरें लिखी. यूपीटीयू के रजिस्टार यूएस तोमर ने पारितोष को भांति भांति के प्रलोभन दिए पर पारितोष झुके नहीं. दैनिक जागरण में पारितोष की यूपीटीयू में करप्शन को लेकर खबरें छपती रही और इन खबरों का असर ये हुआ कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक जांच कमेटी बना दी.
कमेटी ने आरोपों को सही पाया और रजिस्टार तोमर सस्पेंड कर दिया गया. इससे बौखलाए यूएस तोमर ने पारितोष की शिकायत दैनिक जागरण के मालिक महेंद्र मोहन गुप्ता से की. गुप्ता जी ने पारितोष को नौकरी से निकाल दिया. जिस यूएस तोमर पर करप्शन के कई मामले हों, उसकी शिकायत पर एक ईमानदार पत्रकार को नौकरी से निकालना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन आज की सच्चाई यही है कि भ्रष्ट अफसरों, भ्रष्ट नेताओं, भ्रष्ट मीडिया मालिकों और भ्रष्ट जजों का जबरदस्त गठजोड़ बन चुका है और इसमें हर कोई एक दूसरे को प्रोटेक्ट करता चलता है.
यूएस तोमर पर आरोप है कि उसने सैकड़ों अयोग्य कालेजों को मोटा पैसा लेकर मान्यता दी. तोमर ने यूपीटीयू बीट कवर करने वाले अन्य कई अखबारों के पत्रकारों को मैनेज भी कर लिया लेकिन पारितोष ने सच लिखना बंद नहीं किया और न ही किसी प्रलोभन झांसे में आए. इससे तोमर बेहद परेशान और नाराज था. उसने जब हर तरह से प्रयास कर लिया और बात नहीं बनी तो किसी लिंक से सीधे महेंद्र मोहन गुप्ता से संपर्क साधा. दोनों में जाने क्या डील हुई कि रिपोर्टर पारितोष को नौकरी से निकाल दिया गया. यही नहीं, दैनिक जागरण प्रबंधन ने यह अफवाह उड़ा दिया कि पारितोष को पैसे लेकर खबर लिखने के आरोप में हटाया गया है. इन सब स्थितियों से दुखी पारितोष ने फिलहाल खुद को अज्ञातवास में कर रखा है. वे न तो किसी का फोन उठा रहे और न ही किसी के संदेश का जवाब दे रहे.
vishal shukla
July 25, 2014 at 10:03 am
समझ नहीं आता कि जागरण समूह में शीर्ष स्तर पर यह दोगलापन कब बंद होगा…………
सलमान
July 29, 2014 at 3:38 pm
मिश्रा जी के भाई के पास जागरण की ऐड एजेंसी है, जिसके 95 प्रतिशत ऐड टेक्निकल कालेज के ही आते रहे। जिस कालेज ने भी ऐड देने की आनाकानी की उसकी तीन कालम विद फोटो मिश्रा ने पहले पन्ने पर छाप कर तोमर जी से काम लगवा दिया दिया, पूरे कवरेज के दौरान मिश्रा जी ने अगले कई सालों का ऐड ठेका भी ले लिया, लेकिन पिफर भी खबरिया छाप दी, इतने ईमानदार थे मिश्रा जी तो कोई उनसे पूछे कि क्यों सालों तक महज 14-15 हजार महीने की तनख्वाह पर नौकरी करते रहे वो भी हर महीने 9-10 हजार की कार का तेल जलाकर।लखनऊ के कई रिपोर्टरों का नाश किया है अब खुद की बैंछ बजी तो ईमानदार हो गये।
वाह क्या ईमानदारी है।
neeraj
August 3, 2014 at 6:47 pm
Jagran wale sale khud chor hai jab dig vijay prakash ne pure khandan ko mara tha tab mahendra mohan gupta ji kaha the paritosh ek sachha patrkar hai gupta ji aap ko upar wala aisi saza dega apka ye group hamesa ke liye history ban jayega ye sabhi jagran karmiyon ki badua hai
शमीम इकबाल
August 16, 2014 at 11:00 am
इन सम्पादक जी के लिए अपना कारोबार प्रियहै नकी ईमानदारपत्रकार /परितोष जैसे लोगो को यह सिस्टम ऐसे ही इनाम दे रहा है
Awnish
June 27, 2015 at 8:54 am
Paritosh ji Jagran mein Choron ka samrajya hai…………aap itne saal kaise rahe wahan par.