मुख्यमंत्री IT सेल में कार्यरत स्व.पार्थ श्रीवास्तव के ‘आत्महत्या प्रकरण’ की CBI जाँच, पीड़ित परिवार की सुरक्षा एवं उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान किये जाने के संदर्भ में एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने CM योगी को पत्र लिखा है.
स्नातक खंड वाराणसी से विधान परिषद सदस्य आशुतोष सिन्हा द्वारा लिखे पत्र में साफ साफ कहा गया है कि साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है. अभियुक्यों के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई नहीं की गई. इससे लोगों में आक्रोश है.
देखें पत्र-
दिल्ली में पत्रकार रहे और लखनऊ में बतौर उद्यमी सक्रिय अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने इसी मुद्दे पर फेसबुक पर लिखा है. उनका कहना है कि पार्थ सुसाइड कांड में योगी सरकार की भूमिका से नाराज कायस्थों का भाजपा से मोहभंग हो चुका है. पढ़ें पूरा विश्लेषण-
Ashwini Kumar Srivastava–
उत्तर प्रदेश में जातिवाद की विद्रूपता किस कदर अब असहनीय होती जा रही है, यह मुख्यमंत्री कार्यालय में योगी आदित्यनाथ की सोशल मीडिया सेल में काम करने वाले एक युवा की आत्महत्या से स्पष्ट हो जाता है…. आरोप है कि मुख्यमंत्री के सजातीय अफसरों और कमर्चारियों के गठजोड़ के शोषण और मानसिक प्रताड़ना का शिकार होकर एक कायस्थ युवा पार्थ श्रीवास्तव को आत्महत्या करनी पड़ी… इस जातिवादी गठजोड़ का आरोप किसी और ने नहीं बल्कि खुद पार्थ ने मरने से पहले लिखे दो पन्नों के सुसाइड नोट में लगाया है…
पार्थ ने तो इस आरोप को लेकर मौत से पहले ट्वीट भी किया था लेकिन अफसरों के दबाव में संभवतः पुलिस ने ही या ऑफिस में किसी ने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया…. और उसी जातिवादी गठजोड़ के दबाव में ट्वीट डिलीट किए जाने की भी जांच नहीं हो रही.
यूपी में अगर जातिवाद का जहर मुख्यमंत्री कार्यालय की सरपरस्ती में फल- फूल रहा है तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए… क्योंकि यहां राजनीति और जातिवाद, दोनों एक दूसरे से दूध में शक्कर की तरह घुले- मिले हैं. इसकी पुष्टि खुद योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक जीवन से भी हो जाती है. यूं तो वह खुद को योगी और सन्यासी कहते हैं मगर उनके राजनीतिक विरोधी ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी के लोग भी उन पर कट्टर ठाकुरवादी होने का आरोप लगाते हैं.
मीडिया और सोशल मीडिया में लोगों के बीच भी गोरखपुर के उनके राजनीतिक जीवन से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक उन्हें सभी को समान निगाह से देखने वाले सन्यासी से ज्यादा ठाकुरों का ही नेता माना जाता रहा है. मुख्यमंत्री बनने के बाद पर यह भी आरोप लगता रहा है कि अपने इर्द- गिर्द ठाकुर अफसरों/ कर्मचारियों और नेताओं/ कार्यकर्ताओं का जातिवादी गुट बनाकर ही वह राज्य का शासन- प्रशासन चला रहे हैं..
अगर ये आरोप सही हैं तो फिर इस आरोप की भी जांच होनी चाहिए कि कहीं उनका यही ठाकुर प्रेम ही वह वजह तो नहीं है, जिसके चलते उनके नजदीकी और सजातीय अफसरों के दबाव में पार्थ श्रीवास्तव की मौत पर पहले तो तीन दिनों तक कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई….फिर सोशल मीडिया और मीडिया पर हंगामे के बाद दर्ज हुई भी तो अब उस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही… मुख्यमंत्री ने तो वैसे भी इस प्रकरण पर शुरू से चुप्पी ही साध रखी है.
इधर, कायस्थ संगठनों में इस प्रकरण को लेकर अब खासा रोष दिखने लगा है. वे एकजुट होकर इस प्रकरण में न्याय मांगने के लिए सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए आवाज उठाने लगे हैं.
उनकी चिंता है कि दो हजार साल पहले के प्राचीन भारत के दौर से ही शासन- प्रशासन के लगभग हर महकमे की नौकरियों में अपनी अहम जगह बनाने वाले इस उच्च शिक्षित बुद्घिजीवी वर्ग के युवा अगर भाजपा राज में मुख्यमंत्री कार्यालय में ही सुरक्षित नहीं रहे तो उत्तर प्रदेश में फिर वह कहां खुद को सुरक्षित समझें?
अपनी नई पीढ़ी की सुरक्षा और राजनीतिक हक के लिए आवाज उठा रहे कायस्थ संगठनों का रोष अगर इसी तरह बढ़ता रहा तो यह आगामी यूपी चुनाव में भाजपा से कायस्थों का मोह भंग का एक बड़ा कारण भी बन सकता है.
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Devesh Srivastava
May 27, 2021 at 4:02 am
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श्याम चन्द्र श्रीवास्तव
May 27, 2021 at 8:28 am
माननीय मुख्यमंत्री उप्र
इस राष्ट्र को हम सब भारत माता मानते हैं।भारत एक भूमि का टुकड़ा नहीं हमसबकी आत्मा है। ऐसा भाव लेकर कायस्थ समाज के राष्ट्रपुरुषों ने अपना जीवन खपा दिया।विश्व गुरु बनाने की दिशा में चाहें स्वामी विवेकानन्द जी हो चाहे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी, प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी, गोपालदास नीरज जी हरिवंशराय बच्चन महादेवी वर्मा, सहित अनेक कायस्थों के योगदान को भूल वर्तमान योगी सरकार आज हम कायस्थों को हासिये पर लाकर खड़ा कर दिया है। जबकि मेरा मानना है कि आज भी कायस्थ 98% भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ा हुआ है।हम सर्वे भवन्तु सुखिन वाले लोग आज पार्थ श्रीवास्तव की घटना को लेकर वर्तमान सरकार की कार्यपद्धति को लेकर हतप्रभ हैं कि जो सरकार सबके साथ न्याय की बात कहे आज दिवंगत पार्थ श्रीवास्तव की घटना में साक्ष्य होने के बावजूद मातहतों को दूध का दूध और पानी का पानी करने के निर्देश देने में हिचक रही है। आखिर वह भी तो किसी का बेटा किसी का भाई किसी का मित्र है। उसके परिजनों सहित हम सब न्याय की आस लगाए बैठे हैं लेकिन आप सरकार है योगी सरकार है पीड़ा को समझिये अभिलम्ब न्याय करिये। देर से मिला न्याय भी अन्याय है। हमारी भावनाओं को समझने का प्रयास करें, भावनाओं को ठेस न पहुंचे ये भी आपकी ही जिम्मेदारी है।
सादर आपका श्याम चन्द्र श्रीवास्तव प्रदेश महामंत्री अखिल भारतीय कायस्थ महासभा उत्तर प्रदेश