नीरेंद्र नागर-
मोदी सरकार मानती है कि किसी भी पति को अपनी पत्नी के साथ जबरन सहवास यानी बलात्कार करने का पूरा अधिकार है। दूसरे शब्दों में यदि पत्नी की पति के साथ किसी बात पर अनबन हो या वह थकी हुई हो या किसी भी कारण वह किसी ख़ास घड़ी सहवास की इच्छुक न हो, तब भी पति नामक प्राणी उसकी इच्छा-अनिच्छा को ताक पर रखते हुए एक पशु की तरह अपनी हवस मिटा सकता है और इसके लिए किसी भी क़ानून के तहत उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
कल्पना कीजिए, एक आदमी शराब पीकर आता है, पत्नी को भद्दी-भद्दी गालियाँ देता है और उसके तमाम प्रतिवादों और प्रतिरोधों के बावजूद उसके कपड़े उतारकर उससे जानवरों से भी बदतर सलूक करता है।
सरकार कहती है – पति को यह करने का अधिकार है।
और आज दिल्ली उच्च न्यायालय के एक मानवीय जज ने भी इसे सही ठहरा दिया है।
अच्छी बात यह है कि बेंच के दूसरे जज की राय अलग थी और उनके प्रति मेरा सम्मान बढ़ गया है। उम्मीद है कि यह मामला अब जहाँ भी जाएगा, वहाँ के जज वहशी पतियों के पक्ष में राय नहीं देंगे।
वैसे वहाँ भी मोदी सरकार के रुख़ में कोई बदलाव आएगा, इसकी उम्मीद नहीं। तीन तलाक़ के मामले में मुस्लिम महिलाओं के लिए घड़ियाली आँसू बहाने वाली मोदी सरकार ने महिलाओं से जुड़े कई मामलों में बता दिया है कि महिलाओं की इच्छा या मर्ज़ी से उसका कोई सरोकार नहीं है।
ऐसी वहशी मानसिकता के कारण ही कई लोग शादी को वैधानिक वेश्यावृत्ति कहते हैं। और सही कहते हैं। जिस रिश्ते में केवल एक पक्ष की मर्ज़ी चलती हो, वह बराबरी और स्नेह का नहीं, ज़बरदस्ती और मजबूरी का रिश्ता है। फ़र्क़ बस यह है कि वेश्या को आप एक रात के लिए ख़रीदते हैं, पत्नी को ज़िंदगी भर के लिए।
Prashant
May 12, 2022 at 11:25 am
Please study full story before shouting:-
As printed in Amar Ujala:-
वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर भारत का कानून क्या कहता है?
दुष्कर्म के मामले में अगर आरोपी महिला का पति है तो उस पर दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं हो सकता है। IPC की धारा 375 में दुष्कर्म को परिभाषित किया गया है। इसमें वैवाहिक दुष्कर्म को अपवाद बताया गया है। धारा 375 कहती है कि अगर पत्नी की उम्र 18 साल से अधिक है तो पति द्वारा बनाया गया संबंध दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। भले इसके लिए पति ने पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर जबर्दस्ती की हो।
तो क्या महिला अपने पति पर अत्याचार का मामला दर्ज नहीं करा सकती?
इस तरह की प्रताड़ना का शिकार हुई महिला पति के खिलाफ सेक्शन 498A के तहत यौन हिंसा का मामला दर्ज कर सकती है। अगर महिला को चोट आई है तो वो IPC की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज करा सकती है। इसके साथ ही 2005 के घरेलू हिंसा के खिलाफ बने कानून में भी महिलाएं अपने पति के खिलाफ यौन हिंसा का केस दर्ज करा सकती हैैं।
वैवाहिक दुष्कर्म को लेकर सरकार का क्या रुख है?
2017 में, दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म का अपराधीकरण भारतीय समाज में विवाह की व्यवस्था को “अस्थिर” कर सकता है। ऐसा कानून पत्नियों को पति के उत्पीड़न के हथियार के रूप में काम करेगा। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने एक कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है।
How it will be define that the relation made by acceptance or without acceptance bewteen Husband and wife. Can you elobrate ?
Legal matters work on all perspectes not on making you happy.
Your post in only “Virodh of Modi” nothing else.
आशीष
May 12, 2022 at 4:24 pm
सरकार ने ऐसा वक्तव्य महिलाओं के विरुद्ध नहीं बल्कि कुछ भ्रष्टाचारी और विस्कन्याओ के विरुद्ध दिया है जो अपने निजी स्वार्थ के लिए झूठी मानहानि कर सकती हैं पुरुषो पर,संस्कार ही इस तरह के मामले को रोक सकते हैं ,कानूनों का दुरुपयोग होने की बहुत संभावना है ऐसे मामलो में जैसे दहेज और यौन उत्पीड़न के मामले में कई जगह हो रहा है ,जिसमे कई जगह कोई दोषी नहीं है फिर भी गलत तरीके से फसा दिया गया है लोगो को