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पत्रिका ग्रुप ने वेज बोर्ड और वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट से बचने के लिए अपने मीडियाकर्मियों की कंपनी बदल दी!

Vinod Pathak :  पिछले दिनों राजस्थान पत्रिका में थोक के भाव प्रमोशन लेटर बांटे गए। समाचार पत्र में कार्यरत कर्मचारियों के इन प्रमोशन लेटर्स में डिजिटल डिवीजन Patrika media (india) private limited में पदोन्नति दिखाई गई। पहले सभी का वेतन Rajasthan patrika private limited के बैंक खातों से ट्रांसफर होता था, लेकिन इस बार पदोन्नत सभी कर्मचारियों का वेतन Patrika media (india) private limited से ट्रांसफर हुआ है। इशारा काफी है… मीडियाकर्मियों के लिए खबर खराब है… डिजिटल कंपनी मजीठिया वेजबोर्ड या वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में कवर नहीं होती..

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Vinod Pathak :  पिछले दिनों राजस्थान पत्रिका में थोक के भाव प्रमोशन लेटर बांटे गए। समाचार पत्र में कार्यरत कर्मचारियों के इन प्रमोशन लेटर्स में डिजिटल डिवीजन Patrika media (india) private limited में पदोन्नति दिखाई गई। पहले सभी का वेतन Rajasthan patrika private limited के बैंक खातों से ट्रांसफर होता था, लेकिन इस बार पदोन्नत सभी कर्मचारियों का वेतन Patrika media (india) private limited से ट्रांसफर हुआ है। इशारा काफी है… मीडियाकर्मियों के लिए खबर खराब है… डिजिटल कंपनी मजीठिया वेजबोर्ड या वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट में कवर नहीं होती..

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विडंबना यह है कि मल्टीटास्कर के नाम पर 15 घंटे तक काम कराया जा रहा है.. अभी जयपुर के एक बड़े अखबार ने अपने फोटो जर्नलिस्ट्स को नौकरी से हटाने का फरमान सुनाया है… मात्र दो फोटोग्राफर रखने की बात कही है… यानी रिपोर्टर ही अब फोटोग्राफर बनने जा रहा है… पत्रिका में रिपोर्टर पहले ही वीडियोग्राफर बन चुका है… प्रिंट के साथ वेब, टीवी और प्रसार तक के काम संपादकीय विभाग से कराए जा रहे हैं… पर वेतन वही एक काम का मिल रहा है… नौकरी बचाने के फेर में पत्रकारों का जमकर शोषण हो रहा है… कमाल यह है कि दर्द सभी को हो रहा है, कोई आवाज तक नहीं निकाल रहा…

पत्रकार विनोद पाठक की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. Prem mishra

    January 13, 2018 at 7:57 am

    पत्रिका जबलपुर में तो बुरा हाल है संपादक गोविंद ठाकरे इतना मालिक भक्त है की उन्हें खुश करने के लिए अपनी किसी भी सहयोगी की नौकरी खा सकता है गुरु ठाकरे जी को लगता है मालिक लोग उन्हें जल्द से जल्द मध्य प्रदेश का हेड बना देंगे इस चक्कर में वह अपने चमचों के साथमिलकर बाकी सब को परेशान कर रखा है जब प्रमोशन लेटर मिले थे तब उनका कहना था जिसको नौकरी करनी है वह करें वरना बाहर हो जाए वह यह भी कहते हैं की जिसको चाहे 1 मिनट में बाहर कर सकते हैं इनकी भी हालत लगभग इसके पहले के संपादकआलोक मिश्रा की तरह हो गई है

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