कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में सबसे ज्यादा नुकसान शायद राजस्थान पत्रिका को ही हुआ है। तभी तो उन्होंने मार्च माह के वेतन में ही भारी कटौती कर दी। वैसे, मार्च के आखिरी तक पत्रिका में विज्ञापन की भरमार रही। अगर यकीन ना हो तो ई-पेपर देखे जा सकते हैं।
वेतन के नाम पर हर कर्मचारी को १५ हजार रुपए दे दिए गए। चाहे उसका वेतन ७० से ८० हजार रुपए ही क्यों ना हो। जिसका वेतन १६ हजार है उसे भी १५ हजार ही दिए गए।
ऐसे में कई कर्मचारियों में रोष है, लेकिन वे विरोध नहीं कर पा रहे। वेतन में की गई इस कटौती की कोई सूचना कर्मचारियों को नहीं दी गई। इस कारण से सभी के घर का बजट बुरी तरह बिगड़ गया है।
मकान किराया, दवा-गोली, किराना, दूध, सब्जी में १५ हजार रुपए आधे महीने में ही खत्म हो चुक हैं।
अब कई पत्रकारों के घर में खाने का सामान तक नहीं बचा है, लेकिन शर्म के कारण वे किसी से मदद तक नहीं मांग पा रहे।
इधर सूत्रों से पता चला है कि कई कर्मचारी वेतन नहीं देने को लेकर मय प्रमाण प्रशासन से शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। वेतन की तारीख पर अधिकारियों ने कहा था घबराने की कोई जरूरत नहीं है, दो किस्त में सैलेरी मिलेगी, लेकिन कब मिलेगी, ये कोई नहीं बता रहा।
अब पूरा अप्रैल गुजरने वाला है, लेकिन कोई जिम्मेदार वेतन की दूसरी किस्त को लेकर बात नहीं कर रहे। कह रहे कि पत्रिका परिवार है, थोड़ा सहयोग करो। लेकिन जब किसी कर्मचारी को काम से निकाला जाता है या हजारों किमी दूर तबादला किया जाता है, तब परिवार का सिद्धांत चूल्हे में चला जाता है। परिवार की बात सिर्फ कर्मचारी की जेब पर डाका डालने के लिए ही कही जा रही है।
मूल खबर-
Vivek patel
April 25, 2020 at 5:11 pm
Sabse ghatiya sansthan hai patrika iske bade adikari se lekar chhote adhikari tak sabhi dhatiya kism ke hain