यशवंत सिंह-
हमारे गाँव के एक बुजुर्ग़ चाचा जी चन्द्रभान सिंह उर्फ़ सीबी सिंह अपना PF निकलवाने के लिए दो साल से परेशान हैं। बनारस में pf ओफिस अज़ग़र की तरह उनकी ऐप्लिकेशन पर बैठ गया है। पाँच सौ पैंतीस कारण अब तक बता चुके हैं वो लोग pf का पेमेंट न हो पाने के लिए।
सारा कम्प्यूटर और सारी टेक्नोलोजी अपने पिछवाड़े में घुसा लिए हैं pf विभाग वाले। उनसे दो साल से एक कर्मचारी का pf नहीं देते बन रहा है। पाँच दस हज़ार घूस दे दिया गया होता तो हाथोंहाथ पेमेंट मिल गया होता।
इतना चोरकट और काहिल विभाग तो आजतक नहीं देखा। ईश्वर इन ससुरों को जीते जी नरक भोगवाएँ। यही श्राप है। आम आदमी श्राप देने के अलावा कर भी क्या सकता है।
कोई पत्रकार इनका स्टिंग कर ले और दस पाँच को लाइन से सस्पेंड करवा दे तो आत्मा को ठंढक मिले। इनकी आय से अधिक संपत्ति की भी जाँच कराए जाने की ज़रूरत है। रिश्वत पेल पेल के लाल हो गए हैं हरामख़ोर।
आज कारण बताया गया कि तीन दिन से पेमेंट करने वाला क्लर्क अपने घर पर मरा हुआ है इसलिए पेमेंट न हो पाया। उम्मीद करते हैं वह जब जीवित हो जाएगा और फिर आफिस आने का उसका मन होगा तो फिर आकर पेमेंट देने के बारे में सोचेगा। ज़ाहिर है, क्लर्क तो बहाना हैं। असली कारण साहब का घूस न खा पाना है जिससे वो पेमेंट लटकाए हुए हैं।
बनारस pf आफिस का जो साहब है उसका पेट कितना बड़ा है, कितना खाएगा वो, उसमें से कितना मरने के बाद अपने साथ ले जाएगा, ये किसी को नहीं पता। कोई श्याम है तो कोई विश्वनाथ है कोई विनोद है तो कोई महेश है, ऐसे ही दर्जनों हैं जो बनारस में कुर्सियाँ तोड़ रहे हैं, खा रहे हैं, हग रहे हैं, सो रहे हैं, जग रहे हैं।
इनको कोई फ़िकिर नहीं कि pf का पेमेंट न होने से किसी बुजुर्ग व्यक्ति और उसके परिवार पर क्या बीत रही होगी, वो किस संकट में होगा। इन्हें तो बस रिश्वत से मतलब है। जो रिश्वत देगा उनका तुरंत पेमेंट होगा। जो नहीं देगा उसके लिए हज़ार बहाने हैं भुगतान न करने के। कभी टेक्निकल तो कभी बीमारी तो कभी ऐप्लिकेशन ग़ायब होना तो कभी कम्प्यूटर में ज़्यादा पेमेंट शो होना।
महादेव, बनारस के इन पापियों को सजा देना, आज नहीं तो कल देना, पर ज़रूर देना। इन्हें कीड़े पड़े, कैंसर हो और हार्ट अटैक आए। ये साले मर जाएँ, धरती पर भार हैं ये।
उपरोक्त पोस्ट पर आई कई प्रतिक्रियाओं में से एक पढ़ें-
Ashwini Kumar Shrivastava- मीडिया में नौकरी तो मैंने भी की लेकिन खुद मैंने और अपने दौर के ज्यादातर मीडियाकर्मियों को मैंने सिर्फ नौकरी करते ही देखा। सच को आईने की तरह दिखाने का साहस मुझे इक्का दुक्का में ही नजर आया। उसी दौर के उन इक्का- दुक्का लोगों में मैंने Yashwant Singh को जाना , पहले उनके ब्लॉग और फिर बाद में न्यूज पोर्टल से।
यथा लेखन तथा नाम को चरितार्थ करते हुए उनके ब्लॉग और पोर्टल की खास बात यह है सच को वहां चाशनी में लपेट कर यानी विद्वतजनों की भाषा में नहीं परोसा जाता। ताजा कड़ी में यशवंत जी ने रिटायर्ड या नौकरी पेशा बुजुर्ग लोगों को भी घूस के लिए अपने दरवाजे पर नाक रगड़वाने और न रगड़ने पर उनका हक मारने वालों को दिल से गरियाया है, जो कहने को तो सरकारी कर्मचारी हैं लेकिन हैं किसी नरक के कीड़े से भी बदतर।
देशभर के पेंशन या अन्य वेतन भत्तों से जुड़े कार्यालयों के कई कर्मचारी अभी भी रिटायर्ड लोगों को किसी न किसी जुगत से बुढ़ापे और बीमारी में भी दौड़ा रहे हैं, जबकि अब सभी कुछ ऑनलाइन हो चुका है।
इन कार्यालयों के हालात और इस खबर पर मैं कुछ भी लिखूंगा तो वह उससे अच्छा नहीं होगा, जैसा यशवंत जी ने लिखा है। आप भी पढ़िए। क्या पता इसे पढ़ कर कुछ और यशवंत अपनी भड़ास इसी तरह निकाल कर ऐसे भ्रष्ट लोगों की कुछ तो मिट्टी पलीत कर सकें…
सिंहासन चौहान
May 5, 2022 at 5:58 am
विभाग के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करने के लिए एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाइए
P
May 5, 2022 at 3:41 pm
Kahin bhi sunvaee nahin hone wala hai
SRAVAN KUMAR YADAV NA
May 5, 2022 at 9:01 pm
Inko gar bhade sarkar naya barti kre
Rakesh
May 5, 2022 at 9:02 am
Ye saale chutiya pareshaan karenge bjp sarkar imaandaar