यूपी के बागपत जिले में हिन्दुस्तान अखबार के प्रभारी नाजिम आजाद हैं। जब से यह संस्करण शुरू हुआ है तभी से प्रभारी पद पर नाजिम आसीन हैं। जब हिन्दुस्तान का संस्करण शुरू हुआ तो बागपत की तहसील खेकड़ा में फोटो सिंह नामक पत्रकार हुआ करते थे। ये माननीय सरकारी नौकर हैं। बताया जाता है कि फोटो सिंह ट्यूबवैल ऑपरेटर हैं। इसके अलावा फोटो सिंह की खासियत है कि यह पत्रकारिता के माध्यम से समाजहित के बजाय स्वहित भी बखूबी साधना जानते हैं। फोटो सिंह काफी पुराने पत्रकार हैं और इससे पहले अमर उजाला में भी कार्य कर चुके हैं। जहां तक पता चला है कि अमर उजाला के तत्कालीन स्थानीय संपादक ने उनके सरकारी नौकरी का पता चलने पर उन्हें खेकड़ा प्रतिनिधि पद से हटा दिया था। उसके बाद कुछ समय के लिए जनाब घर पर बैठे और फिर हिन्दुस्तान का दामन थाम लिया।
लगभग एक साल पहले तक फोटो सिंह ही पत्रकार हुआ करते थे। मगर कुछ स्थानीय लोगों द्वारा सरकारी कार्यालय में शिकायत करने पर फोटो सिंह ने साठगांठ करके अपने पुत्र को पत्रकार बनवा दिया। नाम बेटे का और काम पिता का। हालांकि इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि प्रभारी को इस बात का पता ना हो कि फोटो सिंह एक सरकारी नौकर हैं और वे पुत्र की जगह खुद समाचार भेजते हैं। फोटो सिंह का पुत्र पत्रकारिता की क, ख, ग भी नही जानता। पुष्टि के लिए कोई भी सम्पादक या पत्रकार महोदय टेस्ट ले सकते हैं। इतना ही नहीं, हद तो तब हो गई जब दैनिक जागरण के खेकड़ा प्रतिनिधि डॉ. दीपक धामा को जागरण से निकाला गया तो सरकारी नौकर फोटो सिंह ने सैटिंग से अपने प्रिय डॉ. दीपक धामा को भी हिन्दुस्तान में सांकरौद का प्रतिनिधि बनवा दिया। सांकरौद पर प्रकाश डालूं तो यह एक गांव है, जबकि खेकड़ा तहसील। सांकरौद डेटलाइन से हिन्दुस्तान में प्रकाशित होने वाले तमाम समाचार खेकड़ा के होते हैं। तो फिर सांकरौद में प्रतिनिधि रखने का क्या औचित्य।
मान्यवर, इतना ही नहीं, डॉ.दीपक धामा खेकड़ा में समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र (सीएचसी) पर संविदा चिकित्सक के पद पर कार्यरत हैं। ये महारथी भी अपने गुरु फोटो सिंह के पदचिन्हों पर चलते-चलते पत्रकारिता के माध्यम से स्वहित साधने में परिपक्व हो चुके हैं। इन्होंने अपनी पत्नी जो कि स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं, को भी सरकारी अस्पताल खेकड़ा में बीते 5-6 सालों से संविदा पर रखवा रखा है, जो कि कस्बे में स्वयं का अस्पताल भी चलाती हैं, साथ ही खुद की सैटिंग भी सरकारी अस्पताल में कर ली। आखिर जिला प्रभारी फोटो सिंह पर क्यों इतने मेहरबान हैं? इस बात की छानबीन करते वक्त पता चला कि फोटो सिंह का अवैध व्यापार भी है जो कि पत्रकारिता की आड़ में दिन दौगुनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। पत्रकारिता की आड़ में फोटो सिंह अपने भतीजे से अवैध मिट्टी खनन कराता है। पूरी रात दो जेसीबी मशीन जो कि पत्रकार का भतीजा अपनी देखरेख में चलाता है, मिट्टी खनन करती है। उसी से होने वाली कमाई से तहसील व जिले के अधिकारियों का पेट भरा जाता है। तो फिर क्यों अधिकारी कुछ बोलें और क्यों प्रभारी!
वेस्ट यूपी से राहुल राणा का रिपोर्ट.
Comments on “हिंदुस्तान अखबार का हाल : फोटो सिंह की पत्रकारिता, मीडिया में भाई-भतीजावाद और करप्शन का चहुंमुखी गठजोड़”
bagpat Hindustan ka to yuhi hal hai fhir chhe chandinagr dateline ho ya baleni Baraut ho ya binauli sabhi parbhari ke ……….
sahi report di bhai
2000 rs mahine par to ase hi patrkar milenge
har shakh par ulue bathie hai anjame gulista kya hoga
Ye bharasht logo ka muh to chorahe pe khada krke muh kala Kr Dena chahiye…..jo patrkarita ko dhandha bnaye hue h…..
भाई दिल्ली वाले चौबे जी के राज में यही सब होगा। नए पत्रकारों से कह रहे हैं कि मेरे कहे पर चलोगो तो पुष्पेंद्र ठाकुर बन जाओगे। दलाली तो होगी ही। ऊपर तक सुरा और सुंदरी पहुंचाओं और कुछ भी करो यही टैग लाइन बन गई है इसकी।