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पिंकी सिटी प्रेस क्लब से एलर्जी है जयपुर के दो मीडिया घरानों को!

जयपुर। पिंक सिटी प्रेस क्लब में इन दिनों वर्ष 2016-17 के लिए हो रहे वार्षिक चुनाव की गहमागहमी है। जयपुर के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मी इन दिनों अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में हरेक मीडिया हाउस जाकर प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। उत्साह का सा माहौल है मौसम में लेकिन जयपुर के दो बड़े मीडिया घरानों को क्लब से ही एलर्जी है।

<p>जयपुर। पिंक सिटी प्रेस क्लब में इन दिनों वर्ष 2016-17 के लिए हो रहे वार्षिक चुनाव की गहमागहमी है। जयपुर के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मी इन दिनों अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में हरेक मीडिया हाउस जाकर प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। उत्साह का सा माहौल है मौसम में लेकिन जयपुर के दो बड़े मीडिया घरानों को क्लब से ही एलर्जी है।</p>

जयपुर। पिंक सिटी प्रेस क्लब में इन दिनों वर्ष 2016-17 के लिए हो रहे वार्षिक चुनाव की गहमागहमी है। जयपुर के प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडियाकर्मी इन दिनों अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में हरेक मीडिया हाउस जाकर प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं। उत्साह का सा माहौल है मौसम में लेकिन जयपुर के दो बड़े मीडिया घरानों को क्लब से ही एलर्जी है।

श्रमजीवी पत्रकार की मेहनत की देन कहे जाने वाले घराने राजस्थान पत्रिका समूह में काम करने वाला कोई भी पत्रकार न तो पिंक सिटी प्रेस क्लब का सदस्य बन सकता है और ना ही चुनाव में खड़ा हो सकता है और ना ही वोट डाल सकता है। यानि उसे पिंक सिटी प्रेस क्लब का मुंह नहीं देखना है। यदि कोई पत्रकार पिंक सिटी प्रेस क्लब का सदस्य रहते हुए पत्रिका मीडिया हाउस ज्वाइन करता है तो उसे पिंक सिटी प्रेस क्लब की अपनी सदस्यता का नवीकरण कराने का अधिकार नहीं है, पिंक सिटी प्रेस क्लब की बात भी की तो पत्रिका से बाहर।

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इसी तरह, दूसरे बड़े मीडिया घराने भास्कर में काम करने वाले पत्रकारों के लिए थोड़ी सहजता है। दैनिक भास्कर समूह में काम करने वाले पत्रकार पिंक सिटी प्रेस क्लब के सदस्य बन सकते हैं, वोट डाल सकते हैं लेकिन चुनाव नहीं लड़ सकते। मतलब गुड़ खा सकते हो, लेकिन गुलगुले से परहेज रखना होगा। चुनाव लड़ने का मन बनाया तो सीधे नौकरी से बाहर। राजस्थान पत्रिका और भास्कर समूह के पत्रकारों को भड़ास4मीडिया पढ़ने पर रोक लगी हुई है। इन दोनों समूहों को यह लगता है कि भड़ास से मिलने वाली एनर्जी कहीं हमारे पत्रकारों को उनके अधिकारों और सूचनाओं के लिए जगा ना दें। हालांकि, यहां काम करने वाले पत्रकार कहते हैं कि हम भी अपने मोबाइल पर या घर जाकर भड़ास खूब पढ़ते हैं।

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0 Comments

  1. sanjay sahu

    March 27, 2016 at 1:53 pm

    ptrakaro ko noukri ke liye apna jamir girvi nahi rakhana chajiyr

  2. sanjay sahu

    March 27, 2016 at 1:53 pm

    ptrakaro ko noukri ke liye apna jamir girvi nahi rakhana chajiye

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