वाचमैनों की तरह घूम घूम कर नौकरी करेंगे पत्रकार…. मजीठिया वेजबोर्ड के अनुसार वेतन, भत्ते और सुविधाएं न देना पड़े इसके लिए अखबार मालिक इस हद तक जा रहे हैं कि अपने ही कर्मचारियों को प्लेसमेंट एजेंसी के हवाले कर दे रहे हैं और ये कर्मचारी बेचारे बिलकुल एक गुलाम की तरह हंटर के खौफ से प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने को मजबूर हैं। इस तरह का मामला सामने आया है देश के एक बड़े समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में।
यहाँ के एक कर्मचारी ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सिर्फ 10 हजार रुपये में प्लेसमेंट एजेंसी ने उसे बंधुआ मजदूर बना दिया है और 24 घंटे तक उन्हें काम करना पड़ रहा है। राजस्थान पत्रिका में भर्ती हुआ यह कर्मचारी मजीठिया वेज बोर्ड की खबर भड़ास4मीडिया पर रोज पढता है मगर नौकरी जाने के डर से अपना दर्द नहीं बता पा रहा था मगर अब हिम्मत किया और अपना दर्द बताया। उसने वाट्सअप के जरिये जो सन्देश भेजा है, वह इस प्रकार है….
”भाई साहब, मैं एक निम्न आय वर्ग के परिवार से हूं। पिछले कई साल से राजसथान पत्रिका में काम करता हूँ, वितरण विभाग में। हमारे विभाग का काम आप जानते ही होंगे, 24 घंटों का होता है। एक बार आफिस जाने के बाद घर जाने का समय तय नहीं होता कि वापसी कब होगी। परिवार से सही ढंग से मिल भी नहीं पाता पर मजबूरी के कारण सब कुछ सहन कर रहा हूँ। मेरे जैसे कई लोग हैं। हमारे अखबार के मालिक रोज बड़ी बड़ी बातें छापतें हैं कि समाज में लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, ऐसा हो रहा है, लेकिन खुद हमारा खून चूस रहे हैं। हमे नाम का ही वेतन दिया जाता है। सेलरी स्टेटमेंट नहीं दिया जाता। श्रम कानून का पालन नहीं किया जाता है। हमे वेतन में मूल वेतन डीए आदि कुछ नहीं दिया जाता। अदर्स कैटगरी में सेलरी अधिक दिखाई जाती है। पूछने पर निकाल देने की धमकी दी जाती है। मजबूरी में सब सहन कर रहा हूँ। आपके आर्टकिल्स भड़ास4मीडिया में पढा तब लगा कि भगवान ने आपको हम गरीबों की मदद के लिए भेजा है। हमें यही कहा जाता है कि हमारे को डीए नहीं मिल सकता। ग्रेड वाले कर्मचारियों से लिखवा लिया गया है कि हमें मजीठिया नहीं चाहिये। श्रम आयुक्त कार्यालय से भी कोई जांच करने नहीं आया। हमें दिये नियुक्ति पत्र में बेसिक+डीए बताया गया है लेकिन मुझे दिये गये सेलरी सर्टिफिकेट में डीए नहीं दिखाया गया है। forte foliage pvt. Ltd नामक एक प्लेसमेंट कंपनी में हम लोगों को राजस्थान पत्रिका ने भेज दिया है। अब हमें मुंह खोलने पर ट्रांसफर की धमकी दी जा रही है।”
सूत्र तो यहाँ तक चर्चा कर रहे हैं कि राजस्थान पत्रिका इसी तरह प्लेसमेंट एजेंसी के जरिये अब पत्रकारों और दूसरे कर्मचारियों की भर्ती कर रही है।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
9322511335
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Pareshan
July 16, 2016 at 8:07 am
bilkul sahi hai. Rajasthan Patrika Group ne 2013 me hi apne sabhi vibhago ke adhikans staff ko isi company me dal diya
loon karan chhajer
July 18, 2016 at 2:23 pm
यह सब मझिठिया आयोग से बचने के उपाय है जो बहुत साड़ी कम्पनियां कर रही है और इस तरह की रिप्लेसमेंट/पलेस्मेंट एजेंसीज भी इन कंपनियों की ही होती है अर्थात इनकी नजदीकी लोगों की ही होती है. कानून कुछ नहीं कर पाएगा जब तक सोच में बदलाव नहीं आएगा.