Raghvendra Kumar-
तो क्या कार्यक्रम की आधिकारिक घोषणा से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी बोलने लगे थे? आखिर आयोजक क्लॉस ने प्रधानमंत्री मोदी के टूटे हुए लय के बाद ऐसा क्यों कहा कि अब कार्यक्रम की आधिकारिक / औपचारिक शुरुआत होती है? अंतर्राष्ट्रीय मंचों में क्या राष्ट्र की गरिमा नष्ट न हुई? देखें वीडियो, क्लिक करें- asali video https://www.facebook.com/sroybpl/videos/610190170053512/
गिरधारी लाल गोयल-
टेलीप्रॉम्प्टर को लेकर अपमानपूर्ण तरीके से मोदीजी का मजाक उड़ाना बहुत चुभ रहा है. लेकिन अगले ही क्षण उस झूठ की फैक्ट्री IT सैल के अमित मालवीय पर ही गुस्सा आता है जिसने कि आलू और सौने की मशीन जैसे ना जाने कितने झूठ गढ़ गढ़ कर एक अस्वस्थ परम्परा को जन्म दिया जो कि भारत जैसे विशाल राष्ट्र के PM के सम्मान को तार तार कर उसकी धज्जियां यूँ पल भर में हवा में उड़ा कर रख देती है… जो बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होंय…
Anu Shakti Singh-
ईमानदार बात कहूँ, मोदी इकलौते नहीं हैं जो टेलीप्रॉम्प्टर का इस्तेमाल करते हैं। कमाल के ओबामा तक इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। यह बहुत लाज़िम है कि जब हम पढ़कर बोल रहे हों, उस वक़्त अचानक से सामग्री ग़ायब हो जाए तो हम अटपटा जाएँ।
मैं ख़ुद बोलने-बात करने के धंधे में हूँ। बात करते हुए तंद्रा थोड़ी भी भंग हो जाए तो कुछ पल लग जाते हैं वापस ढर्रे पर आने में… यह किसी के भी साथ हो सकता है। कितने भी बड़े वाक् पटु के साथ। इस बात पर मज़ाक़ बनाकर हम क्यों अपने आप को हर बार लघु साबित करते हैं? क्या हमारी मानवीय समझ को इसे नहीं समझना चाहिए? व्यक्ति का विरोध अलग चीज़ है, किसी अनपेक्षित असहायता का विरोध अजीब चीज़ है।
ऋतु तिवारी-
पीएम मोदी में इतना कहने का आत्मविश्वास भी होना चाहिये कि कुछ तकनीकी ख़राबी हो गई है…कुछ मिनटों का वक़्त माँगते..ड्रामा करने की क्या ज़रूरत थी। उनका ड्रामा पूरी दुनिया ने देखा। हमारे आपके डिफ़ेन्स से कुछ बदलने वाला नहीं
हम किसी कार्यक्रम में भी किसी तकनीकी ख़राबी के लिये माफ़ी माँगकर वक़्त ले लेते हैं।
Anuj Sharma-
नरेंद्र मोदी या इस तरह के व्यक्ति का उपहास इसलिए नहीं उड़ा कि वह बोलते बोलते रुक गये या टेलीप्रॉन्पटर के अलावा वो ठीक से बोल नहीं सकते… हमें वह टेलीप्रॉन्पटर के साथ भी कभी ठीक और स्वस्थ बोलते महसूस नहीं हुए किसी भी दृष्टि से…
यह उपहास इसलिए उड़ रहा है, यह मौका़ इसलिए मिल रहा है लोगों को क्योंकि इन्होंने वक्ताओं का भीष्म पितामह साबित कर रखा है अपने आपको अपने संचार तंत्र के द्वारा.. 10 साल से नरेंद्र मोदी को दुनिया का सबसे बढ़िया ओरेटर साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है , इनसे अधिक चपल बोलने वाला कोई है ही नहीं इस बात पर सारा तंत्र ज़ोर देता है। अगर किसी की प्रतिष्ठा मारनी हो तो उसे महिमामंडित करें, प्रतिष्ठा खंडित होनी तय होती है!
Soumitra Roy-
दरअसल टैलिप्राम्प्टर की गड़बड़ी के बाद मोदीजी घबरा गए, लेकिन अपने रॉ विजन का सहारा लेते हुए पूछ लिया-क्या आपको मेरी आवाज आ रही है? क्या आपको अनुवाद सुनाई दे रहा है? फ़ोन पर भी जब मामला फंस जाए तो भारतीय लोग राहत के लिए ऐसे ही फ़िज़ूल सवाल करते हैं। बैकग्राउंड की यह छिपी हुई बातचीत कल रात वीडियो के भारतीय संस्करण में दर्ज़ नहीं हुई थी। इसलिए असली संस्करण सोशल मीडिया पर खूब वायरल है।
किसी भी भारतीय के लिए अपने देश के प्रधानमंत्री का मज़ाक उड़ाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। ये हमारे लिए दुखद है। लेकिन कल दावोस में विश्व आर्थिक मंच के शिखर सम्मेलन में मोदीजी के भाषण के दौरान जो कुछ हुआ, उसे टाला जा सकता था। अगर प्रधानमंत्री के पास अपने भाषण का लिखित हिस्सा होता तो वे उसे बिना रुके और टैलिप्राम्प्टर के सुधरने का इंतज़ार किये बिना पढ़ सकते थे।
दुनिया के 190 से ज़्यादा देश मोदीजी को सुनने के लिए मौजूद थे। फिर वे टैलिप्राम्प्टर पर देखकर पढ़ें या कागज़ पर, उनकी बात अहम होती है। चीनी राष्ट्रपति ने मोदी से पहले मंदारिन में भाषण दिया। जर्मन, फ्रेंच, रूस जैसे कई देशों के प्रमुख भी अपनी भाषा में संवाद करते हैं।
हिंदी में बोलना कोई गँवारूपन नहीं है। अंग्रेज़ी के गुलामों ने हिंदी को दोयम दर्जे का बना रखा है और ये मेरे जैसे पेशेवर अनुवादक को रोजी-रोटी देता है। लेकिन पिछले माह बनारस में मोदीजी 2 टैलिप्राम्प्टर की मदद से हिंदी में बोल रहे थे और इतिहास ही गलत बोल गए।
हमें ऐतराज़ है मोदीजी की लार्जर दैन लाइफ इमेज से, जो उन्होंने अपने चापलूसों की मदद से खुद गढ़ी है। कागज़ पर पढ़ेंगे तो नजरें नीची होंगी, कैमरे का फोकस नहीं जमेगा और फिर उनका गुरूर टूटेगा। या तो मोदी अपना भाषण खुद डिक्टेट करवाते हैं या उनके बाबू बीजेपी IT सेल से मदद लेते हैं।
राहुल गांधी ने ठीक कहा था कि मोदी बिना टैलिप्राम्प्टर के एक शब्द नहीं बोल सकते और कल दुनिया ने इसे सच होते देख लिया। नेहरू, इंदिरा और अटल बिहारी वाजपेयी जैसा वक्ता बनना आसान नहीं है। हर कोई बन भी नहीं सकता। लेकिन जब आप दुनिया से मुखातिब होते हैं तो आपकी नाक नहीं, भारत की नाक दांव पर होती है। वह भी वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग और लाइव। यहां चूक की कोई गुंजाइश नहीं।
कल जो गड़बड़ हुई, उसके पीछे मोदीजी के ख़िलाफ़ किसी बड़ी साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता। मज़ाक तो बन गया। मज़ाक भी इसलिए, क्योंकि गलतियों की लंबी फ़ेहरिस्त है। देखिये इस वीडियो को… मज़ाक बनेगा, अगर आप अपने किरदार और कर्तव्य को मज़ाक बनाएंगे।
Video देखने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/sroybpl/videos/610190170053512/
Navneet Chaturvedi-
टेलीप्रॉम्प्टर में तकनीकी खराबी आना… आइए इसकी वजह समझते हैं… यह मजाक व हास्य का विषय नहीं है… किसी भी सीएम व पीएम की सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य होती है, उसमें उनका कार्यालय ,घर यह सब प्रॉपर साइबर सिक्योरिटी नेटवर्क में होता है। यदि उस नेटवर्क में कोई किसी फोन या स्पाई कैमरे से फोटो क्लिक करे या वीडियो बनाये, ऑडियो रिकॉर्डिंग करे ,या कोई भी मेसेज इंटरनेट से ट्रांसफर हो तो तुरन्त पता लग जाता है कौन क्या कर रहा है।
प्रधानमंत्री का टेलीप्रॉम्प्टर खराब होना एक इंटेलिजेंस फेलियर है,न कि हास्य व्यंग्य का विषय है।
इंटेलिजेंस की भाषा में इसको घर में घुसपैठ सर्जिकल स्ट्राइक कहा जाता है, शर्तिया साइबर हैकिंग की वजह से टेलीप्रॉम्प्टर को खराब किया गया होगा।
यह एक तरह से इंटेलिजेंस वॉर है, प्रधानमंत्री कार्यालय में जिस कंपनी का साइबर सिक्योरिटी सिस्टम लगा होगा उसको फेल करने का जिम्मा किसी और कंपनी ने लिया होगा ….इसी स्टाइल में ये कंपनीज अपना माल बेचती है। इन कंपनीज के मालिक विदेशी खुफिया एजेंसियों के रिटायर्ड अफसर हुआ करते हैं।
इन तरीकों से ये खुफिया एजेंसियां यह इशारा देती है कि हम जब चाहे जहां चाहें सब कुछ कर सकते हैं।
Parmod Pahwa-
तेली प्रोंप्टर का बंद हो जाना और राष्ट्र नायक का आत्मविश्वास टूटना! कल रात की शर्मनाक घटना को केवल मज़ाक समझना बहुत बड़ी ग़लती होगी जिसे सम्बन्धित अधिकारी समझते है लेकिन हम जैसे साधारण मानवी की जानकारी में भी होना चाहिए।
पीएमओ का कोई भी कार्य एक निश्चित प्रोटोकॉल के अनुसार होता है और उसकी सभी सम्भावित नकारात्मक संभावनाओं को भी ध्यान में रखा जाता हैं। प्रधान जी के विषय में सम्भव है कि अत्यधिक अहंकार और तानाशाही से भरे व्यवहार के कारण इनकी अज्ञानता का दुरुपयोग किया जाता हो!
लेकिन विश्व मंच पर इस प्रकार अपमानित करने के पीछे कोई गहन षड्यंत्र नहीं होगा ! ऐसा लगता नहीं है। धीरे धीरे इतना मनोबल गिरा दिया जाएगा और इतना अपमानित किया जाएगा कि कमजोर दिमाग किसी भयानक मानसिक बिगाड़ में चला जाए।
Prashant
January 20, 2022 at 2:19 pm
Sahi hai..
Upar likhe prtyek vyakti ke lekh ka har ek bindu samjhne or sochne yogya hai.
As reader we must feel that we are reading somting important and truthful. And all the write-ups above could not be ignored.