Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

पॉजिटिव पत्रकार!

Pushya Mitra : इस वक़्त आप पॉजिटिव पत्रकार कैसे हो सकते हैं? कुछ टिप्स-

हर समस्या की वजह विपक्ष और जनता में, गरीबों में, दलितों में, अल्पसंख्यकों में ढूँढिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राहुल गांधी, केजरीवाल, लालू, नेहरू और पाकिस्तान में ढूँढिये।

चीन में ढूँढिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर भी काम न चल रहा हो तो नीतीश जैसों में भी ढूंढ लीजिये।

भाजपा, मोदी और उनके लोगों में मत ढूँढिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सरकार की विफलता की बात मत कीजिये, यह वक़्त सरकार की आलोचना करने का नहीं है।

बेचारी हतोत्साहित हो जाएगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चुप रहकर देखिये, मोदी जी ने किया है, ठीक ही किया होगा।

ऐसा लग रहा हो तो राष्ट्र के लिये थोड़ी कुर्बानी दीजिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ दिन ऐसा करके देखिये। आपको लोग पॉजिटिव मानने लगेंगे।


Samarendra Singh : संधी लौंडों को मौका मिल गया है। चौके-छक्के मार रहे हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

ब्रज में देसी-विदेशी गोपियों संग होली खेल रहे थे तो कोरोना नहीं फैला?

19-20 मार्च तक तिरुपति बालाजी और बाबा जगन्नाथ से लेकर सभी मंदिर खुले थे और भजन कीर्तन जारी था मगर वहां भी कोरोना नहीं फैला!

Advertisement. Scroll to continue reading.

बस 13-15 मार्च को निजामुद्दीन में ही फैला है!

इन संधी लौंडों और पंडों को मुल्लों ने और मीडिया ने एक और अवसर दिया है राजनीति करने का अगले कुछ दिन इसी के नाम।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जय कोरोना!


Satyendra PS : निज़ामुद्दीन में लोग छिपे होते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेकिन वैष्णो देवी में लोग फँसे होते है।

शब्दों के बारीक हेरफेर से

Advertisement. Scroll to continue reading.

न्यूज़ में नफ़रत की खेती होती है।

  • विवेक राव

Anushakti Singh :

एक निज़ामुद्दीन की ख़बर और इतने दिनों से आराम फ़रमा रहा आपके अंदर का मजहबी शख़्स बाहर निकल कर कूकने लगा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोई समर्थन में उतर आया है, कोई विरोध में पूरे समुदाय को देश निकाला क्वेरेन्टाइन देने की मुद्रा में है। लोग लिख रहे हैं निज़ामुद्दीन वुहान साबित होगा भारत का।
किस हद्द तक बेग़ैरत हैं आप?
कोई सीमा है?

निज़ामुद्दीन में लोगों का इकट्ठा होना बहुत बड़ी ग़लती थी और इसने ख़तरे को कई गुणा बढ़ा दिया है। इन बातों की जितनी निंदा की जाए कम है लेकिन आनंद विहार?
आनंद विहार का क्या कहेंगे आप?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन मज़दूरों को किस धर्म में रखेंगे? कितने लोग धर्म के आधार पर उनके इकट्ठा होने को जस्टिफाय करेंगे और कितने केवल धर्म के आधार पर उन्हें कोसेंगे?

पहले से भी मालूम होता तो किस आधार पर आप रोक पाते उन्हें? क्या है आपके पास उन्हें देने को, सम्भवतः जिनके बनाये मकानों में अंदर बैठकर आप सुरक्षित महसूस करते हैं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

संवेदना, दस दिन का राशन, या अधिकतम महीने भर का… उनकी आँखों में नाउम्मीदी है। वे अपना परलोक सुधारने के लिए नहीं, अपने इस लोक के आगामी जीवन की चिंता में बोझिल हुए पड़े हैं। उनका इकट्ठा होना उनके पेट की मार है, पर लोग तो उसमें आपके धर्म के भी हैं?

क्यों नहीं आपने अपने-अपने धर्म के मुख्य स्थापनाओं से उनकी ज़िम्मेदारी लेने को कहा? जो गरीब है क्या उसका धर्म पर हक़ नहीं?

Advertisement. Scroll to continue reading.

उस वक़्त कोस लेते अपने धर्म की विचित्रताओं को और कर लेते सुधारने की कोशिश… धार्मिक मदों में जाया हो रहे पैसों को एक मुश्त उन लाखों जिंदगियों को सुधारने में लगा देते।
वैसे देर अब भी नहीं हुई है, कोशिश तो कीजिये, मिलकर आह्वान कीजिये मंदिरों/मस्जिदों/ गुरुद्वारों/ चर्चों से कि इस पलायित जनता का पूरा ख़याल तीन महीने की ख़ातिर ही रख लें। कर पाएँगे आप?

गणित जानते हैं तनिक? 1400 बहुत कम होता है लाखों की तुलना में, बहुत ही कम… कोरोना का जितना प्रसार 1400 लोगों की भीड़ से होगा, उससे बहुत अधिक लाखों की भीड़ से होगा।
वह लाखों की भीड़ अपने घर हो सकती थी अगर आपकी आश्वस्ति होती। इनमें से बहुत आपके कामगार होंगे… रोक लेते, एक को ही। एक को ही आश्वस्त कर देते। एक से एक की श्रृंखला बन जाती।
(तभी मैं क्या जानूँ, मेरी मुसीबत तो है नहीं की मुद्रा में थे आप क्योंकि पेट की समस्या आपकी नहीं)

Advertisement. Scroll to continue reading.

नागरिक होने का धर्म केवल अधिकार नहीं, कर्तव्य भी है। और कर्तव्य की शुरुआत अपने साथी नागरिक के प्रति आपकी संवेदनाओं से शुरू होती है।

कोसने का खेल खेलना बन्द कीजिये और निज़ामुद्दीन के बहाने अपने मजहबी नफ़रतों को ठेलना बन्द कीजिये।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बचिये और कोशिश कीजिये कि बचा सकें किसी साथी को, बिना उसके धर्म की जाँच-परख के…

शुभकामनाएं!

Advertisement. Scroll to continue reading.

Advertisement. Scroll to continue reading.
3 Comments

3 Comments

  1. Anil

    March 31, 2020 at 6:58 pm

    Anand vihar me jo log Ekththa huye wo majdoor khane-pine aur rahne ki vyavastha na hone ki majboori ke karan huye.
    Jabki nizamuddin me log mazahbi Karyakarm me aaye the.
    Rahi baat ब्रज में देसी-विदेशी के द्वारा होली खेलने की तो, यह भी बता भडासवालो की तब लोक डाउन नही था |

    19-20 मार्च तक तिरुपति बालाजी और बाबा जगन्नाथ से लेकर सभी मंदिर खुले थे और भजन कीर्तन जारी था, लेकिन यह भी बता भडासवालो की तब लोक डाउन नही था |

    बस 13-15 मार्च को निजामुद्दीन में ही फैला है!
    तुम झूठ फैला रहा है भडासवालो, कल 13-15 तारीख नहीं थी बल्कि 30 मार्च तारीख थी, जबकि delhi में केजरीवाल सरकार के द्वारा लोक डाउन 23 मार्च से ही लागू हो चुका था फिर भी इतनें दिन ये लोग क्या कर रहे थे
    निजामुद्दीन में |

    एक बात बता दु कि मंदिर वाले लोग लोक डाउन के बाद मंदिर में नहीं दिखे |
    जबकि जमात वाले लोक डाउन के बाद भी हर दिन किसी न किसी मस्जिद में दिखते है |

    1)निज़ामुद्दीन में लोग छिपे होते हैं।
    उत्तर: क्योंकि इन लोगों ने लोक डाउन के बाद किसी से मदद की अपील नहीं की बल्कि अपनी ट्रावेल हिस्ट्री छुपाते है, और अपनी सभी जानकारीयॉं सरकार से छुपाते है, और देश के अलग- अलग राज्यों में फैल जातें हैं |
    ➡मरकज के कार्यक्रम को रद्द करने को 2 बार दिया था
    नोटिस
    ➡23 और 28 मार्च को दिल्ली पुलिस ने भेजा था नोटिस
    नोटिस भेजने के बाद भी आयोजित हुआ कार्यक्रम

    2)लेकिन वैष्णो देवी में लोग फँसे होते है।
    उत्तर: जबकि इन लोगों ने लोक डाउन के बाद मदद की अपील की साथ ही अपनी ट्रावेल हिस्ट्री नहीं छुपाई और अपनी सभी जानकारीयॉं सरकार को दी, और देश के अलग- अलग राज्यों में नहीं फैले |

  2. Anil

    April 1, 2020 at 1:03 am

    Some news is spreading in social media that 400 devotees are stranded at the Vaishno Devi shrine. It is clarified that no devotee is stranded in Katra or Vaishno Devi. Yatra stopped on 18th March, much before the lockdown: RK Jangid, CEO Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board, J&K

    Source: ANI
    https://twitter.com/ANI/status/1244991045177245702?s=20

  3. Bharat goyal

    April 2, 2020 at 11:45 pm

    भाई लेख की शुरुआती लाइन पढ़कर ही तेरी वामपंथी विचारधारा का एहसास हो गया। लगे रहो मुन्ना भाई

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement