ऐसी सूचना मिली है कुलपति कुठियाला से बरसों से चल रहे सत्ता संघर्ष में आखिरकार पुष्पेंद्र पाल सिंह ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय को टाटा बाय बाय बोल दिया है. पुष्पेंद्र पाल छात्रों में लोकप्रिय शख्सियत रहे हैं. उनके बारे में बताया जा रहा है कि वे इनफारमेशन डिपार्टमेंट से जुड़ गए हैं. इस बीच उनके जाने की खबर से माखनलाल पत्रकार विश्वविद्यालय के संघ से जुड़े छात्रों कर्मियों में हर्ष का माहौल है. वहीं ढेर सारे नए पुराने छात्र दुखी हैं कि उनके प्रिय प्रोफेसर का विश्वविद्यालय से संबंध खत्म हो गया. पूरे मामले को लेकर एक बेचैन आत्मा की तरफ से भड़ास के पास भेजी गई मेल के कुछ अंश इस प्रकार हैं:
”पुष्पेंद्र पाल के जाने को लेकर सोशल मीडिया में पुष्पेंद्र पाल सिंह के चेले चपाटी चुप्पी साधे हुए हैं क्योंकि उनको आका की तरफ से इशारा मिला होगा कि कोई कुछ न लिखे। दूसरी तरफ पुष्पेंद्र पाल सिंह ने अपना फेसबुक प्रोफाइल का भी लगभग गला घोट दिया है। उन्होंने अपनी तस्वीर हटा ली है और टाइमलाइन पर नरेंद्र मोदी की मीटिंग में माइक पकड़े उनकी दाढ़ी वाली भारी भरकम छवि भी गायब है। असल में पुष्पेंद्र पाल सिंह के बारे में आ रही खबर अगर सच है तो यह उन सबके लिए खुशी की बात है जो किसी न किसी तरह से उनके द्वारा विश्वविद्यालय में प्रताड़ित किेए गए चाहे वो छात्र हों या शिक्षक या कर्मचारी। यह उनके लिए दुख की बात है जिनके लिए माखनलाल के जर्नलिज्म डिपार्टमेंट हेड रहे पुष्पेंद्र पाल सिंह मसीहा था, बाबा थे। जिनको सिंह जी ने अपनी पहुंच की बदौलत अच्छे संस्थानों में घुसा दिया। पीपी सिंह ताकत के घमंड में यह समझ बैठे थे कि माखनलाल में उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। छात्रों की नौकरी पाने के लालच और कमजोरी का भरपूर फायदा उठाने में माहिर ऐसा खेल खेलते थे जिसकी कहानी कइयों को मालूम है लेकिन जिनको मालूम नहीं है उनको जानकर हैरानी होगी। 2010 में पीपी सिंह को हटाने के बाद हुए माखनलाल में तोड़फोड़ और छात्रों के आंदोलन में के पीछे यही शातिर दिमाग काम कर रहा था। अभी 2015 के जून में भी ऐसा ही आंदोलन छिड़ा था उसमें संस्थानों में काम कर रहे पीपी सिंह के चापलूस अचानक सक्रिए होकर उनका गुणगान करने लगे थे। एडमिशन के कुछ दिन बाद ही वह असली खेल शुरू हो जाता था जिसके जरिए पीपी सिंह ने अपना पीआर और लंबा चौड़ा नेटवर्क बनाया था।”
vikash jha
August 13, 2015 at 4:16 pm
PP singh sir ke bare me jisne ye likha shayads unse mila nahi hai. ek bar mil lega to to unhe insan nahi bhagwan manega.
Hari Prakash Shukla
August 19, 2015 at 2:06 pm
Kise vyakti-vishesh keliye kuch likhane se pehle use janna jarori hota hai aur tumhara lekh padh kar nahi lagta ki tum Shri P.P. SINGH ji ko jante ho. Isliye apne bakwas band karo.
prashant mishra
August 10, 2015 at 8:02 am
यशवंत जी भड़ास से ये उम्मीद नही थी। बिना किसी नाम के , किसी के बारे में ऐसे अनाप सनाप कुछ भी कोई यंहा लिखवा सकता है क्या। जो सरासर गलत और दुष्प्रचार हो। क्या आप माखनलाल की हकीकत नही जानते।
Sonika Gupta
August 10, 2015 at 9:57 am
यह एक गैर जिम्मेदाराना हरकत है। आप किसी भी अज्ञात मेल को सच नही मान सकते। भड़ास4मीडिया से ये कतई उम्मीद नहीं थी की यह अन्य मीडिया की तरह ‘पेड न्यूज़’ का शिकार बनेगी।दुखद।
Abhishekh Tripathi
August 11, 2015 at 11:32 am
जिस भी द्वारा आपको यह मेल जिसने भी भेजा है जरा जा के एकबार उनका बैकग्राउंड चेक करिये.आपको जवाब मिल जाएगा यशवंत जी…
parikshit nirbhay
August 11, 2015 at 8:52 pm
भड़ास का मजाक मत उड़ने दें भाई साहब. ये पत्रकारों के अधिकारों के लिए लड़ना वाला मंच है, किसी एक सज्जन कम दुर्जन ज्यादा व्यक्तित्व वाले इंसान के मेल का हवला देकर सैंकड़ों युवा व वरिष्ठ पत्रकारों को झूठा साबित नहीं कर सकते. रहा सवाल चेले चपाटे का. तो मुझे लगता है कि माखनलाल में अध्यात्म और संस्कार का बीज बोने वालो भूल गए हैं कि गुरू हमेशा पिता रूपी होता है. शर्म आती है मुझे आपके इस मेल को पढ़कर साथ ही भड़ास पर ये देख कर.
parikshit nirbhay
August 11, 2015 at 8:52 pm
भड़ास का मजाक मत उड़ने दें भाई साहब. ये पत्रकारों के अधिकारों के लिए लड़ना वाला मंच है, किसी एक सज्जन कम दुर्जन ज्यादा व्यक्तित्व वाले इंसान के मेल का हवला देकर सैंकड़ों युवा व वरिष्ठ पत्रकारों को झूठा साबित नहीं कर सकते. रहा सवाल चेले चपाटे का. तो मुझे लगता है कि माखनलाल में अध्यात्म और संस्कार का बीज बोने वालो भूल गए हैं कि गुरू हमेशा पिता रूपी होता है. शर्म आती है मुझे आपके इस मेल को पढ़कर साथ ही भड़ास पर ये देख कर.
AJAY
August 12, 2015 at 9:41 am
अफसोस कि अब ऐसे घटिया मेल भड़ास पर देखने को मिल रहे हैं।
rashmi ranjan
August 12, 2015 at 11:45 am
😆 😀 e-mail bhejne wale ki mandbudhi pe daya dikhayi ja sakti hai…
hamein aapki kuntha ka aalam dekhkar bahut afsos hua…
jahir hai ki aap ke paas kisi ache sansthan mein naukri nahi hai…..
apni nakabiliyat sangh ke sath bantiye…
aapki jankari ke liye bata dun ki modi se lekar ek chai dukan wala bhi unki vinamrata ka kayal hai…
aur ganga mein koi thook bhi phenke to ganga maili nahi hoti…..