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प्रभात रंजन दीन ने वायस आफ मूवमेंट से अपने इस्तीफे के लिए 12 बजे रात का वक्त चुना

कल वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों को वेतन दे दिया गया. वो भी एक नहीं, डेढ महीने का जबकि वायस आफ मूवमेंट के चेयरमैन प्रखर कुमार सिंह लखनउ में नहीं थे.  उन्होंने दिल्ली में अपने पिता के साथ हास्पिटल में होते हुए भी अपने किए गए वादे को पूरा किया जिसके लिए पूरे वायस आफ मूवमेंट के कर्मचारियों ने प्रखर कुमार सिंह को धन्यवाद दिया और उनके पिता के जल्द ठीक होने की कामना की.

<p>कल वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों को वेतन दे दिया गया. वो भी एक नहीं, डेढ महीने का जबकि वायस आफ मूवमेंट के चेयरमैन प्रखर कुमार सिंह लखनउ में नहीं थे.  उन्होंने दिल्ली में अपने पिता के साथ हास्पिटल में होते हुए भी अपने किए गए वादे को पूरा किया जिसके लिए पूरे वायस आफ मूवमेंट के कर्मचारियों ने प्रखर कुमार सिंह को धन्यवाद दिया और उनके पिता के जल्द ठीक होने की कामना की.</p>

कल वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों को वेतन दे दिया गया. वो भी एक नहीं, डेढ महीने का जबकि वायस आफ मूवमेंट के चेयरमैन प्रखर कुमार सिंह लखनउ में नहीं थे.  उन्होंने दिल्ली में अपने पिता के साथ हास्पिटल में होते हुए भी अपने किए गए वादे को पूरा किया जिसके लिए पूरे वायस आफ मूवमेंट के कर्मचारियों ने प्रखर कुमार सिंह को धन्यवाद दिया और उनके पिता के जल्द ठीक होने की कामना की.

जहां तक प्रभात रंजन दीन के मूल्यों और नैतिकता की बात है तो उसे पूरा अखबार जगत जान चुका है क्योंकि उनके मूल्यों और नैतिकता को कैनविज टाइम्स से लेकर वायस आफ मूवमेंट तक सबने देखा और इसलिए अब प्रभात रंजन दीन के खोखले मूल्यों और नैतिकता के बारे में किसी को संदेह नहीं रह गया है. उस समय प्रभात रंजन दीन के मूल्य और नैतिकता कहां थे जब इन्होंने कैनविज टाइम्स से 30 सम्पादकीय स्टाफ और रिपोर्टरों के साथ अचानक इस्तीफा दे दिया था जहां इन्होंने पिछले दो साल तक काम किया था.  इस इस्तीफे के कारण कैनविज टाइम्स दो दिनों तक प्रकाशित नहीं हुआ. उस समय प्रभात रंजन दीन की संगठन के प्रति वफादारी क्या यही थी.

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प्रभात रंजन दीन ने वायस आफ मूवमेंट से अपने इस्तीफे के लिए 12 बजे रात का वक्त चुना, वह भी तब जब संस्था के चेयरमैन प्रखर कुमार सिंह दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले थे जहां उनके पिता एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं जो एक गम्भीर बीमारी से जूझ रहे हैं. इन सब के एक दिन पहले ही प्रभात रंजन दीन ने सभी कर्मचारियों के साथ मीटिंग में प्रखर कुमार सिंह के साथ उनकी परेशानी की घड़ी में समर्थन की बात की थी और संस्थान को एक परिवार बताया था. इसके लिए उन्होंने अपने खोखले आदर्शों की दुहाई भी दी थी.  जहां तक बात लेख को लेकर प्रभात रंजन दीन के इस्तीफे की है तो सच तो ये है कि वह लेख प्रखर कुमार सिंह के दिमाग से उपजा था जिसे शब्दों में उतारने के लिए दीन से कहा गया था. मैं वायस आफ मूवमेंट के सभी कर्मचारियों के मेहनत और ईमानदारी और संस्थान के प्रति वफादारी को सलाम करता हूं और प्रभात रंजन दीन से इन कर्मचारियों से कुछ सीख लेने का निवेदन करता हूं. और हां, सभी से निवेदन है कि किसी को दोष देने से पहले पूरी जानकारी इकट्ठा कर लें.

भड़ास के पास उपरोक्त पत्र yuva singh के नाम से और [email protected] मेल आईडी से सेंड किया गया. 

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0 Comments

  1. shabbankhangul

    July 3, 2014 at 3:21 am

    prbht ab sathiya gay hai

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