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मेरठ के ‘प्रभात’ अखबार के मीडियाकर्मी सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी से परेशान

मेरठ के सुभारती समूह द्वारा हिंदी दैनिक अखबार ‘प्रभात’ का प्रकाशन किया जाता है. आरोप है कि अखबार के सिटी इंचार्ज के रवैये से कई पत्रकार अखबार छोड़कर चले गए. इन दिनों छायाकार समीर सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी के रवैये से सकते में हैं. 31 मार्च को दैनिक प्रभात समाचार पत्र में सुबह के समय सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी कई पत्रकार एवं छायाकारों के साथ बैठक कर रहे थे. इस बीच छायाकार समीर की कार्यप्रणाली को लेकर सिटी इंचार्ज ने गलत शब्द बोले. सिटी इंचार्ज ने फोटोग्राफर समीर को सभी लोगों के सामने ही बैठक से बाहर निकाल दिया. इससे फोटोग्राफर के सम्मान को काफी ठेस पहुंची.

<p>मेरठ के सुभारती समूह द्वारा हिंदी दैनिक अखबार 'प्रभात' का प्रकाशन किया जाता है. आरोप है कि अखबार के सिटी इंचार्ज के रवैये से कई पत्रकार अखबार छोड़कर चले गए. इन दिनों छायाकार समीर सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी के रवैये से सकते में हैं. 31 मार्च को दैनिक प्रभात समाचार पत्र में सुबह के समय सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी कई पत्रकार एवं छायाकारों के साथ बैठक कर रहे थे. इस बीच छायाकार समीर की कार्यप्रणाली को लेकर सिटी इंचार्ज ने गलत शब्द बोले. सिटी इंचार्ज ने फोटोग्राफर समीर को सभी लोगों के सामने ही बैठक से बाहर निकाल दिया. इससे फोटोग्राफर के सम्मान को काफी ठेस पहुंची.</p>

मेरठ के सुभारती समूह द्वारा हिंदी दैनिक अखबार ‘प्रभात’ का प्रकाशन किया जाता है. आरोप है कि अखबार के सिटी इंचार्ज के रवैये से कई पत्रकार अखबार छोड़कर चले गए. इन दिनों छायाकार समीर सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी के रवैये से सकते में हैं. 31 मार्च को दैनिक प्रभात समाचार पत्र में सुबह के समय सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी कई पत्रकार एवं छायाकारों के साथ बैठक कर रहे थे. इस बीच छायाकार समीर की कार्यप्रणाली को लेकर सिटी इंचार्ज ने गलत शब्द बोले. सिटी इंचार्ज ने फोटोग्राफर समीर को सभी लोगों के सामने ही बैठक से बाहर निकाल दिया. इससे फोटोग्राफर के सम्मान को काफी ठेस पहुंची.

फोटोग्राफर अपने साथ हुए कृत्य को लेकर दो दिन तक मानसिक तनाव में रहा. स्वास्थ्य खराब होने के बाद परिजनों ने निजी अस्पताल में भर्ती कराया. इस छायाकार ने हमेशा कंपनी के नियमों एवं हित में रहकर कार्य किया. उधर, सिटी इंचार्ज के रवैये से परेशान होकर पत्रकार कपिल, प्रीति, प्रशांत गौड़, सुमेंद्र व संजू सिंह दैनिक प्रभात समाचार पत्र से त्याग पत्र देकर जा चुके हैं.  कुछ अन्य लोग त्याग पत्र देने की तैयारी में हैं. सिटी इंचार्ज केपी त्रिपाठी पर कई किस्म के आरोप हैं. सिटी इंचार्ज ने क्राइम इंचार्ज जीवन कुमार को दो बार सस्पेंड किया. कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों ने संपादक एके अस्थाना के समक्ष गुहार लगाई लेकिन संपादक सभी को सिटी इंचार्ज से जाकर मिलने को कह देते हैं, जिससे सभी लोग निराश हैं.

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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. haal naidunia

    April 13, 2015 at 2:25 pm

    उतरने लगी आनंद की मेहंदी,
    दबाव में लगातार गलत निर्णय
    कर रहे हैं पांडे

    भास्कर से हाल ही में बड़ी उम्मीद से इंदौर नईदुनिया में लाए आनंद पांडे की मेहंदी उतरने लगी है… ऊंची और बड़ी बातों से अपनी मार्केटिंग कर रहे पांडे नईदुनिया में आ तो गए पर काम के दबाव से दो ही महीनों में सांसे फूलने लगी है… पांडे के दबाव में आने की एक बड़ी और है… गलत साथियों का चयन… पांडे के साथ रायपुर भास्कर में काम कर रहे मनोज प्रियदर्शी को मोटी सेलेरी देकर नईदुनिया लाया गया… भाषा ज्ञान और अंग्रेजी में कमजोरी के बावजूद उन्हें सेंट्रल डेस्क का प्रभारी बना दिया… स्वाभाविक था प्रतिभाशाली लोग परेशान होने लगे… भरे संपादकीय हॉल में जब सेंट्रल डेस्क के वरिष्ठ सहयोगी सचींद्र श्रीवास्तव ने मनोज को उनके कमजोर न्यूज सेंस पर आईना दिखाया तो पांडे के प्रिय पात्र प्रियदर्शी हत्थे से उखड़ गए… दोनों में जमकर तू-तू मैं-मैं हुई… सचींद्र तब और दुखी हो गए जब बेकसूर होने के बाद भी पांडे ने उन्हें आड़े हाथ लिया… अच्छे लोगों पर नजरें जमाए बैठे भास्कर ने मौके का फायदा उठाया और काम के जानकार सचींद्र को तुरंत ऑफर दे दिया… सचींद्र ने भी जमकर शॉट मारा, पद और पैसे में प्रमोशन के साथ अपना भाग्य भास्कर से जोड़ लिया… ऐसी ही कहानी उज्ज्वल शुक्ला की है… पंडित जी ने पिछले 10 सालों से नईदुनिया से नाता जोड़ रखा था… पांडे परिवार से सार्वजनिक भिडंत होने के बाद उन्होंने सधा हुआ वक्तव्य जारी किया – यदि हाड़तोड़ मेहनत के बाद जिल्लत ही सहनी हो तो ज्यादा पैसे व बड़े पद के ऑफर को क्यों ठुकराया जाए… नईदुनिया सेंट्रल डेस्क पर ऑनलाइन एडिटिंग-पेजमेकि  ंग का यह आजमाया खिलाड़ी अब भास्कर की ओर से बेटिंग कर रहा है… अब कहानी में थोड़ा आक्रामक घुमाव है… सेंट्रल डेस्क की पुरानी साथी सीमा शर्मा ने पांडे जी के पहियों से सीधा पंगा लिया… पूरे संपादकीय के सामने मनोज प्रियदर्शी का ऐसा पानी उतारा कि एकबारगी तो सभी को सांप सूंघ गया… सीमा ने तर्क के साथ अपनी बात भी रखी, तार्किक परिणाम भी निकाला… असर देखिए अब उनके नाम से, उनसे जुड़ी सारी बातें अपने आप सध जाती हैं… अब जोर का झटका धीरे से… नईदुनिया की मिट्टी में पले बढ़े मधुर जोशी ने सेलरी और थुक भरा तमाचा इस्तीफे के रूप में दे मारा… जोशी जी की सुबह अब भास्कर के उजाले में हो रही है… जानकारी के लिये बता दूं कि गजेंद्र मिटिंग से गालियां देकर नहीं गया। बस उसने पांडे की गालियां खाने से इंकार कर दिया और तमीज से बात करने की नसीहत दे डाली। जबकि पांडे को जूते लगाये जाने चाहिये थे। ऐसे ही जो जयेंद्र जी को जानता है वो सपने में भी नहीं सोच सकता कि वे गलती करें और उनको भाफी मांगना पड़े। एक मूर्ख और जाहिल को यदि किसी समझदार का हेड बनाया जाएगा तो समझदार जयेंद्र जी की तरह खुद को किनारे कर लेगा। गधे को घोड़े पर सवार होते देखना है तो अभी नईदुनिया आ जाओ।

    खुफिया विभाग पर पांडे खर्च कर रहे डेढ़ लाख रुपए महीना

    शोले का मशहूर पात्र हरिराम नाई आपको याद ही होगा… ठीक यही भूमिका में इन दिनों काम कर रहे हैं सेंट्रल डेस्क के मनोज प्रियदर्शी, सिटी डेस्क के नितिन शर्मा और रिपोर्टर प्रमोद त्रिवेदी… तीनों का कुल वेतन करीब डेढ़ लाख रुपए महीना है… लेकिन जिम्मेदारी है केवल सूचना संग्रह… कहां क्या हो रहा, कौन क्या कर रहा, किसने किससे कितनी देर क्या बात की, पल-पल के अपडेट पर नजर रखना और सीधे सिंहासन तक खुफियापंथी करना… जिम्मेदार पद-मोटा वेतन और काम केवल हरिराम नाई का… बस यही वजह है कि इन दिनों ये तीनों पूरी टीम के निशाने पर हैं… कोई आश्चर्य नहीं कि किसी दिन कोई सिरफिरा कोई बड़ी खबर दे दे…

  2. vijay

    April 15, 2015 at 9:31 am

    Sale sab chutiya Baithe hue h. apne No. badhane me lage h. soch rahe h k jitna khech sako dr. se khech lo.. kitne sampadak aaye gaye par akhbar vahi ka vahi h… or ha ye tripathi bhi…. 😆 :

  3. vijay

    April 15, 2015 at 9:33 am

    sale gadhe

  4. Deepak

    April 15, 2015 at 9:37 am

    bhaiyo ye to batao k K.P ka chamcha giri k alawa output kya hai 😛 😛 😛

  5. Mukesh Gupta

    April 15, 2015 at 11:07 am

    Ek baar fir ithihaas khud ko dahura raha hai. ise tarah k utpeedan ke bad subharti media ltd. ke kuch patrkaaron ne ek alag pepar nikal diya tha. jo aaj achhi sthiti me h… apni inhi karkaton k karan prabhat aur neche ja raha h…ye chor ise barbaad kar k hi manege

  6. नईदुनिया

    May 6, 2015 at 6:13 am

    ऐसा लगता है मानो पूरे नईदुनिया ग्रुप में अंधेर मच गई है। प्रिंट की हालत तो चरमराई हुई है ही साथ ही डिजिटल डिपार्टमेंट भी सफेद हाथी साबित हो रहा है। यहां चाटुकारों को प्रमोशन दिए जा रहे हैं। ऐसे लोग, जो दूसरों की बुराई करने में माहिर हैं, उन्हें आगे बढाया जा रहा है।

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