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प्रचार-प्रशंसा के भूखे मोदी ने ढाई साल में 1100 करोड़ रुपये विज्ञापनों पर फूंक डाला

केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल के कार्यकाल में पीएम मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया. हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं. देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगल यान के खर्च से दोगुना है. इसे दुनिया का सबसे कम खर्चीला अंतरग्रहीय अभियान माना जाता है, जिसकी कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है.

<p>केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल के कार्यकाल में पीएम मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया. हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं. देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगल यान के खर्च से दोगुना है. इसे दुनिया का सबसे कम खर्चीला अंतरग्रहीय अभियान माना जाता है, जिसकी कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है.</p>

केंद्र सरकार ने पिछले ढाई साल के कार्यकाल में पीएम मोदी पर केंद्रित विज्ञापनों पर 1100 करोड़ रुपए ख़र्च किए हैं. आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह के सवालों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. यह खर्च एक जून 2014 से 31 अगस्त 2016 के बीच किया गया. हिसाब लगाया जाए तो इसका मतलब है कि सिर्फ विज्ञापनों पर सरकार ने 1.4 करोड़ रूपए रोज़ाना खर्च किए हैं. देखा जाए तो यह भारत के मंगल अभियान मंगल यान के खर्च से दोगुना है. इसे दुनिया का सबसे कम खर्चीला अंतरग्रहीय अभियान माना जाता है, जिसकी कीमत सिर्फ 450 करोड़ रुपए है.

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार ने ब्रॉडकास्ट, कम्युनिटी रेडियो, डिजिटल सिनेमा, इंटरनेट, दूरदर्शन, प्रोडक्शन, एसएमएस, टेलीकास्ट पर अबतक करीब 11 अरब यानी 1100 करोड़ रुपये खर्च किए. इसमें प्रिंट विज्ञापन, होर्डिंग्स, पोस्टर, बुकलेट और कैलेंडर शामिल नहीं हैं. अगर ये खर्च भी जोड़ लिए जाएं तो कुल खर्च की राशि काफी अधिक हो सकती है. सिर्फ एसएमएस पर डीएवीपी ने 17 करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिया, जो दो लाख रुपए रोजाना है. सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 तक लगभग 448 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2016 तक 542 करोड़ रुपये और 1 अप्रैल, 2016 से 31 अगस्त, 2016 तक 120 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. इस तरह कुल 1111 करोड़ 78 लाख रुपये से अधिक का सरकारी धन मोदी सरकार के प्रचार पर खर्च हो चुका है.

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आरटीआई कार्यकर्ता रामवीर सिंह का कहते हैं- कहा जाता रहा है कि मोदी चाय के पैसे भी खुद दिया करते थे, ऐसे में विज्ञापन को लेकर सवाल उठने पर आरटीआई लगाई थी. अंदाजा था मोदी के विज्ञापनों पर 5 से 10 करोड़ का खर्च किया होगा. लेकिन ढाई साल में 1100 करोड़ खर्च का पता लगने के बाद निराशा महसूस हुई. साथ ही इसकी तुलना उन्होंने अमेरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से की और कहा कि वहां सरकार के चुनाव प्रचार में 800 करोड़ रूपये खर्च हुए है जबकि हमारे देश में एक केंद्र सरकार इतना ने इतना सारा पैसा खर्च कर दिया, ये बहुत ही निंदनीय है. अगर इन पैसों को जनता के काम में लगाया जाता तो ज्यादा बेहतर होता.

कुछ महीने पहले इसी तरह का आरोप आम आदमी पार्टी पर भी लगा था. एक आरटीआई से पता चला था कि दिल्ली की आप आदमी पार्टी सरकार विज्ञापनों पर प्रतिदिन 16 लाख रुपए खर्च कर रही है. साल 2015 में आप सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष में विज्ञापनों पर 526 करोड़ रूपए खर्च किए थे. उस वक्त बीजेपी ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर खुद का महिमा मंडन करने का आरोप लगाया था. तब बीजेपी ने कहा था, ‘आप ऐसी पार्टी बन गई है, जिसका काम सिर्फ अपना प्रचार करना रह गया है.’

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0 Comments

  1. Asish

    November 30, 2016 at 8:05 am

    साल 2015 में आप सरकार ने पूरे वित्तीय वर्ष में विज्ञापनों पर 526 करोड़ रूपए खर्च किए थे.!!!! I think something wrong information or wrong understanding. Allocated budget 526 Cr not Spent. Kindly check the fact.

  2. ankit

    December 25, 2016 at 9:59 pm

    मैं इस site को जब भी पढता हूँ तो मुझे पता होता है कि इसका मालिक केजरीवाल का चमचा है और भाजपा विरोधी है, इसीलिए मैं कभी कमेंट नहीं करता लेकिन ये लोग इतने बड़े बेशर्म हैं कि मेरे पास शब्दों की कमी है.

    मोदी 130 करोड़ के देश के PM हैं और उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार के लिए 2.5 सालों में 1100 करोड़ खर्च किये तो ये उस पर छाती कूटने लागे लेकिन इनका बाप चंदाचोर केजरीवाल आधे प्रदेश का मुख्यमंत्री होकर भी सिर्फ 1 साल में 550 करोड़ का मीडिया बजट बनाता है तो वो ठीक है. हद हो गयी हरामीपन की.

    मुझे पूरा यकीन है कि ये वेबसाइट भी फर्ज़ीवाल के दान पे भी चल रही है क्यूंकि ये सबको पता है कि जैसे ही उसने 550 करोड़ मीडिया-बजट घोषित किया, अचानक से अनेकों websites और news portals AAP की दलाली करने लगे, facebook पे अनेकों pages प्रकट हो गये जो मोदी के खिलाफ fake news को fake accounts से likes और share करते हैं. और इस bhadas4media website का मालिक (जो IBN7 की anchor को छेड़ने के कारण जेल में हवा काट चुका है) भी फर्ज़ीवाल का ही दलाल है.

    PS: मेरी comment चाहे तो पब्लिश मत करना पर मुझे तसल्ली होगी कि तूने पढ़ तो ली ही

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