मनीष दुबे-
13 सितंबर 1997 को दूरदर्शन पर शुरु हुए किरदार ने कई किशोरों को बर्बाद कर दिया था. इस काल्पनिक किरदार को देखने के लिए बच्चे स्कूलों से गोला मार देते थे. मुकेश खन्ना के यह किरदार इतना पॉपुलर हुआ कि झुरमुट से लेकर दुर्मुट तक हर कहीं शक्तिमान ही शक्तिमान दिखने लगा था. इस सीरियल के लगभग 400 एपिसोड टीवी पर ऑन एयर हुए थे, फिर इसे बन्द कर दिया गया.
कहा जाता है कि, दूरदर्शन वालें शक्तिमान के एक भाग को प्रसारित करने की एवज में 10 लाख रूपए लेते थे, जो कार्यक्रम की लोकप्रियता को देखते हुए बढ़ता गया और एक समय 40 लाख तक चला गया. उस वक़्त उतने विज्ञापन भी नहीं होते थे जिससे शक्तिमान का खर्चा उठाया जा सके, अंत में मुकेश खन्ना को बच्चों का सबसे फेवरेट शो शक्तिमान को बंद कर देना पड़ा. लेकिन इस कार्यक्रम की लोकप्रियता लोगों के सिर इस कदर छाई की तमाम नमकीन, बिस्किट से लेकर खिलौने तक शक्तिमान यानी मुकेश खन्ना की दम पर बिकने लगे.
देश को 2014 के बाद फिर एक शक्तिमान मिला. ‘प्रचारमान’ नरेंद्र मोदी के रूप में. लेकिन इस शक्तिमान ने भारत और भारतीयों को दूसरी तरह नचाया. शौचालय से लेकर पेट्रोल पंप-राशन की दुकान से लेकर झोलों तक सबकुछ मोदीमय हो गया. अब रिफाइंड, नमक और चने के पैकेट पर भी मोदी निवास रहे. हालिया आंकड़ों के मुताबिक बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की जमापूंजी का अधिकतर हिस्सा मोदी ने अपने प्रचार में फूंक डाला. 2022 यूपी चुनाव तक जनता के लिए राशन मुफ्त है, जिसमें मोदी और योगी विराज रहे हैं.
जनता मुफ्त लेकर लहालोट है कह रही ‘कौन सा मोदीजी अपनी जेब से दे रहे, सब हमारा ही है’. इसलिए ‘प्रचारमान जी’ किसी मुगालते में मत रहिएगा. जनता बहुत होशियार है. अभी जो जनता अफीम खाई सी दिख रही वह दरअसल आपके हथकंडे नोट कर रही.
UK_Bhadasi
December 13, 2021 at 5:56 pm
Ravivar ko Shaktiman ka prasaran hota tha, koun se school ke bacche gola mar dete the, jara bataane ka kasth kare?