Ashwini Sharma : लखनऊ में भारत समाचार के कैमरामैन प्रदीप की सड़क हादसे में मौत से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.. प्रदीप के असमय निधन की खबर से मैं भी सदमे में हूं.. लेकिन सीएम योगी की ओर से आर्थिक मदद की खबर से राहत महसूस कर रहा हूं..
इसके लिए मैं तहेदिल से भारत समाचार प्रबंधन खासतौर से Brajesh Misra सर का कोटि कोटि आभार व्यक्त करता हूं.. पहले तो खुद भारत समाचार के कर्मचारियों ने प्रदीप के परिजनों को इकठ्ठा कर आर्थिक मदद की और अब योगी आदित्यनाथ से भी मदद का हाथ बढ़वाया..
ये बात सौ फीसदी सच है कि जब कोई जमीन से उठा पत्रकार खुद चैनल मालिक बनता है तो पत्रकारों, उनके परिजनों के मर्म को आत्मसात करता है.. प्रदीप के परिजनों को इस विपत्ति की घड़ी में हिम्मत मिले ईश्वर से प्रार्थना भी करता हूं..
Lokesh Rai : जब एक पत्रकार चैनल का मालिक बनता है तो वो मालिक कम एक गार्जियन ज्यादा होता है. ये साबित करके दिखाया है भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्रा ने. हमारे साथी कैमरा सहयोगी प्रदीप की सड़क दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु होने के बाद सभी ने परिवार का सहयोग किया.
सभी साथियों ने अपनी एक दिन की सेलरी से लेकर जो मुमकिन हुआ वो किया. लेकिन दूसरी तरफ ब्रजेश सर ने सरकार से भी परिवार को आर्थिक सहायता दिलाने में भरपूर मदद की. ये इसलिए खास है कि जिस दौर में मीडिया संस्थान अपने रिपोर्टर और कैमरामैन को हादसों के बाद पहचानने से इनकार कर देते हैं, ऐसे में इन्होंने जो कुछ किया है वो मौजूदा दौर में इंसानियत और शख्स दोनों की नीयत साफ करता है। मुझे गर्व है कि मैं आपकी टीम का हिस्सा हूँ।
टीवी पत्रकार अश्विनी शर्मा और लोकेश राय की एफबी वॉल से.
https://www.youtube.com/watch?v=Rzq8h4WwiaQ
Rajesh Gaur
September 21, 2018 at 2:58 pm
Thanks to Brijesh Ji & Up govt. for support that kind to a dare & hardworker & creative person’s family in this very crural situation we know koi bhi divangat vyakti ki kami ka ghav Poora bhar Pata hai. is Tarah ke sahyog se uske Parivar ke thode se aansu main kami aajati hai.
आसिफ खान
September 22, 2018 at 4:51 am
ब्राह्मणवादी मीडिया अपनी सहूलत से हर बात विश्लेषण करता है… मक्कार लोगों से उम्मीद ही क्या की जा सकती है… अखिलेश यादव ने एक खुदसाख्ता पत्रकार से सिर्फ ये शिकायत की थी कि तुमने मेरे क्या अमल देखा जो औरंगज़ेब लिख दिया!? क्या औरंगज़ेब जैसा सख्त और कट्टर हूं!? अगर मैं औरंगज़ेब होता या या मेरी जगह औरंगज़ेब होता और तब तुम ये कहते तो औरंगजेब तुम्हारा सर तलवार से क़लम कर देता!
लेकिन मक्कार और धूर्त लोग बड़ी चालाकी से बीच के शब्दों और बोलने वाले के असल मंतव्य को छुपा जाते हैं और बात कहने वाले पे इल्ज़ाम धर देते हैं!?
जनता अब सारी मक्कारियाँ समझने लगी है.!