श्रीमान संपादक जी, भड़ास4मीडिया
गत 1 जून को मैंने एक मेल भेजकर आपको जानकारी दी थी कि इंदौर से प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्रिका ‘’हैलो हिंदुस्तान’ अब प्रकाशन से बाहर हो गई है। पिछले करीब तीन माह से यह प्रकाशित नहीं हो पा रही है। इतना ही नहीं, इसके कर्ता-धर्ता प्रवीण शर्मा जो सांध्य दैनिक अखबार भी निकाल रहे थे, कई माह से अपने कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं बांट पाए हैं। इस बारे में जब कर्मचारी सवाल करते है कि उन्हें वेतन कब दिया जाएगा तो उनका सीधा सा जवाब होता है कि जब मेरे पास होंगे तब दिए जाएंगे।
आपकी जानकारी के लिए बताना ठीक होगा कि प्रवीण शर्मा जो कि किसी जमाने नईदुनिया में काम करते हुए अभय छजलानी एवं महेंद्र सेठिया का खास हुआ करता था, उनके नक्शेकदम पर चल रहा है। जानकारी के मुताबिक हिन्दी सांध्य दैनिक ‘’हैलो हिंदुस्तान’ में काम करने वाले लोगों को दो-ढाई हजार रुपए में काम करवा रहा है, लेकिन यह अल्प मानदेय भी वह इन कर्मियों को दो-दो तीन-तीन माह में नहीं दे रहा है, लेकिन उसने हाल ही में करीब एक करोड़ रुपए से इंदौर के पॉश इलाके में आलीशान मकान का सौदा किया है। यदि उसका कोई कर्मी उससे वेतन देने का तकादा करता है तो वह उन्हें कहता है कि जब उसके पास पैसे होंगे त वह देगा। कोई भी दलील या मजबूरी उसके लिए कोई मायने नहीं रखती।
अपने मकान के लिए पैसों का इंतजाम और संस्थान के कर्मियों के वेतन का जुगाड़ करने के लिए दैनिक भास्कर के साथ मिलकर वह इंदौर में लिटरेचर फेस्टिवल कर रहा है। उसका मकसद है कि यदि वह इस आयोजन को सफलतापूर्वक अंजाम दे देता है तो फिर 10-20 लाख रुपए का जुगाड़ करना उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं रहेगा। यही गुर उसने नईदुनिया में रहते हुए सीखे हैं जिन पर अमल कर वह अब अपना उल्लू सीधा कर रहा है।
जिनको सेलेरी नहीं मिल रही नहीं, बल्कि यह कहिये किसी को सेलेरी नहीं मिल रही है, यदि आप नाम जानना चाहते हैं तो यहाँ काम करने वाले दीपक पावले, नरेंद्र यादव, घनश्याम डोंगरे, जगदीश वर्मा (जो अपनी बीवी के नाम से यहाँ काम करते हैं) प्रमोद दाभाडे, कमल मुंगेवाल आदि कई कर्मी हैं. यदि आप चाहेंगे तो इनके फोन नंबर भी आपको मुहैया कराये जा सकते हैं. ये सब प्रवीण शर्मा के साथ इसलिए जुड़े है क्योंकि एक तो वह किसी ज़माने में पत्रकार हुआ करता था, साथ ही कहीं और काम करने के बजाय यहाँ काम करने की आजादी है साथ ही अपना निर्धारित काम कर घर जा सकते हैं. शायद यही कारण है कि नरेंद्र और दीपक जैसे लोग यहाँ टिके हैं. देर से ही सही प्रवीण शर्मा रोते-झींकते पैसे दे देगा.
प्रदीप मल्होत्रा
pradeep malhotra
[email protected]
सलिल यादव
November 5, 2015 at 10:51 pm
यह खबर जिसने भी नाम बदल के लिखी है उसे सभी लोग जानते है,, और इस बन्दे को हेलो हिंदुस्तान से लात मार के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इससे पहले ये कई जगह नौकरी के लिए जा चूका है लेकिन हर जगह से भगा देते है.. नई दुनिया से निकालने के बाद इसको कही नौकरी नहीं मिली, दबंग दुनिया से भी भगा दिया।
Nitin Kushwah
November 5, 2015 at 11:12 pm
यह खबर जिसने भी नाम बदल के लिखी है उसे सभी लोग जानते है,, और इस बन्दे को हेलो हिंदुस्तान से लात मार के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इससे पहले ये कई जगह नौकरी के लिए जा चूका है लेकिन हर जगह से भगा देते है.. नई दुनिया से निकालने के बाद इसको कही नौकरी नहीं मिली, दबंग दुनिया से भी भगा दिया।
indorei bhiya
November 6, 2015 at 1:20 am
जिन भिया ने ये खबर लिखी है वो भी हेलो हिंदुस्तान में अपनी बीबी के नाम की रोटी सेक रिये थे…. और उनकी बीबी इनसे अच्छी नौकरी करती है….
Pavin
November 10, 2015 at 2:28 am
सब खबर लिखने वाले के बारे में बता रहे हैं, कोई ये नहीं कह रहा कि जो लिखा गया है क्या वह गलत है? यदि नहीं तो फिर लिखने वाले पर क्यों कॉमेंट किये जा रहे है. इससे यही लगता ही इंदौर के पत्रकार जगत में अब केवल मालिकों के पोतड़े धोने वाले ही बचे हैं.