अर्णब गोस्वामी के नाम खुला पत्र
श्रीमान् अर्णब गोस्वामीजी,
वरिष्ठ पत्रकार व प्रबंध संपादक, रिपब्लिक टीवी नेटवर्क
विषय : रिपब्लिक भारत के पैनल पर आमंत्रण और निरंकुश गाली-गलौच
महाशय,
ससम्मान आपको विदित कराना जरूरी है कि 2019 से लगातार रिपब्लिक भारत पर डिबेट पैनल का हिस्सा रहा हूं और अपने 25 वर्षीय पत्रकारीय जीवन के अनुभवों के साथ देश में असंतोष की आवाज़ को अभिव्यक्ति देता रहा हूं। मगर, आज खिन्न हूं, व्यथित हूं, क्षोभ में हूं, आक्रोश में हूं।
मुझे नहीं लगता कि अपमान के उन क्षणों को आपके सामने व्यक्त करते हुए मुझे संकोच करना चाहिए जो मेजर गौरव आर्या, सीनियर कंसल्टिंग एडिटर, रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क ने मेरे लिए आज दिनांक 2 मार्च शाम के डिबेट शो ‘5 का प्रहार’ में सृजित किए। उन्होंने मेरे लिए जो अपशब्द कहे उनमें से कुछेक पर गौर करें-
प्रेम कुमार भांड है
मैं चैनल पर ऐलान करता हूं कि प्रेम कुमार जानवर की औलाद है
प्रेम कुमार को जूते मारकर निकालो
ये राहुल गांधी का दलाल है
वो राहुल गांधी जो मूर्ख है, जिसको पता नहीं है कि लद्दाख उत्तर में है कि दक्षिण में है
गौरव आर्या लगातार अपशब्द बोल रहे थे। कोई रोकने-टोकने वाला नहीं था। उल्टे इस दौरान काफी समय तक मुझे स्क्रीन से बाहर रखा गया। मेरी आवाज़ का फेडर डाउन (आवाज़ दबाना) कर दिया गया। ऐसा नहीं है कि मैं चुप रहा। मैंने सारे शब्दों को उनके लिए पलट कर कहा। मगर, दर्शकों के बीच मेरी आवाज़ नहीं गयी। हां, यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि कभी ऐसा पल नहीं आया जब मेजर गौरव आर्या की आवाज़ दबायी गयी हो।
क्या न्यूज़ चैनल जैसे प्लेटफॉर्म पर ऐसे पक्षपात आपराधिक नहीं हैं? क्या इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा तंत्र ही मुझे अपशब्द कह रहे मेजर गौरव आर्या (रिटायर्ड) की मदद कर रहा था?
अर्णब गोस्वामीजी, मैं यह कहना चाहता हूं कि भले ही मेजर गौरव आर्या आपके संस्थान में सीनियर कंसल्टिंग एडिटर हों, मगर इन्होंने अपने आचरण से आपके संस्थान का नाम रौशन नहीं किया है। सच तो यह है कि उन्होंने अपने पदाधिकारी होने का बेजा फायदा उठाया है और एंकर श्वेता त्रिपाठी के लिए ‘एंकर-वैंकर’ कहा। एंकर श्वेता त्रिपाठी लाचार दिखीं। तब मैंने तुरंत इस पर आपत्ति जतायी क्योंकि एक पत्रकार के तौर पर ऐसा सुनना मुझे गवारा नहीं था। बड़बोले मेजर ने मेरे लिए “ये बकवास करता है, बदतमीज है, इसके फेडर गिराओ…”जैसी बातें कहीं। अफसोस कि ऐसा कह रहे मेजर गौरव की बात अक्षरश: मान ली गयी।
अर्णबजी, ये मेजर गौरव आर्या अगर पत्रकार होते तो पत्रकारिता के मंच, एंकर और पैनलिस्ट पत्रकार का अपमान नहीं करते। आपने इन्हें सीनियर कंसल्टिंग एडिटर का तमगा जरूर दिया है लेकिन ये पत्रकार नहीं हो सकते। सेना में महज 5-6 साल की नौकरी के बाद मेजर गौरव आर्या ने रीयल इस्टेट की दुनिया में गारे-सीमेंट के अनुभव लिए हैं। आज भी वे अपने अतीत को बेचने ही का काम कर रहे हैं। मुझे यकीन है कि आपको अच्छी तरह से पता होगा कि पिछले साल ट्विटर पर वरिष्ठ पूर्व सेनाधिकारियों से भी गाली-गलौच कर चुके हैं मेजर आर्या। ये पत्रकारिता की मर्यादा नहीं समझ सकते। मगर, मेरी यह खुली चिट्ठी अर्णब गोस्वामीजी आपके लिए इसलिए है ताकि आप इस पूरे वाकये में छिपे मर्म को समझिए।
मैंने जानबूझकर इस बात का जिक्र नहीं किया है कि डिबेट किस विषय पर थी। विषय तो गुम हो गया। विषय बस एक रह गया था- मेजर गौरव आर्या प्रेम कुमार को गाली दें और रिपब्लिक टीम का पूरा तंत्र इस काम में उनकी मदद करें। ये सारा वाकया पैनल पर मौजूद पत्रकार श्री संजीव उनियाल, बीजेपी प्रवक्ता श्री आरपी सिंह, राजनीतिक विश्लेषक श्री राहुल लाल, वामपंथी नेता श्री मित्र प्रकाश के समक्ष हुआ।
आप भले ही व्यक्तिगत मान-अपमान को तवज्जो ना दें, मगर पत्रकारिता के मंच के मान-अपमान की चिंता जरूर करें-
सिर्फ सत्ता के विरोध में बोलनेवालों की आवाज़ दबायी जाए तो ऐसा करना बहुत बड़ा गुनाह है। इसे रोका जाना चाहिए।
एंकर सत्ता विरोधी राय रखने वाले लोगों के साथ दुश्मन जैसा सलूक करना बंद करें।
विपक्ष भी सम्मान का हकदार है। उसके लिए अपशब्द बंद होने चाहिए।
उम्मीद है कि पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखने की इस आवाज़ को सुनने की कोशिश करेंगे।
धन्यवाद
प्रेम कुमार
एक आवाज़
Contact : 8368503723, 8447011477
Email : [email protected], [email protected]
Twitter : @AskThePremKumar
Facebook Page : @AskThePremKumar