खुद को वामपंथी घोषित करने वाले प्रेस क्लब आफ इंडिया के पदाधिकारियों और प्रबंध समिति सदस्यों की साजिश को क्लब के आम सदस्यों ने नकार दिया. प्रेस क्लब आफ इंडिया बेचने के मुद्दे पर सभी सदस्यों ने आपात बैठक में एकजुटता दिखाते हुए ऐसा करने को प्रेस क्लब की स्वायत्तता सरकार के हाथों गिरवी रखने के समान बताया. ज्ञात हो कि दिल्ली के रायसीना रोड स्थित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया का राज्यसभा टीवी के साथ ज़मीन का सौदा प्रस्तावित था. इसी मसले पर शनिवार को क्लब की आपात जनरल बॉडी मीटिंग (ईजीएम) हुई जिसमें यह प्रस्ताव औंधे मुंह गिर गया.
ज्ञात हो कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में लंबे समय से नए क्लब के निर्माण के लिए ज़मीन की खरीद-फ़रोख्त की कवायद चल रही है. पैसे न होने का हवाला देते हुए जमीन के लिए सरकार के साथ गलबहियां करने की तैयारी थी. आपात बैठक में सरकार के सहयोग से जमीन लेने और नए क्लब का निर्माण कराने का प्रस्ताव गिरने के बाद जमीन लेने के लिए पैसे जुटाने हेतु दो कमेटी बनाने का प्रस्ताव रखा गया.
आपात बैठक में वरिष्ठ सदस्यों से लेकर नए सदस्यों तक सभी एकमत थे कि क्लब को सरकार या उसकी एजेंसियों के साथ कोई गठजोड़ नहीं करना चाहिए. आपात बैठक में प्रबंधन समिति का प्रस्ताव गिरने लगा तो बैठक की अध्यक्षता कर रहे अध्यक्ष लाहिड़ी का स्वर तंज होता गया. वे कुछ वरिष्ठ पत्रकारों का मखौल तक उड़ाने लगे. प्रबंधन समिति सदस्य अभिषेक श्रीवास्तव ने शुरू से ही इस प्रस्ताव का विरोध किया और इसको लेकर कई पत्र भी लिखे. अभिषेक ने जोरदार ढंग से सरकार के साथ गलबहियां करने के प्रस्ताव का विरोध किया.
अविनाश
May 7, 2018 at 11:41 pm
अच्छी बात है सही निर्णय लिया गया हैं