Yashwant Singh : लगता है कि Abhishek Srivastava जी अब अरविंद केजरीवाल बन चुके हैं… सत्ता का साथ पसंद है… नियम सिद्धांत भले जाएं भाड़ में… प्रेस क्लब चुनाव के दौरान बड़ा जोर शोर से खुद के पैनल को परम कम्युनिस्ट और सामने वाले पैनल को संघी घोषित कर दिया… इन्हीं अभिषेक जी के जीते पैनल यानि प्रेस क्लब के वर्तमान पदाधिकारियों ने दिल्ली भाजपा के प्रेसीडेंट मनोज तिवारी की अगुवाई में बसंत बहार गवाया, प्रेस क्लब में. अभिषेक जी इस प्रेस क्लब की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य है और इसी मैनेजिंग कमेटी की तरफ से सारे क्लब मेंबर्स को मेल कर के सूचना भिजवाया गया कि हे मेंबर्स आओ… मनोज तिवारी जी की अगुवाई में राग बसंत सुनो, पियो, खाओ, गाओ, झूमो…
क्या अभिषेक जी, जीतने के बाद आप भी संघी हो गए… इस्तीफा काहें नहीं दिए अब तक… आप को लोग इसलिए प्यार करते हैं क्योंकि आप कथनी करनी में समान भाव रखते हैं… वरना आपमें और केजरीवाल के गुणों में क्या फर्क है… वो भी नैतिकता के इतने हाई स्टैंडर्ड को बोल बक कर सत्ता में आए कि आने के बाद उनकी धोती खुलती ही गई… अब बेचारे नंगे हैं… कहीं आप भी उसी राह पर……. तो नहीं….???? जनता वांट टू नो…
इस प्रकरण से संबंधित जो पुरानी पोस्ट है मेरी, उसे भी नीचे शेयर कर रहा हूं…
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प्रेस क्लब आफ इंडिया में जो कथित आत्ममुग्ध चरम वामपंथी पैनल चुनाव जीतता रहा है और इस बार भी जीता है, वह भाजपा दिल्ली के नेता मनोज तिवारी के नेतृत्व में क्लब में ‘बसंत बहार’ मना रहा है… इससे हमें कोई दिक्कत नहीं… बस आप सबको ये बताना था कि बात बात पर दूसरों को संघी साबित करने वाले लोग खुद कितने बड़े हिप्पोक्रेट होते हैं… संभल जाओ चमन वालों…. हिप्पोक्रेटों के दिन आ गए हैं…. चुनाव के वक्त लेफ्ट-राइट का फर्जी राग गाएंगे और जीतने के बाद साल भर तक मोदी सरकार के मंत्रियों और सत्ताधारी पार्टी भाजपा के नेताओं के चरणों में टाइम बिताएंगे… कभी ज्ञापन के नाम पर तो कभी आयोजन के नाम पर….. असल में हिप्पोक्रेटों की कोई जाति नहीं होती… ये बड़े घिनहे लोग होते हैं… हर पल ये तर्क और स्टैंड बदलते रहते हैं….जैसा मौसम देखेंगे, वैसा राग कढ़ाएंगे…. लगता है बसंत में ‘राग भगवा’ इन्हें सूट करता है… गाते रहो भाइयों बसंत में ‘मनोज बहार’… तुम्हारी चिरकुटई सब देख रहे हैं…. पढ़िए, ये है प्रेस क्लब आफ इंडिया की मैनेजिंग कमेटी की तरफ से भेजा गया न्योता….
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“सम्भल जाओ चमन वालों के आये दिन बहार के”
Friends,
PCI is organising ‘Basant Bahar’, a cultural event, to celebrate the arrival of Spring on February 10, Saturday (From 7 pm to 10 pm) at the Club premises.
Dotson, the chill of winter is gone yet the heat of summer is still a while away. Therefore, let’s celebrate the beauty of ‘spring’, the wonderful weather. There will be lot of naach gaana and masti.
While BJP MP Manoj Tiwary will be the Chief Guest, Union Minister of State for Health and family welfare Ashwini Kumar Choubey will grace the occasion.
Managing Committee
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भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
उपरोक्त स्टेटस पर अभिषेक श्रीवास्तव और यशवंत के बीच हुई कमेंटबाजी यूं है…
Abhishek Srivastava कार्यक्रम 10 को था। मैंने इस बारे में 8 को प्रतिवाद में लिखा था यहीं पर। भीतर जाकर सबसे मुखर प्रतिवाद किया। कार्यक्रम में भी गया ताकि देख सकूं क्या नाटक चल रहा है। गायक आया, उसने गाना गाया। बस…एक मेरी पेशकश पर भी। बतौर नेता मामला था ही नहीं। हाँ, अध्यक्ष और महासचिव ने जैसा लिजलिजापन दिखाया, वह रिपोर्ट करने लायक चीज़ है। कहानी दिलचस्प है। लगता है आपकी नींद हफ्ता भर देर से खुली है गुरुजी। काफी देर से। एक लंबा पीस लिख रहा हूँ बसंत बाहर के चमनों पर। आपको भी भेज दूंगा। छाप दीजियेगा। इस्तीफे की ज़रूरत हो तो बता दीजियेगा, देदूँगा कभी भी क्योंकि पिछली तमाम बैठकों में से केवल पहिली में हाजिरी लगाने गया हूँ। हद ये है कि मनोज तिवारी के कार्यक्रम के आयोजक प्रमोद कुमार जो कमेटी के सदस्य हैं, मुझे जानते ही नहीं हैं। ऐसे कई कमेटी मेंबर हैं जिन्हें नहीं पता कि हम भी कोई मेंबर हैं। कभी मिलिए तो बताऊं कि आप मेरी जगह होते तो कुछ अलग क्यों नहीं होता।
Yashwant Singh सत्ता के तर्क ऐसे ही होते हैं भाई… वास्तु विहार बिल्डर घोटाले के नेतृत्वकर्ता के नेतृत्व में कामरेडों वाली प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी कैसे कोई प्रोग्राम करा सकती है, यह सोच कल्पना से परे है…बाकी, मेरी जगह होते तो कुछ अलग क्यों नहीं होता और प्रमोद कुमार मुझे जानते तक नहीं वाले तर्क बेहद बचकाने और दिल को समझाने वाले हैं… अपने जितने उंचे आदर्शों पर खड़े होकर खुद के पैनल को कामरेड और दूसरे को संघी लिख डाला, तो मानिए कि आपके पैनल में भी ढेर सारे संघी हैं… जो जीते भी हैं… जो अपने मन की करा ले जा रहे हैं और आप लोग टापते रह जा रहे हैं… इस मुद्दे पर आपके इस्तीफे से कम का कुछ भी मान्य नहीं… मेरे लेवल पर.. क्योंकि जितने उंचे स्टैंडर्ड नैतिकता के आप खुद के लिए कायम करते हैं, उतने उंचे पैमाने पालन के भी रखने चाहिए… नींद मेरी सही वक्त पर खुली थी… बस ये वाच कर रहा था कि आप खुद से क्या निर्णय लेते हैं… नीचे मनोज तिवारी के घोटालों को लेकर कुछ लिंक डाल रहा हूं… देख लीजिएगा.. एक तो भाजपाई.. दूसरे घोटालेबाज… क्या यही दिन देखना रह गया था कामरेडों वाली प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी को… सही जा रहे हैं मित्र… चलिए… मानिए… चुनाव के दौरान लंबी लंबी फेंकने का चलन होता है… रात गई बात गई…
https://www.bhadas4media.com/article-comment/12798-vastu-vihar-scam-news
https://www.bhadas4media.com/web-cinema/12230-manoj-tiwari-and-vastu-vihar-project-fraud
Abhishek Srivastava इस्तीफ दे देंगे भाई… मेरे लिए कहीं होने न होने में ज्यादा फर्क नहीं. पहले ये तो संज्ञान में लीजिये कि हम आपसे हफ्ते भर पहले इसका लिखित प्रतिवाद कर चुके हैं इतनी चिंता है तो आप उस वक़्त कहाँ थे? रुकिए, लिंक देता हूँ… अगर आप इस लिखे को recognize नहीं करते तो बात अलग है…
https://www.facebook.com/abhishekgroo/posts/10214306973962315
Yashwant Singh उस प्रतिवाद का मतलब क्या जिससे कुछ होता जाता नहीं… आप निर्वाचित मैनेजिंग कमेटी मेंबर हैं… आप जिस विचारधारा और जिस नैतिकता के पैमाने पर चुनाव लड़े, अगर उसके ठीक उलटा हो रहा था तो आपको या तो प्रोग्राम रुकवाना चाहिए या फिर न रुकने पर इस्तीफा दे देना चाहिए था… वैसे भी प्रेस क्लब मैनेजिंग कमेटी मेंबर को कोई तनख्वाह या लाभ जैसा तो कुछ मिलता नहीं… फिर काहें को इतना मोह… फिर काहें को इतना दाएं बाएं के तर्क कि लिखित प्रतिवाद किया… मौके पर जाकर विरोध किया… ETC…
Abhishek Srivastava आपकी पहली पंक्ति दिलचस्प है: “उस प्रतिवाद का मतलब क्या जिससे कुछ होता जाता नहीं… ” नब्बे साल का कम्युनिस्ट और समाजवादी आन्दोलन आपकी इस पंक्ति से खारिज हो गया. हम क्या चीज़ हैं.
Yashwant Singh यहां बात एक घटना पर हो रही है. नब्बे साल के आंदोलन पर नहीं. आपको सत्ता मुबारक. बने रहिए. मनोज तिवारी जी को फिर फिर बुलाइए. मुझे क्या.. लेकिन बस, ये फिर न कहना कि सामने वाले संघी हैं और हम सब परम कम्युनिस्ट… ऐसे ही कम्युनिस्टों ने नब्बे सालों के कम्युनिस्ट आंदोलन का नाश किया है जो मौका देखकर भाजपाई बन गए या भाजपाइयों का साथ नेतृत्व कुबूल कर लिया…
Abhishek Srivastava अच्छा चलिए, ये बताइए, आपको अगर किसी कलाकार को बसंत के गीत गाने के लिए बुलाना होता तो किसे बुलाते?
Yashwant Singh मीडिया में ढेर सारे साथी हैं.. हम खुद कलाकार हैं… गिरिजेश को बुलाते.. ध्यानेंद्र मणि को बुलाते…आप खुद अच्छा गाते हैं… इतने लचर तर्क न पेश करें भाई… काम हो जाने के बाद उस पर लीपापोती और ढंकने के ये तरीके बहुत पुराने हैं… मुझे दो दिन का वक्त दीजिए… एक से एक लोक कलाकार पेश कर दूंगा, जो मनोज तिवारी से अच्छा गाते हैं… और वो किसी दलदल में नहीं हैं…
Abhishek Srivastava बिलकुल ठीक… मैं भी यही मानता हूँ. अब आपको मैनेजमेंट का तर्क देता हूँ जो मुझे क्लब के अध्यक्ष से वैकल्पिक नामों को सुझाने के जवाब में मिला. उनका कहना है की मनोज तिवारी नए क्लब के निर्माण के लिए सहयोग करेंगे. पैसा दिलवाएंगे. अध्यक्ष ने कहा: ये सब मैं क्लब के लिए ही तो कर रहा हूँ. बिलकुल वैसे ही जैसे बाप बेटे से अपने भ्रष्टाचार के बचाव में कहता है की ये सब तो मैं परिवार के लिए ही तो कर रहा हूँ. इसके बाद मुझे समझ आया की सारा मामला पैसे का है बसंत की आड़ में. पांच दिन हो गए प्रोग्राम को. उस समझदारी के बाद मैंने अगला कदम अभी नहीं उठाया है. अगर आप मुझसे हफ्ता भर लेट सवाल उठा रहे हैं तो मुझे भी हफ्ता भर देंगे की नहीं प्रतिक्रिया के लिए? आपके सारे सवाल जायज़ हैं. आप गलत नहीं हैं, मैं खुद कह रहा हूँ.
Yashwant Singh अभिषेक भाई.. आप अगर निर्दल लड़े होते, जीते होते तो आपका लिखित प्रतिरोध और मौके पर जाकर विरोध पर्याप्त कदम होता. लेकिन आप उस पैनल के पार्ट हैं जिसे आपने लंबे लंबे पोस्ट लिखकर जिताया.. उसे सार्टिफिकेट दिया कि ये परम कम्युनिस्ट पैनल है, बाकी सब संघी हैं… इसलिए आपसे निजी तौर पर उम्मीद तो ज्यादा सब लोग करेंगे.. क्योकि आपके पैनल से किसी दूसरे ने कभी नहीं लिख कर कहा कि हम लोग कम्युनिस्ट हैं और सामने वाले संघी… और, अगर कुछ एक ने कहा भी होगा तो उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध है क्योंकि वो प्रेस क्लब की सत्ता की मलाई चाटने के आदी हैं और उन पर प्रेस क्लब को लेकर कई किस्म के आरोप भी लगे हैं… आपके पास वक्त ही वक्त है सर. हां, आपने यह कहकर दिल जीत लिया कि हफ्ता भर का समय दिया जाए…
Abhishek Srivastava
February 15, 2018 at 11:49 am
भाई साब, मेरी जवाबदेही सदस्य के बतौर बेशक बनती है. मैं तो बल्कि इंतज़ार कर रहा था की कोई पूछे मनोज तिवारी वाले कार्यक्रम के बारे में मुझसे. लोग ही गाफिल रहे. मैं चौकस था दो दिन पहले से. दरअसल, मुझे पहले महीने में ही समझ आ गया था की प्रेस क्लब की प्रबंधन कमेटी एक caucus की तरह काम करती है. मैं उसमें सबसे ज्यादा आउटसाइडर हूँ. कुछ बेहद करीबी मित्रो के कहने पर खड़ा हो गया. बिना प्रचार के जीत भी गया. 3 फेब की जिस बैठक में तिवारी का प्रस्ताव लाया गया, मैं उस दिन दूसरी बैठक में कहीं और था. गया नहीं था. जब न्योता आया तो माथा ठनका. मेरे हाथ से मेरा वीटो निकल चूका था…फिर भी मैंने इंतज़ार किया कार्यक्रम का, की देखा जाए क्या होता है. सारा मामला पैसे का निकला जिससे नया प्रेस क्लब बनना है. बसंत फसंत धोखा था. आप जानते हैं पैसे वैसे के मामले में मेरा कोई लेना देना नहीं. हां, जिस तरह पदाधिकारी उस दिन लसरिया रहे थे, बड़ा अश्लील माहौल बन गया था. वहां मेरे होने का कोई मतलब नहीं है, मैं तभी समझ गया था. अगले दिन जब भी क्लब जाऊँगा, आपको सूचना दे दूंगा, इस्तीफ़े की खबर बना कर एडवांस में चाहे तो रख लीजिए.
Yashwant Singh
February 15, 2018 at 11:50 am
मेरी नज़र में आपका कद बढ़ गया अभिषेक भाई.. इस्तीफे का इंतजार रहेगा..