लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर को खुल्ला छोड़ दिया है. इससे उत्साहित एमजे अकबर ने आरोप लगाने वाली पत्रकार प्रिया रमानी पर मानहानि का केस करर दिया है. अकबर ने अपने वकील कंजरवाला एंड कंपनी के माध्यम से दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में रमाणी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
सवाल है कि एमजे अकबर पर 14 महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर चल रहे #MeToo कैंपेन के तहत यौन शोषण के आरोप लगाए हैं, जिनमें से प्रिया रमाणी भी एक हैं, तो क्या अकबर सभी के खिलाफ मानहानि का केस करेंगे?
रविवार सुबह अपनी नाइजीरिया यात्रा से लौटे एमजे अकबर ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई दी और सभी आरोपों का बेबुनियाद और झूठा बताया. एशियन एज, टेलीग्राफ, इंडिया टुडे आदि के संपादक रह चुके विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर ने महिला पत्रकारों के आरोपों को खारिज कर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही. उन्होंने आरोपों को छवि खराब करने की कोशिश बताया.
उधर, मोदी सरकार के मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि आरोप साबित होने पर एमजे अकबर को इस्तीफा दे देना चाहिए. विपक्षी दल कांग्रेस, माकपा और एआईएमआईएम भी अकबर से इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए हैं. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने एमजे अकबर को उनके पद से हटाए जाने के लिए प्रधानमंत्री को लेटर भी लिख चुकी हैं.
एमजे अकबर की सफाई पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि क्या उनके खिलाफ आरोप लगाने वाली सभी महिलाएं झूठ बोल रही हैं? मालीवाल ने ट्वीट किया, ‘सभी महिलाएं झूठे आरोप लगा रही हैं? वे संसद में आपकी सीट के बाद हैं? अगर भारतीय जनता पार्टी को आज कोई नुकसान पहुंचा रहा है तो वह है एमजे अकबर का खराब और भ्रष्ट व्यवहार और प्रधानमंत्री मोदी की अविश्वसनीय चुप्पी और मामले में कोई कदम नहीं उठाना।’
इससे पहले केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था केंद्र सरकार #MeToo कैम्पेन के तहत सामने आ रहे मामलों की जनसुनवाई के लिए चार रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाएगी.
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