आपने पढ़ा कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने शहरी नक्सलियों माओवादियों के बारे में गलत बयानी की। यह भी कि हिन्दी अखबारों ने उनके आरोप को जस का तस छाप दिया। कुछ ने राहुल गांधी के जवाब को साथ छापा। यह अखबारों का ही काम था कि वे यह भी बताते कि नक्सलियों के बारे में प्रधानममंत्री ने पहले क्या कहा है।
फेसबुक पर एक पुरानी खबर का लिंक मिला। न्यूज 18 डॉट कॉम पर यह खबर 20 मई 2010 की है। पर अंग्रेजी में है। आपके लिए मैंने उसका हिन्दी अनुवाद कर दिया है। जो इस प्रकार है
नक्सली हमारे ‘अपने लोग’ हैं और सरकार को उनसे वार्ता करनी चाहिए। यह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का नजरिया है। “ये (नक्सली) हमारे अपने लोग हैं। हमें उन्हें बताना होगा कि हिन्सा समस्याओं का समाधान नहीं हो सकती है। नक्सल समस्या के समाधान का सर्वश्रेष्ठ तरीका वार्ता है।” मोदी ने अलीगढ़ में एक समारोह में कहा।
मोदी का बयान आश्चर्यजनक है क्योंकि उनकी पार्टी भाजपा नक्सलियों के खिलाफ सख्त नीति पर जोर देती है। बुधवार को ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने बागियों को ‘टेरोरिस्ट’ (आतंकवादी) कहा था। उन्होंने कहा था, “वे सबसे बड़े आतंकवादी हैं; लोकतंत्र के लिए नक्सलवाद सबसे बड़ी चुनौती है। वे बंदूक की नोंक पर सत्ता कब्जाना चाहते हैं।” 2010 की यह खबर हिन्दी में नहीं मिली।
मानलिया, 2010 की खबर पुरानी है। मशहूर यू ट्यूबर, ध्रुव राठी ने 26 मई 2018 की एक खबर का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया है। इसके मुताबिक, पश्चिम बंगाल के ग्रामीण चुनावों में भाजपा ने माओवादी समर्थक इकाई से गठजोड़ किया था। यह अंग्रेजी अखबार द हिन्दू की तस्वीर है। आप भी इस खबर को पढ़ सकते हैं।
पश्चिम बंगाल के आदिवासी बुहल झारग्राम और पुरुलिया जिलों में भाजपा ने हाल में संपन्न हुए ग्रामीण चुनावों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। बंगाल झारखंड सीमा पर झारग्राम के कम से कम एक ब्लॉक में भाजपा ने आदिवासी समन्वय मंच (एएसएम ) के लिए सीट छोड़ी जिसे प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) का समर्थन है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने स्वीकार किया कि उनका एएसएम के साथ सीटों का तालमेल था। हमलोगों ने उन सीटों पर उम्मीदवार नहीं खड़े किए जहां एएसएम के उम्मीदवार थे। …. हम उन्हें जानते है और भविष्य में मिलकर काम कर सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]