मुंगेर (बिहार) : सुप्रीम कोर्ट के 11 जुलाई 2018 के आदेश के आलोक में मुंगेर जिले की पुलिस हिन्दी दैनिक हिन्दुस्तान के 200 करोड़ के सरकारी विज्ञापन-घोटाला में शीघ्र ही अनुसंधान शुरू करेगी। माना जा रहा है कि अब पुलिस अनुसंधान को अंतिम मुकाम तक ले जायेगी। इस घोटाले के नामजद अभियुक्तों की ओर से पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं के कारण इस मुकदमे में सभी प्रकार की पुलिस कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी गई थी। इस अंतरिम आदेश के आलोक में मुंगेर पुलिस का अनुसंधान लगभग पांच वर्षों से अधिक समय तक लंबित रहा।
इस वर्ष 11 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभियोजन के पक्ष में आया। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एके-47 तस्करी के मामले के उदभेदन के बाद से मुंगेर पुलिस का पूरा ध्यान शस्त्र-तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने में लग गया। मुंगेर के पुलिस अधीक्षक बाबू राम के नेतृत्व में बीस एके-47 की बरामदी कर अब तक बड़ी सफलता भी प्राप्त की जा चुकी है।
शस्त्र-तस्करी की व्यापकता को देखते हुए भारत सरकार ने पूरे मामले में आगे के अनुसंधान का जिम्मा एनआईए को सुपुर्द कर दिया। एनआईए की 15 सदस्यीय टीम पूरे मामले को अपने हाथों में लेने के लिए मुंगेर पहुंच भी चुकी है। पुलिस अधीक्षक बाबू राम ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े एके-47 तस्करी के मामले को एनआईए को सुपुर्द करने के बाद वे दैनिक हिन्दुस्तान सरकारी विज्ञापन घोटाला की जांच को तेज करेंगे और पुलिस अनुसंधान को अंतिम मुकाम तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
आरटीआई कार्यकर्ता मन्टू शर्मा के आवेदन पर मुंगेर कोतवाली थाना में दर्ज प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त हैं:- शोभना भरतिया, शशि शेखर, अक्कू श्रीवास्तव, बिनोद बंधु और अमित चोपड़ा। पुलिस ने इन सभी नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 471, 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8बी, 14 और 15 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।
तत्कालीन पुलिस उपाीधक्षक ऐके पंचालर और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पी. कन्नन इस मुकदमे में अपनी-अपनी सुपरविजन-रिपोर्ट संख्या जारी कर चुके हैं । दोनों वरीय पदाधिकारियों ने पर्यवेक्षण-टिप्पणियों में लिखा है- ”पुलिस अनुसंधान और दस्तावेजी साक्ष्यों के आधार पर पुलिस इस नतीजे पर पहुंची है कि सभी नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध भरतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 471, 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट, 1867 की धाराएं 8बी, 14 और 15 के तहत सभी आरोप प्रथम-दृष्टया सत्य प्रमाणित होते हैं।”
नामजद अभियुक्त शोभना भरतिया ने पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुंगेर कोतवाली कांड संख्या 445 (वर्ष 2011) को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं। परन्तु, पहले पटना हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नामजद अभियुक्त शोभना भरतिया की याचिकाओं को खारिज कर दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2018 को अपने आदेश में मुंगेर पुलिस को इस मुकदमे में पुलिस अनुसंधान शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया है।
लेखक श्रीकृष्ण प्रसाद मुंगेर के वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया एक्टिविस्ट के अलावा अधिवक्ता भी हैं.