Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

खबर एक, छापने का अंदाज अलग, दैनिक जागरण तो प्रभावित पक्ष बन गया

जबरन छुट्टी पर भेजे गए, कथित रूप से हटाए गए और फिर इनकार किए जाने की खबरों के बीच सीबीआई के जैसे भी प्रमुख मानिए, आलोक वर्मा के घर पर (सरकारी) जासूसी के आरोप का अपना महत्व है और सरकार ने भले ही उसे रूटीन जांच बताकर खारिज कर दिया पर ऐसी जांच होती है और आईकार्ड होने पर भी उनसे बदसलूकी हो, पुलिस ऐसे लोगों को भी छह घंटे थाने में बिठाए रखे तो समझ में आता है कि देश में कानूनव्यवस्था और उसपर भरोसे की क्या हालत है। और इसका अंदाजा ऐसी खबरों को मिलने वाली गंभीरता से भी लग सकता है। आदर्श स्थिति में यह खबर एक ही तर्ज पर छपती पर इन दिनों ऐसी ही खबरें अलग अखबारों में पढ़ने का मजा है। आइए देखें आज के अखबारों में यह खबर कैसे छपी है।


दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “आलोक वर्मा के घर ‘जासूसी’ पर हंगामा”। फ्लैग हेडिंग है, “सीबीआई विवाद : निदेशक के घर के बाहर आईबी अफसर पकड़े जाने से आया नया मोड़”। नवभारत टाइम्स ने भी इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “जासूसी का तड़का लगा सीबीआई केस में, सियासत और गर्म”। उपशार्षक है, “वर्मा के घर के बाहर पकड़े गए आईबी के चार अफसर”। नभाटा ने आईबी वालों को पकड़ कर ले जाए जाते हुए लोगों की एक फोटो का कैप्शन लगाया है, “सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के घर की सिक्यूरिटी में तैनात लोग जिस तरह आईबी अफसरों के कॉलर पकड़कर उन्हें घसीटते हुए ले गए, उससे आईबी के टॉप अफसर बेहद नाराज बताए जाते हैं।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

नवोदय टाइम्स ने सीबीआई विवाद के तहत सीबीआई की कई खबरें एक साथ छापी है। शीर्षक है, “सुप्रीम कौन फैसला आज”। उपशीर्षक है, “वर्मा के घर के पास से चार आईबी अफसर हिरासत में, बाद में रिहा”। मुख्य खबर की शुरुआत से पहले दो लाइन में लिखा है, “अधिकारों की जंग पर उच्चतम न्यायालय आज करेगा सुनवाई”। आईबी वालों के मामले में इस मूल खबर के साथ एक बॉक्स है, “जो पकड़े गए उनका काम ही निगरानी करना है : आईबी”।

दैनिक भास्कर ने “सीबीआई की लड़ाई में आईबी भी पिटी” विषय के तहत इस खबर को विस्तार से छापने वाली खबरों में रख है और कई पहलुओं की चर्चा की है। मुख्य शीर्षक है, “सड़क पर पहुंची एजेंसियों की लड़ाई”। दो लाइन के दो उपशीर्षक हैं, “सीबीआई प्रमुख के गार्ड्स को आईकार्ड दिखाने के बावजूद आईबी अफसर दबोचे” और दूसरा, “साढ़े छह घंटे बाद छोड़ा गया, आईबी ने कहा – जासूसी नहीं की, शिकायत करेंगे”।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अमर उजाला ने भी इसे लीड बनाया है। शीर्षक है, “सीबीआई निदेशक वर्मा के घर के बाहर पकड़े गए आईबी के चार जासूस”। उपशीर्षक है, “बाद में छोड़ा, गृह मंत्रालय ने इसे रुटीन निगरानी बताया”। फोटो के ऊपर (शीर्षक) है, कांग्रेस का आरोप – “जासूसी करा रही सरकार” और फोटो कैप्शन है, “पकड़े गए आईबी कर्मियों को ले जाते सुरक्षाकर्मी”।

राजस्थान पत्रिका ने “प्रधानमंत्री पर सीधा आक्षेप” विषय के तहत राहुल गांधी के आरोप, आलोक (वर्मा) की जासूसी, भाजपा का जवाब, सीबीआई का जवाब (वर्मा के पास रफाल की फाइल नहीं), याचिका : अस्थाना पर एसआईटी जांच हो, जासूसी पर जदयू के मुख्य महासचिव केसी त्यागी की प्रतिक्रिया – आदि को मिलाकर लीड बनाया है। शीर्षक है, जिस दिन रफाल पर जांच बैठी समझिए मोदी होंगे साफ : राहुल । उपशीर्षक है, आलोक की जासूसी? आईबी अफसर पकड़े। आईबी वालों को पकड़ कर ले जाने के वीडियो की एक फोटो है जिसका कैप्शन है, “अब सीबीआई बनाम आईबी : सुरक्षा कर्मियों ने जब खुफिया ब्यूरो के लोगों को पकड़ा तो धक्का मुक्की के दौरान एक कर्मी गिर पड़ा।”

Advertisement. Scroll to continue reading.


दैनिक जागरण ने इस खबर को लीड बनाया है। शीर्षक है, “सीबीआई प्रमुख वर्मा के बंगले के बाहर आईबी कर्मियों से मारपीट”। उपशीर्षक है, “परिचय पत्र दिखाने के बावजूद जासूसी का आरोप, नियमित गश्त पर थे आईबी स्टाफ”। सार्वजनिक हो चुके वीडियो फुटेज की एक तस्वीर लगी है जिसका कैप्शन है, “सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के आवास के बाहर आईबी कर्मियों से इस तरह किया गया दुर्व्यवहार”। मुख्य खबर के साथ बॉक्स में सिंगल कॉलम की तीन खबरें हैं। एक का शीर्षक है, “सीबीआई ने कहा, आलोक वर्मा अब भी प्रमुख, राव को जिम्मा जांच तक”। दूसरी का शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट में वर्मा की याचिका पर सुनवाई आज” और तीसरी का शीर्षक लाल रंग में है, “इसलिए तैनात किए गए थे अफसर”।

इसमें तीन बिन्दु हैं – “आलोक वर्मा के बंगले के पास ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और राकांपा प्रमुख शरद पवार रहते हैं। वहां से सौ मीटर पर ही सोनिया गाँधी का आवास है। पास ही पीएम आवास भी है।” दूसरा बिन्दु है – “हाई सिक्योरिटी जोन होने से इलाके में दिन रात रूटीन में आईबी की पेट्रोलिंग रहती है। चारों अधिकारी जासूसी नहीं, बल्कि पेट्रोलिंग कर रहे थे।” तीसरा बिन्दु है – “उच्च सुरक्षा वाले इस क्षेत्र में गुरुवार सुबह असामान्य ढंग से लोग जमा हो रहे थे। इसलिए उन्हें तैनात किया गया था। दुर्भाग्य से उनकी मौजूदगी को गलत समझा गया और दूसरे तरीके से पेश किया गया।”

जागरण संवाददाता की खबर पढ़ने लायक है। आप भी पढ़िए, “केंद्रीय जांच ब्यूरो के झगड़ रहे दोनों शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजे जाने के बाद भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार सुबह सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के बंगले के बाहर से चार लोगों को उनके सुरक्षा अधिकारियों ने बलपूर्वक दबोच लिया। वर्मा की जासूसी करने का आरोप लगाकर उनसे मारपीट की गई। गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया कि वे चारो जासूस नहीं बल्कि गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) के थे। वह उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में नियमित खुफिया ड्यूटी पर थे। छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के 2, जनपथ स्थित आवास के पास गुरुवार सुबह दो कारों में आईबी के चार अधिकारियों को घंटों बैठे देख वर्मा के निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) ने जासूसी करने के शक में पकड़ लिया। परिचय पत्र दिखाने के बावजूद न केवल उनके साथ मार पीट की गई, बल्कि कॉलर पकड़कर घसीटते हुए बंगले के अंदर ले जाया गया। उनके मोबाइल फोन और पर्स छीनकर पहचान पत्र व आधार कार्ड से नाम, पद, पता और अन्य गोपनीय जानकारी एक कागज में लिखकर मीडियाकर्मियों को दे दिया गया। इसके बाद तुगलक रोड थाना पुलिस को बुलाकर उन्हें सौंपा गया। पुलिस ने चारों से करीब छः घंटे तक पूछताछ की और फिर छोड़ दिया।”

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक, संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट। संपर्क : [email protected]

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement