Gourav Sharma : इतनी कम उम्र में ह्रदय पक्षाघात… ये घटनाक्रम यह बताने के लिए काफी है कि व्यावसायिक और भीतर से खोखले हो चले कथित चौथे स्तंभ में पत्रकारों पर किस कदर बोझा डाला जा रहा है। उन्हें चलते फिरते बीमारू पुर्जे में तब्दील कर दिया गया है। आंदोलनकारी विचारकों की देन इस पत्रकारिता में हर खबर का एंगल ऊपर से सेट होता है।
पैसा उनकी जेब में ठुसेगा, आप तो बस कीबोर्ड पीटने के लिए बैठे होते हैं। तमाम दबाव हैं। मसलन ये खबर नहीं छपेगी, यह छपेगी तो क्यों छपेगी? ये बात इस खबर में मत लिखो, इसमें यह क्यों लिखा? इस वाले आदमी का नाम हटा दो क्योंकि ये मालिक के करीबी हैं, इस आदमी की खबर हटा दो क्योंकि ये सम्पादकीय प्रभारी से सेट हैं.. आदि अनादि जैसे गम्भीर कारण कारण-अकारण हैं, जिन्हें एक जिला स्तरीय पत्रकार हर दिन झेलता है।
हिंदुस्तान मिर्जापुर के प्रभारी स्वर्गीय तृप्त चौबे
अफसोस यह भी है कि औरों की आवाज को तानकर लिखने वाला यह बुद्धिजीवी अपनी मांगों का दम अनमने मन से घोंट लेता है। यही घुटन अंततः पत्रकार की ह्र्दयपेशियों को क्षीण और दिमाग को लगभग लकवा ग्रस्त बना देती हैं। तृप्त जी जैसे अनेक साथी होंगे, जिनकी जिंदगी तनाव, दबाव और इस फिजूली साख के चलते 10 मिनट की रह गई है। दुख है कि तृप्त जी इस दुनिया को छोड़कर और बच्चों को अनाथ कर चले गए।
इस दुख की घड़ी में परिवार उन्हें सामर्थ्यवान बनाये.. श्रद्धांजलि…
(लेखक गौरव शर्मा प्रतिभावान पत्रकार हैं)
Ayush Singh हम सब यहीं हैं, मंडलीय चिकित्सलाय मिर्ज़ापुर में। विश्वास नहीं हो रहा है कि तृप्त सर अब नहीं रहे। अचानक सीने में दर्द और मात्र 10 मिनट में इस दुनिया को छोड़ जाना बहुत अखर रहा है। पूरे परिवार की जिम्मेदारियां थी उन पर। पता नहीं ईश्वर अच्छे लोगों को इतनी कम उम्र में क्यों बुला लेता है।
Abhishek Tripathi तृप्त भाई अमर उजाला और हिंदुस्तान में लंबे समय तक साथी रहे। बेहद सौम्य व्यवहार और उतनी ही समर्थ लेखनी उनकी पहचान थी, दुखद है उनका असमय जाना… श्रद्धांजलि..
Harpal Singh Bhatia साइलेंट कार्डियो अटैक कॉफ़ी तेज़ी से फैल रहा है,बेहद दुःखद घटना,ईष्वर परिवार को सहनशक्ति दे…
Mohammad Haider Koi tumse agar pooche, bataao zindagi kya hai, Hatheli par zaara si khaaq rakhna aur uda denaa…
सौजन्य : फेसबुक
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