जेटली के बयान को इतनी प्रमुखता मिलने का राज कुछ तो होगा
सीबीआई में राकेश अस्थाना को सरकार ने विशेष निदेशक के रूप में बैठाया था। अस्थाना पर आरोप थे, इसके बावजूद। आलोक वर्मा (तकरीबन) कायदे से चुने गए थे। अस्थाना ने उनपर आरोप लगाया। फिर दोनों लड़ने लगे। अब दोनों पर आरोप थे। दोनों लड़ रहे थे और मामला कुछ ज्यादा ही बिगड़ गया।
अस्थाना घिरते दिखे तो सरकार ने दोनों को हटा दिया (छुट्टी पर भेज दिया)। आलोक और कॉमन कॉज सुप्रीम कोर्ट गए क्योंकि (साफतौर पर) आलोक वर्मा को हटाने के नियम का पालन नहीं हुआ था। आरोप वर्मा पर भी हैं और सीवीसी 63 दिन से जांच कर रहा था – इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्मा आरोप मुक्त हों यानी उनके खिलाफ जांच जल्दी पूरी की जाए। दो हफ्ते का समय दिया है।
राकेश अस्थाना को सरकार ने रखा था, सरकार ने हटाया। फिर भी वे सुप्रीम कोर्ट गए। कल अटार्नी जनरल ने राकेश अस्थाना की जांच के बारे में पूछा तो कोर्ट ने कहा कि अस्थाना का मामला उनके सामने नहीं है। इसपर वकील मुकल रोहतगी ने कहा कि अस्थाना ने याचिका दाखिल की है और उनकी ओर से पेश हैं। लेकिन कोर्ट ने मामला लिस्ट न होने के कारण दलीलें सुनने से मना कर दिया। रोहतगी ने सोमवार को केस लगाने का आग्रह किया लेकिन कोर्ट ने आदेश नहीं दिया। शुक्रवाल को दाखिल की गई याचिका में अस्थाना ने कहा है कि उन्हें सुनवाई का मौका दिए बिना आदेश जारी कर दिया गया है। वे व्हिसिल ब्लोअर हैं उन्हें परेशान किया जा रहा है। (दैनिक जागरण)
इस हिसाब से आलोक वर्मा के बाद अभी राकेश अस्थाना का मामला (उनके खिलाफ शिकायत का) भी निपटना है। अभी वे बचे हुए दिख रहे हैं। इस संबंध में अरुण जेटली का बयान आज कई अखबारों में प्रमुखता से है, “सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में होने वाली सीवीसी जांच से पूरे मामले का सच सामने आ जाएगा। केंद्र सरकार का किसी खास व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है।” इसका मतलब है सरकार को राकेश अस्थाना से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन कल ही खबर आई थी कि अस्थाना ने पुलिस वेलफेयर के 20 करोड़ रुपए भाजपा को चुनावी चंदे के रूप में दिए थे। और भी मामले हैं। सरकार अस्थाना से पल्ला झाड़ नहीं सकती है। (दैनिक भास्कर)
अभी तक यही लग रहा है कि अस्थाना बच गए हैं और सरकार का कोई मतलब नहीं है। पर …. अभी तक की स्थिति के अनुसार सुप्रीम कोर्ट सीबीआई प्रमुख को हटाने के कारण देख रहा है और इसलिए उनके खिलाफ आरोप की जांच जरूरी है। पर हटाया दोनों को गया था। इससे (अभी तक की स्थिति के अनुसार) अस्थाना बचे और आलोक वर्मा फंसे। अस्थाना की तो गिरफ्तारी की स्थिति आ गई थी। वे अदालत के आदेश से बचे हुए थे। और सरकार पर यही आरोप है कि वह अस्थाना को बचा रही है। तथ्य यह भी है कि अस्थाना के खिलाफ जांच करने वाले को काला पानी की सजा दी गई है। अरुण जेटली अब भले कह रहे हैं कि सरकार को किसी खास व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं पर व्यक्ति है कौन? वह किससे जुड़ा है? तार कहां पहुंचती है? देखते रहिए फिल्म अभी बाकी है।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक, संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट : [email protected]