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पं. कमलापति त्रिपाठी की जयंती पर सम्मानित हुए लखनऊ के दर्जनों पत्रकार

सरकारी और दरबारी पत्रकार समाज को पसंद नहीं : प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र

वाराणसी। देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे रुप में स्थापित कलमकारों ने अहम भूमिका निभाई थी। देश की आजादी के लिए पत्रकारों ने ही लोगों के भीतर विद्रोह की ज्वाला भड़काई और देखते-देखते युवाओं की टोली देश की आजादी के लिए निकल पड़ी। पत्रकार और पत्रकारिता का एक सिंद्धात होता है, समाज और देश को राह दिखाते हुए भाईचारे का बुनियादी ताकत भी देता है। मगर आज परिस्थितियां उल्टी है। उक्त बातें संकटमोचन फाउंडेशन के महंत व आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने लखनऊ स्थित हिन्दी संस्थान के यशपाल सभागार में पंडित कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार एवं 112वीं जयन्ती समारोह में कही।

सरकारी और दरबारी पत्रकार समाज को पसंद नहीं : प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र

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वाराणसी। देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे रुप में स्थापित कलमकारों ने अहम भूमिका निभाई थी। देश की आजादी के लिए पत्रकारों ने ही लोगों के भीतर विद्रोह की ज्वाला भड़काई और देखते-देखते युवाओं की टोली देश की आजादी के लिए निकल पड़ी। पत्रकार और पत्रकारिता का एक सिंद्धात होता है, समाज और देश को राह दिखाते हुए भाईचारे का बुनियादी ताकत भी देता है। मगर आज परिस्थितियां उल्टी है। उक्त बातें संकटमोचन फाउंडेशन के महंत व आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर विश्वम्भरनाथ मिश्र ने लखनऊ स्थित हिन्दी संस्थान के यशपाल सभागार में पंडित कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार एवं 112वीं जयन्ती समारोह में कही।

प्रो. मिश्र ने कहा कि पं. कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस के न केवल नेता बल्कि हम सबके अभिभावक रहे। बनारस के मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय फलक तक ले गए। पंडित जी कृतिजीवि पत्रकार भी रहे। पंडित जी राष्ट्र सेवा और पत्रकारिता के वक्ति उपज थे। उनकी पत्रकारिता सच्चाई, निर्भिकता और आवाम की आवाज़ थी। वे वसुल पसंद राजनेता और पत्रकार थे। वक्त के साथ समस्याएं बदल गई है। समाज को सरकारी और दरबारी पत्रकार अब पसंद नही है। आज के समय में कांग्रेस को पंडित जी जैसे नेताओं की जरुरत है, तमाम विषम परिस्थितियां आई मगर कमलापति जी ने न कभी कांग्रेस का दामन छोड़ा और न ही पार्टी को कमजोर होने दिया। आज की राजनीति में पार्टी के प्रति ईमानदारी का आभाव है इन्ही कारणों से नेताओं का खरीदफरोख्त भी होने लगा है।

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सभा को संबोधित करते हुए वयोवृद्ध कांग्रेस नेत्री मोहसिना किदवई ने कहा कि पं. कमलापति त्रिपाठी एक सिद्धान्तनिष्ठ राजनेता और मूल रूप से निर्भीक, स्वतंत्र एवं ईमानदार पत्रकार एवं सम्पादक थे। उनमें मानवीय संवेदना और सिद्धान्तनिष्ठा की दृढ़ता निहित थी। वह एक उसूल पसन्द इन्सान थे। जिन्होने राजनीतिक प्रशासक के रूप में बुनियादी सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं किया। वह गांधी की परम्परा के पत्रकार और राजनीतिज्ञ थे जिसने आजादी से पहले और आजादी के बाद भी संघर्षों की मिसाल कायम की।

इस अवसर पर पं. कमलापति त्रिपाठी द्वारा लिखे गए ग्रन्थ ‘बापू और भारत’ का अतिथियों ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ को एक लाख रुपए नगद के साथ अंगवस्त्रम और प्रमाण-पत्र देकर पं. कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से अलंकृत किया गया इनके साथ ही लखनऊ के लगभग दो दर्जन वरिष्ठ पत्रकारों को भी सम्मानित किया गया।

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इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज की पत्रकारिता अघोषित आपातकाल से गुजर रही है जिसमें लोग खौफजदा हैं, कहना चाहते हैं लेकिन नहीं कह सकते। ऐसे में पंडित कमलापति त्रिपाठी जिस स्वतंत्र पत्रकारिता के कायल थे वह प्रेरणादायक है। हम पत्रकार हैं, राजनीति समझते हैं लेकिन कोई जरूरी नहीं कि हम अच्छे राजनीतिज्ञ बन जायें। हमें सीमाएं समझनी चाहिए। हमें न तो सरकारी और न ही दरबारी पत्रकार होना चाहिए।

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