वाराणसी : दैनिक जागरण के लिए गोली खाने वाले प्रेस फोटोग्राफर विजय सिंह इन दिनों दो जून की रोटी और दवा के लिए तड़प रहे हैं… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में विगत तीन दशकों तक विजय सिंह को “सफेद बाल वाले फोटोग्राफर” के नाम से जाना जाता था… वे दैनिक जागरण, वाराणसी के प्रेस फोटोग्राफर रहे.
उन्होंने वर्षों पूर्व अपने समाचार पत्र के लिए गंगा पैलेस सिनेमाहाल पर जब फोटोग्राफी करते हुए गोली खाई थी तो शायद उन्हें यकीन रहा होगा कि उनका भविष्य उनके अखबार के साथ पूरी तरह सुरक्षित होगा.
जिन्होंने जाड़ा, गर्मी, बरसात, दंगा, फसाद, लाठी, गोली की तस्वीरें खींचते समय अपनी जान की भी बाजी कई बार लगाई होगी पर आज वे अपने पिशाचमोचन, लहुराबीर के टूटे-फूटे छोटे से कमरे में अपनी बीमार पत्नी जिनकी कूल्हे की हड्डी टूट चुकी है, उन्हीं के साथ दो जून की रोटी के लिए तड़प-तड़प कर बदतर जिंदगी जी रहे हैं.
स्वयं फोटोग्राफर विजय सिंह को भी लकवा मार दिया है जिसके चलते वे कोई कार्य करने लायक नहीं. कलयुगी बेटे-बहू ने भी इस लाचार दंपति की पूरी पूंजी लेकर उन्हें कंगाल कर दिया है. अब तो दो जून की रोटी और दवा के लिए बिस्तर पर पड़े प्रेस फोटोग्राफर विजय सिंह और उनकी पत्नी खून के आंसू रो रहे हैं.
फोटोग्राफर विजय सिंह वर्षों तक सन्मार्ग हिंदी दैनिक के मान्यता प्राप्त फोटोग्राफर रहे. अपने सफेद बालों के चलते लोग इन्हें एक नजर में देखते ही पहचान जाते थे और आवाज लगाते थे “का विजय भैया”. जिन्हें संकट मोचन मन्दिर के महंत स्व. वीरभद्र मिश्र का भी आशीर्वाद मिलता रहा और वर्तमान महंत प्रो.विश्वभरनाथ मिश्र भी उन्हें उतना भी स्नेह व आशीर्वाद देते रहे हैं.
बताते चलें कि 25 जुलाई बुधवार को काफी अर्से बाद अचानक उनके पिशाचमोचन स्थित आवास पर उनका हाल जानने कुछ लोग पहुँचे तो प्रेस फोटोग्राफर विजय सिंह और उनकी पत्नी ने देखते ही अपनी बदहाली की पूरी दस्तां सुना दी व फफककर रोने लगे.
रायपुर में टीवी जर्नलिस्ट के रूप में कार्यरत बनारस के रहने वाले Ashwini Sharma कहते हैं- ”विजय जी का ये हाल देखकर बहुत कष्ट हो रहा है.. इन्हें मैं अपनी छोटी उम्र से देखता आ रहा हूं..वाकई समय के आगे किसी का वश नहीं है.. इंसानियत के लिए इन्हें मदद मिलनी चाहिए..पत्रकार भाइयों अपने बुढ़ापे का भी इंतजाम करिए..बुरे टाइम में अकेले रह जाएंगे…”
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