दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस रवीद्र भट्ट और जस्टिस एके चावला की डिविजनल बेंच ने 28 September 2018 को कोबरापोस्ट के खिलाफ दैनिक भास्कर के खिलाफ स्टिंग दिखाने से एकतरफा रोक लगाए जाने को खारिज कर दिया था. साथ ही दैनिक भास्कर को योग्यता के आधार पर जस्टिस योगेश खन्ना के समक्ष प्रकाशन/आपरेशन में असत्यता और दुर्भावना को सिद्ध करने का मौका दिया था. लेकिन दिल्ली हाइ कोर्ट की एकल जज बेंच के आगे अपने मामले को रखने के बजाए दैनिक भास्कर ने अपने मुकदमे को वापस ले लिया.
बताया जा रहा है कि स्टिंग दिखाने से रोक हटने पर भास्कर के खिलाफ किए गए आपरेशन के वीडियोज जब कोबरापोस्ट ने अपलोड कर दिए और इसे सारे देश ने देखना शुरू किया तो हरजगह धंधेबाज दैनिक भास्कर और इसके दलाल मालिक पवन अग्रवाल की थूथू होने लगी. इस छीछालेदर को देखते हुए दैनिक भास्कर ने दुम दबाकर कोर्ट से भागना ही उचित समझा.
इस तरह से यह कोबरापोस्ट की शानदार जीत है. न्यायमूर्ति भट्ट ने अपने फैसले में मीडिया घरानों पर किया गया ‘Operation 136’ को जनहित में सही बताया. इस बाबत कोबरापोस्ट के कर्ताधर्ता अनिरुद्ध बहल ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में कहा कि कोबरापोस्ट देश के तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को इसी तरह उजागर करता रहेगा.
कोबरापोस्ट की इस जीत पर एडवोकेट कोटला हर्षवर्धन का कहना है- ”बोलने की आजादी लोकतंत्र की बुनियाद है। जब तक हम अपने इस महत्वपूर्ण अधिकार के लिए नहीं लड़ेंगे तब तक कुछ ताक़तें इस अधिकार को कुचलने की कोशिश करती रहेंगी। कोबरपोस्ट ने अपनी इस जीत से यह साबित कर दिया है”।
देखें दैनिक भास्कर के एक मालिक पवन अग्रवाल का स्टिंग….
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