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‘पीटीआई का यादव हीरो नहीं, बेइमान है… जिसने भी आलेख लिखा है, वह स्वयं यादव का चेला होगा’

भड़ास में पीटीआई में रिट्रेंचमेंट के बारे में जो खबरन लगी है उसमें अनेक भ्रांतियां और तथ्य परक त्रुटियां हैं। मिसाल के तौर पर रिट्रेंचमेंट की नोटिस दिन में लगभग 11 बजे दिल्ली में लगने के बाद उस पर कार्रवाई के लिए पूरे फेडरेशन, जो सीक्रेट बैलेट से इस वर्ष फरवरी में चुनकर के आया है, की लीडरशिप दिल्ली चेन्नई मुंबई कोलकाता सभी जगह सक्रिय हो गई। ये लोग अपने सारे कर्मचारियों के साथ मैनेजमेंट से दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रहे हैं।

सभी लोगों ने लांग ड्रॉन बैटल जिसमें एजिटेशन से लेकर कोर्ट तक की लड़ाई शामिल है, उसकी तैयारी कर ली है। इस उद्देश्य से फेडरेशन के महासचिव बलराम सिंह दहिया जी, दिल्ली पीटीआई वर्कर्स यूनियन की महासचिव कामरेड सुजाता माथुर एवं श्री शाहिद अख्तर जी सर्वोच्च न्यायालय के स्वयं प्रसिद्ध वकील कालिन गोंसाल्विस के कार्यालय में उनके साथ मीटिंग में हैं। बैठक दिन में तीन बजे से उनके कार्यालय में चल रही है। वहां पर वेज बोर्ड की लडाई के लिए पहले से ही बैठक चल रही थी और पीटीआई के तमाम शीर्ष पदाधिकारियों के साथ हमारे मित्र कामरेड एम जे पांडे भी मुंबई से आए हैं मीटिंग के लिए। पीटीआई फेडरेशन तैयारी करके प्रबंधन के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी करेगा।

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सबसे आश्चर्य की बात है आप की खबर में एमएस यादव को हीरो के रूप में पेश किया गया है जबकि एमएस यादव ने भ्रष्टाचार किए और पीटीआई फेडरेशन के पैसे से खरीदे गए करोडों रुपये के प्लाट को अपने बेटे के नाम करवा लिया, 2016 में। इसी आरोप के बाद वार्षिक चुनाव में इस वर्ष फरवरी में उसे आम लोगों ने सीक्रेट बैलेट से 37-7 के अंतर से पराजित करके बाहर किया। उसे नए पदाधिकारियों ने तमाम भ्रष्टाचार के आरोपों में नोटिस दिया जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और कहा- ”जमीन हमने नहीं खरीदी है, हमारे बेटे ने खरीदी है और हमारे इशारे पर दूसरे लोगों ने फेडरेशन से बेची है… हमने नहीं बेची है लिहाजा आप मेरे बेटे से बात करें, उसके खिलाफ केस करें… हमारे खिलाफ कोई तथ्य नहीं है कोई आरोप नहीं बनते हैं।”

उसके जवाब बिल्कुल अनुचित और इलीगल होने के कारण उसे बाकायदे विशेष एजीएम बुलाकर 10 अगस्त को दिल्ली में उसका जवाब पूछा गया जहां वह स्वयं आया लेकिन यादव के पास कोई जवाब नहीं था तो वह जवाब नहीं दे सका। इसके बाद पूरी एजीएम ने सर्वसम्मति से फेडरेशन से उसे निष्कासित किया। यादव हीरो नहीं, बेइमान है… जिसने भी आलेख लिखा है, वह स्वयं यादव का चेला होगा। यादव दिन भर पीटीआई दफ्तर में लगातार ऑफिस में बैठा हुआ है। वह पैंसठ वर्ष का है। उसे जून में मैनेजमेंट भी निकाल चुकी है। वह बेसमेंट के एक कमरे में बैठकर वहां से कर्मचारी विरोधी राजनीति कर रहा है। कर्मचारियों के सामने आयी इन विषम परिस्थितियों में भी वह राजनीति कर रहा है और कहा रहा है कि आपके नए पदाधिकारी आपके लिए कुछ नहीं कर पाए लिहाजा दोबारा हमें अवसर दें तो हम आपके लिए कुछ कर सकते हैं।

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह यादव ही था जिसने मैनेजमेंट से मिलकर पीटीआई में कांटेक्ट की प्रथा लागू करवााई और आज यह रिट्रेंचमेंट जो हुआ है इसकी लिस्ट दो साल पहले से उसने मैनेजमेंट के साथ मिलकर तैयार करा रखी थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नए पदाधिकारियों के चुने जाने के कारण मैनेजमेंट बहुत परेशान था और उसने धरना प्रदर्शन पर रोक लगवाने के लिए कोर्ट की शरण ली थी लेकिन वहां पर नए फेडरेशन के पदाधिकारियों ने लड़ाई लड़ कर के अपने अधिकारों की रक्षा की और धरना प्रदर्शन के अधिकार को अपने बरकरार रखा जिसके चलते आज यह स्थिति है कि नये पदाधिकारी के नेतृत्व में सभी कर्मचारी दिल्ली में और अन्य पीटीआई के केन्द्रों में सोमवार से एजिटेशन की तैयारी में हैं और याद रखें कि पीटीआई फेडरेशन के सभी कर्मचारी और पदाधिकारी अपनी लडाई को अंजाम तक पहुंचाएंगे।

रही बात लखनऊ में भाजपा एवं संघ से नजदीकी बढ़ाकर अटल बिहारी बाजपेई के नाम पर बैठक करने की तो यह बिल्कुल असत्य है और तथ्य से परे है। आपको जानकारी देना चाहता हूं कि नेशनल मीडिया कन्वेंशन नाम से एक नई संस्था का गठन पीटीआई फेडरेशन के लोगों ने मिलकर किया है और इस संगठन में यू एन आई के यूनियन के सारे पदाधिकारी और सभी देश के बड़े-बड़े फेडरेशन और यूनियन के लोगों को जोड़ा जा रहा है। बहुत से लोग जुड़ चुके हैं और देश के तमाम बड़े चरित्रवान एवं अच्छे संपादकों को और वरिष्ठ पत्रकारों को जोड़ा गया है। वह सभी इस कार्यक्रम में आने वाले हैं। ऐसे में इस ढंग के अनर्गल आरोप निहायत ही हास्यास्पद और भड़ास जैसी संस्था के कामकाज पर सवाल उठाने वाले हैं। मैं डॉ इंदु कांत दीक्षित नेशनल मीडिया कन्वेंशन का नेशनल कन्वीनर हूं और कामरेड सुजाता माथुर उसकी नेशनल सेक्रेट्री हैं।

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साथ में हमारे पेशे से जुड़े अनेक पदाधिकारी इस संस्था में सम्मिलित हैं। ऐसे में आप कृपया अपनी रिपोर्ट को सुधारें और जिसने भी रिपोर्ट आपके पास भेजी है उस पर उचित कार्यवाही करें या उसे ब्लैक लिस्ट करें। आपसे अनुरोध है कि हम सभी भड़ास के बारे में एक आस्था रखते हैं। यह मानते हैं कि आप के नेतृत्व में हमेशा वहां पर न्यूट्रल और सही रिपोर्ट होती है। आपने यादव जैसे भ्रष्ट आदमी जिसने कि अपने बेटे अमित यादव के नाम फेडरेशन का प्लाट करवाया और कम से कम चार से पांच करोड रुपए का फेडरेशन के एकाउंट से गबन किया, उसे कैसे बलिदानी बता दिया।

बिना चुनाव के वह 25 वर्ष से पीटीआई में था लेकिन आम लोगों ने इन्हीं घटनाक्रम के बाद इस वर्ष सीक्रेट बैलेट से उसे चुनाव हराकर के बाहर किया तो उसके पक्ष में लिखा जाना निहायत ही अनुचित है। आइए हमारे सभी नए पदाधिकारियों और कर्मचारियों को और उनके संघर्ष और लड़ाई को जितना हो सके, प्रोत्साहन दें जिससे कि वह अपने हक की लड़ाई लड़ सकें। इससे भविष्य में पीटीआई फेडरेशन अन्य मीडिया की लड़ाई लड़ सकेगा, उसे जिंदा रख सकेगा। तो ध्यान रखें पीटीआई का फेडरेशन जिंदा रहा तो इनटायर इंडस्ट्री में स्वतंत्रता की लौ जलती रहेगी। इस तरह के आरोप जो आपकी वेबसाइट पर लगाए गए हैं वह सरासर गलत है आप इसको क्रॉस चेक करिए और यदि हमारे बताए किसी भी तथ्य में गलती लगे तो आप हमसे बात कर सकते हैं।

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अंतिम बात बता दूं कि मेरे पिता राष्ट्रपति सम्मानित प्रोफेसर सुधाकर दीक्षित के क्लीन मीडिया फाउंडेशन पर संघ से जुडा होने का आरोप लगाया गया है। आखिर किस आधार पर? क्या मैं और मेरे पिता कभी संघ से जुड़े रहे हैं? किसने लिखी यह रिपोर्ट? मेरे पिता ने आजीवन स्वामी करपात्री जी के साथ पचास के दशक से संघ के खिलाफ अनेक मुद्दों पर संघर्ष किया। रही बात अटल जी पर चर्चा की तो अटल जी देश के हीरे थे उन पर चर्चा कराना और मीडिया की इथिक्स पर बात करना क्या अपराध है?

इसी तरह आपकी जानकारी के लिए उक्त कार्यक्रम में पद्मश्री बलबीर दत्त, श्री रामकृपाल सिंह, जयशंकर गुप्त, श्री अशोक उपाध्याय, बब्बन सिंह, अशोक टंडन, अरुण पांडेय, सुधीर मिश्र, सुनीता ऐरन जैसे पत्रकार आ रहे हैं। हिंदू के एन रवि को भी आमंत्रित किया गया है। क्या यह सभी आप को आरएसएस के कार्यकर्ता लगते हैं? कृपया इस प्रकार की बात को वेबसाइट पर डालने से पहले अवश्य क्रास चेक करें।

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क्या है ‘क्लीन मीडिया फाउंडेशन’

मीडिया के क्षेत्र में स्वच्छता और शुचिता लाने के लिए बनाया गया संगठन है ‘Clean media Foundation’. यह 2012 से कार्य कर रहा है. इस संगठन का रजिस्ट्रेशन 2015 में कराया गया. संगठन के अध्यक्ष राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त प्रोफेसर सुधाकर दीक्षित हैं. क्लीन मीडिया फाउंडेशन सामाजिक उत्थान के लिए एवं जन कल्याण के लिए तमाम कार्य करने के साथ लगातार पत्रकारिता में स्वच्छता लाने के लिए कार्य कर रहा है.

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क्लीन मीडिया फाउंडेशन प्रत्येक 2 वर्ष पर देश के चरित्रवान, ईमानदार एवं मूल्यपरक पत्रकारिता करने वाले शीर्ष पत्रकारों को सम्मानित करता है. फाउंडेशन ऐसे पत्रकारों को ‘महानायक शारदा सम्मान’ से सम्मानित करता है. इस वर्ष के अंत तक इस तरह का तीसरा पुरस्कार समारोह होने वाला है जिसकी तिथि अभी तय की जानी है. क्लीन मीडिया फाउंडेशन संगठन का गठन ही इसके नाम के अनुरूप मीडिया को क्लीन करने के उद्देश्य से किया गया है. इसके बारे में कोई भी भ्रम किसी के मन में नहीं होना चाहिए कि यह संघ या आरएसएस से प्रेरित कोई संगठन है, जैसा भड़ास में एक आर्टिकल में लिखा गया था. यह एक स्वतंत्र संगठन है. इसमें देश के कई पत्रकार शामिल हैं.

उदाहरण के तौर पर पिछले वर्ष जिन शीर्ष पत्रकारों को संगठन ने सम्मानित किया था उनमें यूएई के तत्कालीन संपादक एवं वर्तमान मुख्य संपादक श्री अशोक उपाध्याय, देशबंधु अखबार के एडिटर एवं वर्तमान में एसोसिएशन के अध्यक्ष भी शामिल थे. इनके अलावा पटना से दैनिक जागरण संपादक रहे दिनेश भाई, जम्मू-कश्मीर से पीटीआई के ब्यूरो चीफ अनिल भट्ट भी शामिल थे. इन सबके अलावा रांची से पद्मश्री बलवीर जी को संस्थान ने पिछले वर्ष महानायक शारदा सम्मान दिया था.

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फाउंडेशन स्कूलों में जाकर छात्र हित में काम करता है. छात्रों के बीच डिबेट कराता है. उन्हें नई सूचनाओं से लैस कराता है. पत्रकारिता की दशा-दिशा क्या है, इसको लेकर जागरूकता फैलाता है. इस तरह के काम करने वाले संगठन के बारे में संघ से जुड़ा हुआ बताना निहायत ही गलत है.

धन्यवाद

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डा. इन्दुकान्त दीक्षित

नेशनल कन्विनर, नेशनल मीडिया कन्वेंशन

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पीटीआई रांची


पूरे मामले को जानने के लिए ये मूल पोस्ट पढ़ें…

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पीटीआई में कत्लेआम, देशभर से 312 लोग निकाले गए, देखें लिस्ट

1 Comment

1 Comment

  1. Sunil gaur

    October 15, 2018 at 6:26 pm

    Yeh vyakti jo itni safai se jhoot par jhoot bole ja raha hai. apni chalaki se swayambhu pti federation ka chairman bana. Aur jo yeh likh raha hai ki neta ko nikala gaya union se bilkul galat keh raha hai. Inhone lemon tree hotel me special agm kari aur yadav ji par jhooth elzam lagaye. Aur unko bolne tak ka moma bhi nahi diya gaya. Apne aap ko judge bana aur bola yeh court hai. Iski aukat hai judge banne ki. Yadav ji print media ke popular neta hai.aur worker ki ladai ke liye hamesha khade rahe hai. Jab retrenchment aaya toh aap log kanha thei aaj agar high court me case hai to keval yadavji ki vejeh se. Agar wo nahi jaate toh ye dust log hume khatam kar chuke hote.

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