आदरणीय यशवंत भाई, हिन्दुस्तान के संपादक के नाम एक पाठक ने फेसबुक पर यह पत्र लिखा है कंडोम के विज्ञापन को लेकर. उम्मीद है इसे जरूर भड़ास फोर मीडिया में स्थान देंगे। पोस्ट की पड़ताल करने के लिये आप फेसबुक पर राजेंद्र गुप्ता हितैषीदूत पर जा सकते हैं। यह बहुत जबरदस्त तंज है। चिट्ठी का मजमून मैं नीचे दे रहा हूं।
शुक्रिया
आपका
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कानपुर
आदरणीय संपादक जी,
हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान
दिल्ली
दिनांक 22 दिसंबर 2015 को आपके अखबार के पहले पेज पर कोहिनूर कॉन्डोम के विज्ञापन जिसकी हैडिंग “22 दिसम्बर है साल की सबसे लम्बी रात, इसे दें कुछ एकस्ट्रा टाईम” तथा सब हैडिंग “इस रात की सुबह नहीं” सहित एक युगल का फोटो भी है…. देखा और पढ़ा…. एक बार तो सोचा उसी समय आपको यह पत्र लिखूं, लेकिन फिर सोचा 22 दिसंबर के बाद लिखूं….. जिससे आपकी और आपके जैसी सोच वालों की रात खराब ना हो…. बहुत ही शर्मनाक बात है कि आए दिन आप अपनी लेखनी द्वारा ज्ञान झाड़ते रहते हैं और अपने अखबार में क्या छप रहा है, उसका पता ही नहीं।
अब आप यह दलील मत देना कि यह तो विज्ञापन है, हमारा क्या लेना-देना…. यह सही है कि विज्ञापनदाता जो विज्ञापन देना चाहता है, वही आप छापते हैं, लेकिन ऐसे घटिया विज्ञापन को छापने से मना करने का आपके पास पूरा अधिकार है….. आप अपने लेख में यह जरूर लिखते हैं कि इसे नई पीढ़ी को भी पढ़वाएं…… तो क्या नई पीढ़ी केवल आपके लेख पढऩे के लिए ही अखबार पढ़ेगी?….. उसे यह विज्ञापन नजर नहीं आएगा?…… आपको कैसा लगेगा यदि ’22 दिसंबर की सबसे लंबी रात’ गुजरने के बाद सुबह आपके पौत्र-पौत्रियां आपसे और आपके पुत्र-पुत्रवधुओं से पूछे कि कैसी रही रात….? माना कि गंदा है पर धंधा है, लेकिन कितना गंदा है, क्या बताएगा या तू ?…..
आपको इस एंगल पर स्टोरी कराना चाहिए और सबसे पहले खुद का 22 दिसंबर की वाली कोहिनूर कंडोम भरी लंबी रात का अनुभव फ्रंट पेज पर प्रकाशित करना चाहिए…… तब न होगी दम वाली बात…. वरना ये क्या कि पैसा लेने के लिए कुछ भी विज्ञापन छाप दिया और जब उस एंगल पर कंटेंट की बारी आई तो दांतें निपोरने लगे……सुना है कि आप बड़े ज्ञानी हैं और गाहे बगाहे दर्शन पेलते रहते हैं… उम्मीद है आपने भी अपने खानदान में 23 तारीख की सुबह चाय के दौरान हर एक परिजन से 22 वाली रात का फीडबैक लिया होगा….
भड़ास के एक रीडर द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.