Sanjaya Kumar Singh : भक्तों की भीड़ ने विवादित ढांचे पर फैसला कर दिया। राम लला तंबू में आ गए तो आ गए। 23 साल से पड़े हैं तो पड़े रहें। भक्तों को समझ में नहीं आया। अब उतने ही बुद्धिमान लोग चाहते हैं कि सलमान खान के मामले में भी वैसा ही फैसला होना चाहिए था। नेशनल हेरल्ड मामले में अरुण जेटली पूरा विवाद फेसबुक पर लिख रहे हैं। यह भी बता रहे हैं कि घपला तो हुआ है पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है। सरकार शायद इंतजार कर रही है कि भीड़ फैसला सुनाए ना सुनाए, राय तो बना ही ले। फैसला असल में अभी चाहिए भी नहीं। जब सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है तो अदालत में क्या मामला है यह सुब्रमणियम स्वामी को बताने दीजिए। रजत शर्मा की अदालत को दिखाने दीजिए। सुधीर चौधरी को डीएनए करने दीजिए। आप वित्त मंत्री का काम कीजिए – सुब्रमणियम स्वामी के सहायक मत बनिए। और बनिए तो मानिए कि स्वामी सरकार की ही सेवा कर रहे हैं।
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संजय दत्त को जुर्माना नहीं हुआ, सजा हुई। जेल काटना पड़ा। अदालत का फैसला है। लालू यादव चारा चोर हैं। अदालत का फैसला है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अदालती कार्रवाई का सामना करना चाहिए और सलमान खान बरी हो गए क्योंकि पैसे वाले हैं। अदालतें अखबार की खबरों के अनुसार फैसला दें या उपलब्ध तथ्यों के आधार पर। गलती हमारी है – जो गरीब बरी होते हैं उन्हें हम जानते ही नहीं हैं। हमारी दिलचस्पी इंद्राणी और पीटर मुखर्जी को सजा दिलाने में तो है पर इनकी बेटी के लापता हो जाने में नहीं होती है। फिर भी अदालत के चुने हुए फैसलों पर जनता अपना निर्णय सुनाएगी।
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सलमान खान बरी हो गए। अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए मानना पड़ेगा कि उनके खिलाफ सबूत पूरे और पर्याप्त नहीं थे। अभियोजन अपना दावा साबित नहीं कर पाया। यह तथ्य होने के बाद भी दुखद हो सकता है पर हम गौ तस्करों (और गोमांस भक्षकों) को सड़क पर पकड़कर या घर से खींच कर ना मारें – इतना तो बताता ही है ये फैसला। और ये फैसला अगर यूं ही होता तो संजय दत्त को जेल नहीं होती। हो सकता है, इसमें दोष हो, खामियां हों पर मीडिया ट्रायल से अच्छा है। अपराधी को मौत के घाट उतारने के बाद उसके निर्दोष साबित होने पर अफसोस भी ना कर पाने से अच्छा है।
वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.