भरोसेमंद सूत्रों से पता चला है कि मजीठिया मामले में गंभीर साजिश रची जा रही है। समझ में नहीं आ रहा है कि किस पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं। कुछ लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए अखबार मालिकों के हाथों की कठपुतली बने हैं। वे सुप्रीम कोर्ट में भ्रम पैदा कर सकते हैं और मजीठिया का केस खराब कर सकते हैं।
ऐसे स्वार्थी तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है। उनका पर्दाफाश मैं अभी कर देता, लेकिन उससे हमारी जांच का कार्य प्रभावित हो सकता है। इसलिए अधिक विस्तार से कुछ भी बताने में असमर्थ हूं, लेकिन समय आने पर उनका पर्दाफाश हो जाएगा। अब जरूरत है अधिक मजबूती के साथ एकजुट रहने की। हमारी एकता को बड़ा विस्तार दिए जाने की जरूरत है। हम एकजुट नहीं होंगे तो हमारी जीती बाजी का लाभ कोई और उठा ले जाएगा।
जब भी किसी अच्छे उद्देश्य के लिए काम किया जाता है, ऐसे स्वार्थी तत्व हरकत में आ जाते हैं। उसका लाभ उठाने का प्रयास प्रबंधन जरूर करता है लेकिन हमारी एकजुटता प्रबंधन के मंसूबों पर पानी फेर देगी। सुप्रीम कोर्ट में फिटमेंट दस्तावेज की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन उस पर कोई काम नहीं किया जा रहा है। मान लीजिए सुप्रीम कोर्ट में अखबार मालिकों ने कह दिया कि हम मजीठिया वेतनमान और एरियर दे रहे हैं और हमें उसका हिसाब बताया जाए। यदि मौके पर हिसाब किताब पेश नहीं किया गया तो सारा खेल खराब हो सकता है। इसलिए जरूरत है कि हम सब एकजुट होकर फिटमेंट के कागजात तैयार करा लें, ताकि उसे मौके पर पेश किया जा सके। अधिक जानकारी के लिए आप अपने अधिवक्ता की मदद ले सकते हैं।
श्रीकांत सिंह के एफबी वाल से