सावधान! हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं… जो इन गिद्धों की शिकार बनीं, हमें छोड़ गईं, उन्हें नमन है. नमन है उनके साहस को. नमन है उनकी प्रतिभा को और नमन है हमारी तमाम बहनों की हिम्मत को जो हर रोज इन गिद्धों के बीच जान हथेली पर ले अपनी कामयाबी की मिसाल गढ़ रही हैं…आगे बढ़ रहीं हैं…
मैं और मेरी जैसी लाखों करोड़ों बहनें हर रोज अपनी कामयाबी और सपनों के पीछे भागते हुए निकल पड़ती हैं घर से… हम हर रोज अपनी कामयाबी में एक कदम आगे बढ़ाते हुए ये कभी न भूलें की…. अगल बगल कोई है… सावधान! कोई है…ऑफिस में, मेट्रो में, रिक्शे में, रोड पर, हर जगह कोई है, कोई गिद्ध है… खुली रखो आखें, मन, मस्तिष्क क्योंकि हर पल हर जगह कोई है…
हम सुरक्षित नहीं क्योंकि हम दूसरों का ख्याल करते हैं…हम सुरक्षित नहीं क्योंकि हमारा ध्यान घर परिवार पर है, नहीं तो हमें कौन करेगा परेशान… हम तो खुद शक्ति हैं, पहचानो शक्ति क्योंकि ये देश, ये समाज और ये प्रशासन हमारे काम के नहीं… उठाओ मसाल क्योंकि भीख मांगने की फितरत हमारी नहीं…हो जाओ सतर्क ताकि इन सोए हुए निज़ाम से सुरक्षा की गुहार न लगानी
पड़े…
जागो, करो अपनी फिक्र ताकि जो नजर उठे वो फूट जाए.. उठो ताकि हमारी चिता पर राजनीतिक
रोटियां ना सेंकी जाए…. सावधान! हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं…सावधान! हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं…
सावधान! हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं…
पशु चिकित्सक प्रियंका रेड्डी को श्रधांजलि, शत शत नमन जो अपनी काबिलियत से इस लायक तो थीं जो निरीह प्राणियों की जान बचाती थीं वर्ना तो लोग इंसानियत को शर्मसार कर महिलाओं को बेजुबान बना देते हैं… प्रियंका की नृशंस हत्या से स्तब्ध हैं…
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में प्रियंका की हत्या और गैंगरेप मामले में राज्य सरकार के गृह मंत्री ने विवादित बयान से खुद की ही कलई खोल ली है… मंत्री जी! आपकी पुलिस या किसी राज्य की पुलिस अगर वाकई बिना दबाव पूरी तरह निष्पक्ष कार्य करने लगे, वर्दी सख्त हो जाए तो शायद ऐसी घटनाएं ना हों…ये बात एक निर्भया और प्रियंका रेड्डी की नहीं, देश दुनियां की तमाम लाडलियों और महिलाओं की है…
जब सबसे विश्वास उठ जाए तो खुद पर विश्वास करो, उठो जागो और आगे बढ़ो… लेकिन…सावधान! हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं… हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं, हर शाख पर गिद्ध बैठे हैं..
मर्द ये तो कहते हैं कि औरत जात महफूज नही!
मगर ये कोई नही बतलाता किसकी वजह से?
छोड़ कर मांगना इंसाफ जहां से अब हमें लड़ना होगा,
ऐ वहशत के दरिंदों अब तुम्हें मरना होगा,
सो रही है सियासत अब हमें ही कुछ करना होगा,
शांति बहोत हो चुकी अब हिंसा के रास्ते से ही गुजरना होगा,
ऐ वहशत के दरिंदो अब तुम्हे मरना होगा,
कितने दर्द सहे होंगे कितनी सबकी प्यारी होगी
क्रूर काल से लड़ते-लड़ते अंतिम क्षण में हारी होगी
सब संस्कार अब व्यर्थ हुए स्थितियां सब दर्शाती हैं
प्रियंका जैसी कितनी बेटी प्रतिदिन मारी जाती हैं।
कई न्यूज चैनलों में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहीं पत्रकार शशि प्रिया सिंह की प्रतिक्रिया.
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KAUSHIK Sudhir
November 30, 2019 at 6:44 pm
आपका लेख पढ़ा साथ ही tv पर सामने इस विषय पर बहस भी देखी वही नोटंकी जारी है 5 साल पहले की clip भी हो तो पता नहीं बलात्कार करने वाले मर्द हैं और हम जो बहस देख रहे हैं पत्थर हैं